Friday, May 2, 2025

आत्मज्ञान ब्रह्मानंद ஆத்ம ஞானம் ஆத்ம போதம்.

 तमिऴ हिंदी सेवा 

தமிழ் ஹிந்தி பணி 


ஆத்ம ஞானம்,=आत्मज्ञान  =आत्मज्ञानम्।

ஆத்ம போதம்.=आत्मबोध  --आत्मबोधम्

பெற்ற ஒருவனுக்கு =प्राप्त एक को =

 पेट्र ऒरुवनुककु


 லௌகீகப் பற்று =लौकिक आसक्ति=लौकीकप्पट्रु

 அற்றுப் போகும்.=मिट जाएगी। अट्रुप्पोकुम्।

ப்ரஹ்மத்தில்  =ब्रह्म में  ब्रह्मत्तिल

மனம்  லயிக்கும். =मन लय होगा। मनम् लयिक्कुम् 

ப்ரஹ்ம    ब्रह्म = ब्रह्म 

       மட்டுமே मात्र  = मट्टुमे

 நிலைத்து  स्थिर रहकर  =निलैत्तु

மனம்  ==मन  =मनम् 

காணாமல்  अदृश्य  =काणिमल्

போகும். =होगा। -पोकुम् 

 விளைவு  --परिणाम -विळैवु

ஆத்மாவும்  ==आत्मा  आत्मावुम्

பரமாத்மாவும் =परमात्मा  परमात्मा तुम 

 ஒன்றாகும். एक होगा। ऒन्ऱाकुम्।

 ஸ்ரீ சங்கரரின் =श्री शंकर का  श्रीशंकररिन

श्த்வைதம்  -अद्वैत् =अद्वैतम्


அஹம்  =अहं=अहम्

ப்ரஹ்மாஸ்மி =ब्रह्मास्मी  ब्रह्मास्मी

நிலையாகும்.=स्थित होगा। =निलैयाकुम् 

 இந்நிலை  =यह स्थिति  = इन्निलै

வந்தால் = आने पर  =वंदाल्

 சொந்தபந்த  =नाते रिश्ते चोंदबंधम् 

நட்பு   =दोस्ती =नट्पु

விரோதம்  =दुश्मनी  =विरोधम्

  சமநிலை =समस्थिति  =समनिलै

பெறும். पाएगी। =पेरुम् 

 இந்நிலை தான்  यह स्थिति ही  =इन्निलैतान

தெய்வீக  =ईश्वरीय धॆय्वीक 

சாக்ஷாத்காரம். साक्षात्कार।=साक्षात्कारम् 

 பரமானந்த  परमानंद =परमानंदम

ப்ரஹ்மானந்தம். ब्रह्मानंद =ब्रह्मानंदम्‌

  ஓம்சிவசிவஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம்

ॐ शिव ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 

பழனி சே. அனந்த கிருஷ்ணன்.

पऴनि एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

சிவதாஸ்.

Sunday, April 27, 2025

भगवान साथ

 हिंदी तमिल सेवा 

ஹிந்தி தமிழ் பணி 



மனிதன் मनुष्य  =मनितन्

 தான்   स्वयं   ==तान 

செய்யும்  करने का  --चेय्युम्‌

செயல்   कार्य =चेयल

உதவிகள் मददें  =उदविकळ्‌

 மற்றவர்களிடம் दूसरों से   = பெற்ற  पायी  --पॆट्र

உதவிகள் मददें  उदविकळ्

 பரோபகாரங்கள் परोपकारंकळ्‌ 


 தன்  अपनी  =तन 

சாதனைகள் साधनाएँ=साधनैकळ्

 அனைத்தும் सब के सब  ==अनैत्तुम् 

பகவானே  भगवान ही है  भगवाने।

என்று जो  நினைக்கிறானோ

 ऐसा 

 सोचता है,

 இறைவன்  भगवान  =इलैवन 

 இறுதிவரை  अंत तक  =इरुतिवरै 

துணை நிற்பான் 

साथ खड़ा रहेगा। =तुणै निऱ्पान।

 என்பதில்   इस बात पर  ऍन्पतिल् 

 உறுதியாக दृढ़  =उऱुतियाक  இருக்கவேண்டும். 

