गम
बेगम से
बेईमानी से
भ्रष्टाचार कर्मों से
जगत मिथ्या, ब्रह्म सत्यम्
जान अनजान स्वार्थ क्रिया से
कर्म फल मानव को भोगना ही
ब्रहम खेल विधि की विडंबना ।।
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यह तोलेटी चंद्र शेखर के
मेरा मन पसंद।
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यह ऐसा ही है ,कैसा?!
तमिल मूल :
कान मयिल आड,கான மயில் ஆட
कंडिरुंद वान कोळि,
கண்டிருந்த வான் கோழி
तानुम अतुवाक, भावित्तुत् तन,
தானும் அதுவாக பாவித்துத் தன்,
पोल्लाच् चिरकिनै
பொல்லாச் சிறகினை
विरित्ताडिनार पोलुमे
விரித்து ஆடினால் போலுமே,
कल्लातान कट्र कवि।।
கல்லாதான் கற்ற கவி.
हिंदी अनुवाद ----
कानन में मोर नाचा
अति सुंदरनाच!
देख चतुर्मुर्खी ने अपने को
मोर माना ,
अपने भद्दे पंखों से
नाचा भद्दी नाच!
वैसा ही है ज्ञानी कवि को देख
अज्ञानी कवि की कविता रचना!!
स्वचिंतक स्वरचनाकार
अपनी हिंदी, अपने विचार,
अपनी शैली के
भाव प्रधान
कवि लेखक
एस. अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु ।
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