संचालक को स्वागत, नमस्कार।
भीग जाती है तो
भीगी बिल्ली नहीं।
भीग जाती है साड़ियाँ तन में तो,
मन में मोह की वर्षा होती,
पुरुष पराया है तो नारी की आंखों में
अंगारे भीग जाती,
पकडा परुष अपमान से भीग जाता।
परीक्षा में उत्तीर्ण हो तो
आनन्द अश्रु से भीग जाता मनुष्य।
प्रिय के निधन से शोकाशृ से भीग जाती
अहिंसात्मक युद्ध में
शहीदों के कपडे रक्त से भीग जाते।
भूमि शहीदों के खून से भीग जाता।
लाल पुष्प खिलते,
शाहीदों के रक्त नदी को याद दिलाते।
भीगे कपडे से आरादाना ।
करुणा की वर्षा से भीग जाता मनुष्य।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं
भीग जाती है तो
भीगी बिल्ली नहीं।
भीग जाती है साड़ियाँ तन में तो,
मन में मोह की वर्षा होती,
पुरुष पराया है तो नारी की आंखों में
अंगारे भीग जाती,
पकडा परुष अपमान से भीग जाता।
परीक्षा में उत्तीर्ण हो तो
आनन्द अश्रु से भीग जाता मनुष्य।
प्रिय के निधन से शोकाशृ से भीग जाती
अहिंसात्मक युद्ध में
शहीदों के कपडे रक्त से भीग जाते।
भूमि शहीदों के खून से भीग जाता।
लाल पुष्प खिलते,
शाहीदों के रक्त नदी को याद दिलाते।
भीगे कपडे से आरादाना ।
करुणा की वर्षा से भीग जाता मनुष्य।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं
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