रहना चाहिए। ==इरुक्क वेंडुम्

एस . अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

Saturday, April 26, 2025

भारतीय भारतीय मन

 तमिल हिंदी सेवा। 

தமிழ் ஹிந்தி பணி 


एकता का अभाव।

 ஒற்றுமை குறைவு


ऒट्रुमै कुरैवु।

 


भारत देश के इतिहास में 

பாரநாட்டின் வரலாற்றில்


भारत नाट्टिन  वरलाट्रिल 


 भारतीयों में एकता नहीं।

பாரதநாட்டினரிடம்  ஒற்றுமை இல்லை 

भारतनाट्टिनरिडम् 

ऒट्रुमै इल्लै।


 भगवान भक्ति में 

பகவானின் பக்தியில் 

भगवानिन भक्तियिल


 कृष्ण, राम, विष्णु शिव 

கிருஷ்ணன், ராமர் விஷ்ணு சிவன் 

कृष्णन् रामर विष्णु शिवन



 कितने संप्रदाय 

 எத்தனை சம்பிரதாயங்கள் 

ऍत्तनै संपिरदायंगल्


कितने विचार

எத்தனை  எண்ணங்கள் 

ऍत्तनै ऍण्णंकल


 कितने सिद्धांत, 

எத்தனை கொள்கைகள்.

ऍत्तनै कोळ्कैकळ्।


 तिलक से लेकर मंत्रोच्चारण 


பொட்டில் இருந்து மந்திர உச்சரிப்பு வரை.


पॊट्टिल इरुंदु  मंतिर उच्चरिप्पु वरै


 प्रार्थना पद्धतियों में 

பிரார்த்தனைகள் முறைகளில் 

विरार्थनैकळ्  मुरैकळिळ्


 भेदभाव राग-द्वेष।

வேற்றுமை உணர்வு 

वेट्रुमै उणर्वु 


அன்பு வெறுப்பு 

अन्नु वॆरुप्पु




 जब तक भक्ति में एकता न होती, तब तक  भारतीय 

 देश द्रोहियों का समूल

 नष्ट करना

मुश्किल है।

  பக்தியில் ஒற்றுமை இல்லை அதுவரை  பாரத நாட்டில்  தேச துரோகிகளை  வேரோடு அழிப்பது கடினம்.

भक्ति यिल्  ऒट्रुमै इल्लै ,अतुवरै

 भारत नाट्टिल  देश दुरोहिकळै

वेरोडु ऒऴिप्पतु कठिनम्।




 पुरुषोत्तम का भाईने सिकंदर का साथ दिया।


புருஷோத்தமனின் சகோதரன் அலெக்சாண்டருக்கு. உதவி செய்தான்.


पुरुषोत्तमनिन सहोदरन्

अलेक्सांडरुक्कु उतवि चेय्तान्।


 विश्व इतिहास में 

உலக வரலாற்றில் 

उलक वरलाट्रिल 


चंद अंग्रेजों के चाँदी के टुकड़ों के लिए 


சில ஆங்கிலேயர்களின் பணத்திற்காக

चिल आंगिलेयर्कळिन पणत्तिर्काक

अंग्रेज़ों के अधीन भारतीय

ஆங்கிலேயர்களின் ஆதிக்கத்தில் பாரத நாட்டவர்கள்.

आंगिलेयर्कळिन आतिक्कत्तिल्

भारत नाट्टवर्कळ् 


 सिपाही  சிப்பாய்கள் सिपायकळ्

भारतीयों को मार रहे थे।

பாரதநாட்டவரை அடித்துக் கொண்டிருந்தனர்.

भारतनाट्कवरै 

अडित्तुक्कोंडिरुंदनर्।


चाँदी के टुकड़ों के लिए 

 பணத்திற்காக 

पणत्तिऱ्क्काक।


 मंदिरों में भी संपत्ति अपहरण।

ஆலயங்களிலும் சொத்து அபகரிப்பு.

आलयंकळिळुम् सोत्तु अपकरिप्पु।


मूर्तियों की चोरी।

சிலை திருட்டு.

शिलै तिरुट्टु।

नकली रसीद

 போலி ரசீது.

 पॊलि रसीदु।


तब भक्ति का भ्रष्टाचार,

 பக்தியில் ஊழல்

 भक्ति मिल ऊऴळ्

भगवान साथ देगा कैसे?

