हिंदी दिवस ,
हिंदी तर लोगों को
महात्मा की देन।
अखंड भारत की
एकता का प्रतीक।
स्वार्थ भले ही करें विरोध।
देश भारत हम करते प्रचार।।
जनता आज हिंदी के पक्ष।।
मंच पर विरोध,पर हिंदी वर्ग में
रोज हाजिरी।
ऐसे हिंदी सिखाते,
पाठ हिंदी,पाठम तमिल जान।
कवि, कविता ,कथा,वाक्य ,आर्य
तमिल हिंदी बराबर जान।
अंग हिंदी तो अंगम तमिल
प्रयत्न प्रयत्नम,परिवर्तन परिवर्तनै। बस तमिल हिंदी एक मान।
मान=मानम गौरव =गौरवम
सरल -सरलम।कठिन कठिनम।
बस हमारे नाम सब संस्कृत।
तमिल अर्थ जान लो।
कमल,सरोजा,पद्मा,पंकजा नीरजा,जलता सब तामरै जान।
हम है दक्षिण के,हिंदी का प्रचार
करते हैं तन मन से।
स्वचिंतक =सुयचिंतनैयाळर
अनंत कृष्णन,चेन्नै।हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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कैसी हुई प्रगति।
अंग्रेज़ी समान न
जीविकोपार्जन की भाषा।
डाक्टरि इंजीनियरिंग में
न हिंदी का प्रयोग।
ऐ।टि।
नौकरी में न
हिंदी का स्थान।
खासकर तमिलनाडु में तो
केवल जनता पसंद।
तमिलनाडु केशासक दल ,
विपक्षी दल करते हैं विरोध।
आजकल नया नारा--"हम न करते हैं हिंदी विरोध।
हिंदी का जबरदस्त थोपने का विरोध।।
वास्तव में सत्तर साल की
आजादी के बाद
अंग्रेज़ी गांव गांव शहर शहर।
पीछे पीछे हिंदी का विकास।
अपने आप।
अहिंदी प्रांतों में हिंदीवाले
हिंदी बोलते ही नहीं।
मजदूर भी बोलता शुद्ध तमिऴ।
कहते हैं अंग्रेजी से सर्वांगीण विकास।।
न आदर,न अनुशासन न विनम्रता,नशिष्टाचार।न संयम।
न संस्कृति।न जितेन्द्रियता।
शिक्षा महंगी, शिक्षा लय बंद।
मधुशाला खुली है।
संस्कृत शब्द भंडार
बना रहे हैैं
हिंदी विकास।।
भारतीय एकता मूल।
मोहनदास करमचंद गांधी
दूरदर्शी नेता गुजराती भाषी
आ सेतु हिमाचल की एकता की भाषा हिन्दी मानी।
धन्य है महात्मा, जिन्होंने
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना की।
न तो दक्षिण में न हिंदी विकास।।
आज तीर्थ यात्रा के लिए जो
उत्तर भारत जाते,खुलकर कहते
हिंदी सीखना अत्यंत अनिवार्य।
यह अनुभव काफी, हिंदी का भविष्य तमिलनाडु में उज्ज्वल।।
अनंत कृष्णन चेन्नै।
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