Friday, October 14, 2022

மனிதன்

 [14/10, 4:35 am] sanantha .50@gmail.com: मानव  विविध प्रकार के ग्रंथों का अध्ययन करता है। उसके मन में भी अपने नये विचार आते हैं।  नाना प्रकार के ग्रंथ और नाना प्रकार के अपने विचार सब के मिश्रण में अपना एक निजी ग्रंथ का सृजन करता है।

   मानव मन  अपने विचारों को प्रकट करता है। जब संदर्भ ग्रंथ इधर उधर के उद्धरण नकल कर लिखना डाक्ट्रेट के नियम पालन ,नये लोगों के नारे विचार पर ध्यान न देना,

संदर्भ का अर्थ जो आटा गूंथा गया उसी को फिर गूँथकर विभिन्न पकवान बनाने के समान है। स्वाद नया ,आकार नया रूप अलग अलग। मूल तो आटा गेहूँगा होगा,चावल का होगा,चना का होगा।

 ऐसा ही साहित्य  का मूल  सत्य, अनुशासन,मनुष्यता, परोपकार निवार्थता, धर्म पालन, जगत मिथ्या ब्रह्म सत्यं।

  अतः सौंदर्य ग्रंथ और उद्धरण की खोज तलाश में मानव अपना निजत्व लाने में असमर्थ हो जाता है।

 हम महादेवी वर्मा की प्रशंसा से डाक्टर बन जाते हैं। अपने निजत्व को बैठते हैं।

  राम धारी दिनकर जैसे महान निबंधकार, निराला जैसे कवि, मैथिली शरण जै से कवि मूल से जो अपने निजत्व लाने में समर्थ हैं तो

 स्वतंत्र लेखक हैं। 

जयशंकर प्रसाद जैसे बहुमुखी कलाकार, कालिदास वाल्मीकि सुब्रह्मण्य भारती, कबीर किस विश

विद्यालय के स्नातकोत्तर थे।

उन के अध्ययन है खोज ग्रंथ उससे नौकरी, वेतन, अर्जित ज्ञान का बड़ा चढ़ाकर भाषण बस जीवन निर्वाह।

वे भूखे प्यासे दरिद्र अवस्था में 

महान ग्रंथ लिखकर अमर बन गये।

उनके प्रकाशक, आलोचना ग्रंथ लिखनेवाले, प्राध्यापक अति आराम।

मासिक वेतन, मार्ग दर्शक,गुरु, आचार्य।

 मूल रचना लिखने विचार ही नहीं।

मूल लेखकों ने  सब विचारों की अभिव्यक्ति कर ली।

 नायक, खलनायक, चोर, डाकू शासक,कुशासक सब  विषय प्राचीन साहित्य  में।

   अवैध बच्चा नदी में, मंदिर में, तालाब के किनारे पर।

उनका ज्ञान दोहराकर ,

 स्वार्थ वेतन जीवी है हम सब।

   आज के मन के विचार अनंतकृष्णन, हिंदी प्रेमी प्रचारक चेन्नै तमिलनाडु।

[15/10, 3:57 am] sanantha .50@gmail.com: मानव मन   மனிதமனம்

 मानव व्यवहार  மனித நடத்தை

 पशुत्व से भरा है तो  மிருகத்தன்மையால்  நிறைந்திருந்தால்

 मानव कैसै? -மனிதனா? 


कल एक खबर,  நேற்றைய செய்தி.

दिल झकझोर करनेवाली மனதை  நடுங்கச் செய்கின்ற செய்தி.

निर्दयता की चरम सीमा। இரக்கமற்ற செயலின் இறுதி எல்லை.

राक्षसी व्यवहार ராக்ஷஸ நடத்தை.


प्यार करने से  इनकार किया  तो  காதலிக்க மறுத்ததால் அந்தப் பெண்ணை 

 उस लड़की को

रेल से  धकेल कर हत्या कर ली।

ரயிலில் இருந்து தள்ளி கொலை.

कितना बड़ा अन्याय? எவ்வளவு பெரிய அநியாயம்.

लड़की के पिता ने आत्महत्या कर ली।

பெண்ணின் தந்தை தற்கொலை.

 उस लड़के को तत्काल कठोरतम दंड देने का कानून नहीं।

அந்தப் பையனுக்கு உடனடி தண்டனை கிடையாது.

 सांसद, विधायक अपराधी होते हैं।

பாராளுமன்ற சட்டமன்ற உறுப்பினர்கள்

குற்றவாளிகள்.

मतदाताओं की मर्जी तो क्या कर सकते हैं।

வாக்காளர் ஒப்புதல் என்ன செய்ய முடியும்.?

   निष्कर्ष कलियुग।--முடிவு கலியுகம்.

सीता का क्या हुआ? சீதைக்கு நடந்தது என்ன?


द्रोपति का क्या हुआ? துரௌபதிக்கு என்ன ஆயிற்று?

 कुंती का व्यवहार। குந்தியின் நடத்தை?

अतः जिसकी लाठी उस की भैंस की नीति.

அதனால் தடி எடுத்தவன் தண்டல் காரன்.

बाघ -हिरण का सृजनहार का दोष है,

புலி -மான் படைத்தவனின் தவறு.

फूल और काँटे के समान।

முள்ளும் மலரும் போல்.

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

அனைவரையும் ஆட்டிவைக்கும் ஆண்டவன்.

स्वरचित स्वचिंतक एस . अनंतकृष्णन,

तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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