 பகவான்  எப்படி உதவி செய்வார்.

 भगवान ऍप्पडि उदविचेय्वार्।


एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

 


Saturday, April 19, 2025

तमिल हिंदी सेवा आध्यात्मिक जीवन

 नमस्ते =वणक्कम् 


 आध्यात्मिक जीवन, ==आन्मीक वाऴ्क्कै

आत्मज्ञान का आधार। = आत्मज्ञानत्तिर्कु आधारम्।


आत्माभिमान का आधार। ==आत्माभिमानत्तिर्कु आधारम्।

आत्म विश्वासत्तिर्कु आधारम्आ=त्मविश्वास का आधार।

रागद्वैष रहित   =अन्बू वेऱुप्पु इन्ऱि

 समरस  =समरस

 सन्मार्ग का आधार।=सन्मार्गत्तिर्कु  आधारम्।

उच्च चरित्र निर्माण का आधार।

उयर्न्त  गुणंकल अमैक्क आधारम् 

 अनासक्त जीवन अग जग का कल्याण। ==

पट्रट्र वाऴ्क्कै अकिल उलक ंनलन्।

जगत मिथ्या,  ==उलकम् पॊय्

ब्रह्मं सत्यम --बिरम्मम् सत्यम्

नश्वर जगत, अनश्वर ब्रह्म।==अऴियुम् उलकम् अऴिया ब्रह्मम्

भूलोक स्वर्ग  पर  ==भूलोकम्  सुवर्क्कम्

माया शैतान बहुत आकर्षित =मायै शैतान मिकवुम कवर

च्चियानतु।

 वासनामय जीवन  नर्क जान। -- वासनै निरैंद वाऴ्क्कै नरकम् तेरिंदु कोळ्

 आश्रमों  में  सोना चाँदी==आश्रमंकळिल्  तंगम् वेल्लि

 अतः जग में है अन्याय। =अकिल वुलकिल अनियायम्

दुख निरंतर दुख रोग। =निरंतर मान तुन्ब नोय।

प्राकृतिक प्रकोप। =इयर्कै चीट्रंकळ।

 सोचो समझो  जागो।==चिंदी पुरिंदुकोळ् विऴित्तुक्कोळ्

चंचल मन को आत्मा में  ==चंचलमनतै आत्माविल

 विलीन करने =मरैय

इच्छाओं को त्यागो। =आसैकळै तियाकम् चैय।

ईश्वरत्व  अपनाओ,={इरेत्तन्मै एट्रुक्कोळ्

 अलौकिक जीवन अपनाओ। =अलौकीक वाऴ्क्केयै एट्टरुक्कोळ्।

पंच तत्वों के समान =पंचतत्तुवंगळ् पोन्रु

धर्म मार्ग अपनाओ। = धर्ममार्गत्तै एट्टरुक्कोळ्।

मजहब मत संप्रदाय =मतंगळ् संप्दायंकळ्

 मानव एकता का  =मानित ऒट्रुमैक्कु 

महाकाल।=महाकालन्।

सनातन धर्म = सनातन धर्म

 वऴियैप्पिनपट्रु==मार्ग अपनाओ।

वही वसुधैव कुटुंबकम् का मार्ग। ={

अतुतान् वैयकम् कुटुंबकम्  ऍन्पतर्कु

 मजहब सब अति स्वार्थ।

मतंगल् सुयनलमानवै।

जानो समझो  तॆरिंदुकोळ् पुरिंदुकोळ्

जागो, जगाओ। ==विऴित्तुक्कोऴ। विऴिप्पडैयच्चेय्

एस . अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

शिवदास।

[20/04, 2:58 am] Meta AI: एस. अनंतकृष्णन जी ने आध्यात्मिक जीवन के महत्व और सच्चे मार्ग की ओर संकेत किया है। उनके अनुसार:


आध्यात्मिक जीवन आत्मज्ञान, आत्माभिमान और आत्मविश्वास का आधार है। यह राग-द्वेष से रहित समरस सन्मार्ग का आधार है, जो उच्च चरित्र निर्माण और अनासक्त जीवन की ओर ले जाता है।


