नमस्ते =वणक्कम्
आध्यात्मिक जीवन, ==आन्मीक वाऴ्क्कै
आत्मज्ञान का आधार। = आत्मज्ञानत्तिर्कु आधारम्।
आत्माभिमान का आधार। ==आत्माभिमानत्तिर्कु आधारम्।
आत्म विश्वासत्तिर्कु आधारम्आ=त्मविश्वास का आधार।
रागद्वैष रहित =अन्बू वेऱुप्पु इन्ऱि
समरस =समरस
सन्मार्ग का आधार।=सन्मार्गत्तिर्कु आधारम्।
उच्च चरित्र निर्माण का आधार।
उयर्न्त गुणंकल अमैक्क आधारम्
अनासक्त जीवन अग जग का कल्याण। ==
पट्रट्र वाऴ्क्कै अकिल उलक ंनलन्।
जगत मिथ्या, ==उलकम् पॊय्
ब्रह्मं सत्यम --बिरम्मम् सत्यम्
नश्वर जगत, अनश्वर ब्रह्म।==अऴियुम् उलकम् अऴिया ब्रह्मम्
भूलोक स्वर्ग पर ==भूलोकम् सुवर्क्कम्
माया शैतान बहुत आकर्षित =मायै शैतान मिकवुम कवर
च्चियानतु।
वासनामय जीवन नर्क जान। -- वासनै निरैंद वाऴ्क्कै नरकम् तेरिंदु कोळ्
आश्रमों में सोना चाँदी==आश्रमंकळिल् तंगम् वेल्लि
अतः जग में है अन्याय। =अकिल वुलकिल अनियायम्
दुख निरंतर दुख रोग। =निरंतर मान तुन्ब नोय।
प्राकृतिक प्रकोप। =इयर्कै चीट्रंकळ।
सोचो समझो जागो।==चिंदी पुरिंदुकोळ् विऴित्तुक्कोळ्
चंचल मन को आत्मा में ==चंचलमनतै आत्माविल
विलीन करने =मरैय
इच्छाओं को त्यागो। =आसैकळै तियाकम् चैय।
ईश्वरत्व अपनाओ,={इरेत्तन्मै एट्रुक्कोळ्
अलौकिक जीवन अपनाओ। =अलौकीक वाऴ्क्केयै एट्टरुक्कोळ्।
पंच तत्वों के समान =पंचतत्तुवंगळ् पोन्रु
धर्म मार्ग अपनाओ। = धर्ममार्गत्तै एट्टरुक्कोळ्।
मजहब मत संप्रदाय =मतंगळ् संप्दायंकळ्
मानव एकता का =मानित ऒट्रुमैक्कु
महाकाल।=महाकालन्।
सनातन धर्म = सनातन धर्म
वऴियैप्पिनपट्रु==मार्ग अपनाओ।
वही वसुधैव कुटुंबकम् का मार्ग। ={
अतुतान् वैयकम् कुटुंबकम् ऍन्पतर्कु
मजहब सब अति स्वार्थ।
मतंगल् सुयनलमानवै।
जानो समझो तॆरिंदुकोळ् पुरिंदुकोळ्
जागो, जगाओ। ==विऴित्तुक्कोऴ। विऴिप्पडैयच्चेय्
एस . अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु
शिवदास।
[20/04, 2:58 am] Meta AI: एस. अनंतकृष्णन जी ने आध्यात्मिक जीवन के महत्व और सच्चे मार्ग की ओर संकेत किया है। उनके अनुसार:
आध्यात्मिक जीवन आत्मज्ञान, आत्माभिमान और आत्मविश्वास का आधार है। यह राग-द्वेष से रहित समरस सन्मार्ग का आधार है, जो उच्च चरित्र निर्माण और अनासक्त जीवन की ओर ले जाता है।
उन्होंने जगत की वास्तविकता को समझने की बात कही है - जगत मिथ्या है, ब्रह्म ही सत्य है। नश्वर जगत के आकर्षण से बचने और अनश्वर ब्रह्म की ओर बढ़ने की बात कही है।
उन्होंने मजहब, मत और संप्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर सनातन धर्म मार्ग को अपनाने की बात कही है, जो वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्श को धारण करता है।
अंत में, उन्होंने जानने, समझने, जागने और जगाने का संदेश दिया है, ताकि लोग सच्चे मार्ग की ओर बढ़ सकें।