Saturday, February 29, 2020

पचपन

प्रणाम।वणक्कम

पचपन
बचपन सा खेल कूद नहीं।
बचपन के लोगों से चर्चा  नहीं।
बडे  हो बढ बढ़ाना नहीं।
बुढापा का पहला सोपान।
तनाव,अवकाश होने तीन साल।
बेटी की शादी,लडके की पढाई नौकरी।
शक्कर,प्रेशर,न जाने वह है या नहीं
चेकप करने दोस्तों का आग्रह।
बचपन का मस्त खुशी पचपन में नदारद।
न धन,न पद,न अधिकार
वापस न देता जवानी।
ईश्वरीय नियम दंड पचपन।
यस।अनंतकृष्णन।

Sunday, February 2, 2020

लघुप्रपंचमूल कारियासान।

संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
   तमिल के संघकाल के प्रसिद्ध  ग्रंथ  हैं
 "लघुपंचमूल "। इसके कवि हैं  "कारियासान"। बृहत्,कंठकरी,शालपर्णी,पृश्णपर्णी,
गोखसुरा  आदि पंच मूलों से शारीरिक रोग दूर होते हैं।
 वैसे ही  कारियासान  कृत लघुपंचमूल  मनुष्य  गुणों  को संशोधन  करने के सन्मार्ग पर ले जानेवाले हैं।
 मदुरै  शहर के कवि कारियासान  अपने इस  ग्रंथ के  प्रथम पद्य में अपने उद्देश्य  बताते हैं ---- संसार में  झूठ, हत्या,
माँसाहार,  चोर  आदि के विरुद्ध  सत्य, हत्या न करना,  शाकाहार, चोरी न करना  आदि  सद्गुणों  के साथ अनुशासन  सिखाना आदि  । मनुष्य  को सुमार्ग पर ले चलना , मनुष्य  की अज्ञानता दूर करना  आदि।

मूल :-
ओत्त  ओलुक्कम कोलै पोय पुलालकलवोडु
ओत्त इवैयलवोर   नालिट्टु -ओत्त
उरुपंच मूलंतीर मारिपोल कूरीर
सरपंच मूल सिरंतु।
ஒத்த ஒழுக்கம்  கொலை பொய்  புலால் களவொடு
ஒத்த இவையலவோர் நாலிட்டு -ஒத்த
உற்பத்தி மூலந்தீர் மாரிபோல் கூறீர்
சிறுபாசன மூலம்  சிறந்து.

 इस ग्रंथ  में  सौ पद्य  हैं।
 पाँच  जड पाँच  तरह के रोग दूर करते हैं।
  वैसे ही ग्रंथ  के पाँच  भाव पाँच सीख सिखाते हैं।
 आजकल के अंग्रेज़ी  माध्यम  की शिक्षा
मातृभाषा  के  अमूल्य  चिंतन रूपी
जडी बूटियों की जानकारी  जानने नहीं  देता।
भारतीय  सत्तर साल की आजादी  के बाद  भी
 जागते नहीं।
 स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन ।

1. पोरुल उड़ैयान कण्णते भोगम् ;अऱनुम्
    अरुलुडैयान  कण्णते आकुम्;आयुर्विज्ञान
    सत्यापन पळिपावम्  सेरान्;पुऱमोळियुम्
    उय्यान, पिऱन सेविक्कु   उय्त्तु।।
பொருள் உடையான் கண்ணதே போகம்,அறனும்
அருளுடையான் கண்ணதே ஆகும்,அருள் உடையான்
செய்யான் பழி பாவம்  சேரான்
புறமொழியும்
உய்யான், பிறர  செவிக்கு உய்த்து.
  भावार्थ:
जिसके पास धन है,उसको सुख भोग मिलेगा।
जिसको दिव्य कटाक्ष  प्राप्त है, वही धर्म कर्म करेगा।
 जिसको ईश्वर की कृपा प्राप्त  है,
वह दूसरों  पर दोषारोपण  न करेगा।