शिव भोग सार — अनुवाद
“அவரவர் வினைவழி அவரவர் வந்தனர் अवरवर विनै वलि अवरवर वंदनर
அவரவர் வினைவழி அவரவர் அனுபவம் अवरवर विनै वलि अवरवर अनुभव
எவரெவர்க் குதவினர் எவரெவர்க் குதவிலர் ऍवरेवर्क्कु उतविनर ऍवरेवर्क्कुतविलर
தவரவர் நினைவது தமையுணர் வதுவே “. तवरवर निनैवतु तमैयुणर्वतुवे ।
“நீதியிலா மன்னர் இராச்சியமும் நெற்றியிலே नीतियिला मन्नर इराच्चियमुम् नेट्रियिले
பூதியிலார் செய்தவமும் பூரணமாஞ் – சோதி भूतियिलार चेय तवमुम् पूरणमांच -जोति
கழலறியா ஆசானுங் கற்பிலருஞ் சுத்தकललरिया आसानुंग कर्पिलरुंच चुत्त
விழலெனவே நீத்து விடு “. विललेनवे नीत्तुविडु.
शिव भोग सार — अनुवाद
मानव या हर जीव राशियों का जन्म अपने अपने अपने कर्म , अपने पूर्वजों के पाप -पुण्य के अनुसार होता है । अपने अपने कर्म फल के अनुसार सुख-दुख अपने विडंबना के अनुसार भोगना पडता है। हर व्यक्ति सुख-दुख में इसका अनुभव करता है ।
विधि की विडंबना अच्छे-बुरे, कृतज्ञ या कृतघ्न ,उपकारी-अनुपकारी,दयालू-निर्दयी आदि नहीं देखती ।
प्रायश्चित्त,होम-यज्ञ से कोई अपने कर्म फल के दंड से बच नहीं सकता ।भाग्य का फल भोगना ही पडेगा।
इस शिव भोग सार के मुक्त गीत पढने के बाद हमारी पौराणिक कहानियों के नायक राम,कृष्ण ,
महाराज दशरथ ,भीष्म और खलनायक रावण ,नल ,शकुंतला कोई भी विधि के दंड से बच नहीं सका।
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