उन्होंने जगत की वास्तविकता को समझने की बात कही है - जगत मिथ्या है, ब्रह्म ही सत्य है। नश्वर जगत के आकर्षण से बचने और अनश्वर ब्रह्म की ओर बढ़ने की बात कही है।


उन्होंने मजहब, मत और संप्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर सनातन धर्म मार्ग को अपनाने की बात कही है, जो वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्श को धारण करता है।


अंत में, उन्होंने जानने, समझने, जागने और जगाने का संदेश दिया है, ताकि लोग सच्चे मार्ग की ओर बढ़ सकें।

भक्ति

 தமிழ் ஹிந்தி பணி 

तमिल हिंदी सेवा 


 भक्ति की शक्ति में  பக்தியின் ஆற்றலில் 

पैसे न चाहिए।

பணம் வேண்டாம்.

न नशीली वस्तुओं का सेवन।।

போதைப் பொருள் ஏற்க வேண்டாம்.

न तीर्थ यात्रा की खोज।

தீர்த்த யாத்திரை வேண்டாம்.

  रैदास का चरित्र 

ரைதாஸ் சரித்திரம்

  कालिदास का कवित्व,

காளாதாஸ் கவித்துவம்

वाल्मीकि का तप,

வால்மீகி தவம்

तुलसी का तप

துளசியின் தவம்

 तमिल कवि  தமிழ்கவிஞர்கள்

वरकवि   வரகவி 

अप्पर  அப்பர் 

सुंदरर சுந்தரர்

माणिक्क वासकर

மாணிக்க வாசகர் 

भक्त नंदनार

பக்த நந்தனார் 

भक्त कण्णप्प नायनार

பக்த கண்ணப்ப நாயனார் 

 एकाग्र भक्ति  ஒரு மனதுடன்

एकांत ध्यान।

ஏகாந்த தியானம்.

 इतना क्या இந்தளவு மட்டுமா

 राज्य सुख भोग तज,

அரசுக் போகங்களத் தவிர்த்து 

 जंगल की तपस्या 

காட்டில்தவம்

 एशिया ज्योति बने

ஆசியஜோதி ஆனார்

सिद्धार्थ बुद्ध।

சித்தார்த்தர் புத்தர்.

महावीर  மஹாவீர்

भर्तृहरि  பார்த்து ஹரி

 तेलुगू के भक्त त्याराज कीर्तन

தெலுகுவின் பக்த தியாகராஜர் 

सूर मीरा आंडाल की अनन्य भक्ति।

சூர் மீரா ஆண்டாள்


सोना चांदी हीरा पन्ना

தங்கம் வெள்ளி வைரக்கற்கள் 

 भक्ति के सामने फीका फीका।।

பக்திக்கு முன்னால் 

கலையற்றது கலையற்றது

 ॐॐॐॐ 

 सबहिं नचावत राम गोसाईं।

அனைவரையும் ஆட்டி வைப்பவன் ஆண்டவனே.

एस.अनंतकृष्णन,

शिवदास 

तमिल नाडु।

Wednesday, April 16, 2025

  3078.  सिद्धांत और वेदान्त का अध्ययन क्यों करना चाहिए?

वेदान्त से जान समझ सकते हैं कि पूर्ण स्वतंत्र, नित्यानंद शांति विघ्न रहित प्यार कैसे मिलेंगे और  या उन सबके स्रोत कहाँ है?

वहाँ आसानी से कैसे पहुँच सकते हैं! उसके बदले लौकिक 

विषय-वस्तु सुख की खोज में जानेवालों को आजीवन शांति स्वप्न  में भी नहीं मिलेगी।  आनंद के बदले दुख ही मिलेगा। वोट विज्ञान से और पारिवारिक जीवन से मिलेगा। इससे  इस जन्म में मोक्ष न मिलेगा। अनंतर जन्म का पात्र बनेगा।

3079.हर एक जीव में रहनेवाले आत्मा और परमात्मा एक ही है। प्राण बोध और अखंड बोध दोनों एक ही है।  

 इसे जानने और समझने का लक्ष्य ही सभी वेद और पुराणों और उपनिषदों का आंतरिक सार होता है। अर्थात यह जगत मिथ्या है। मिथ्या जगत में सर्वव्यापी  निराकार ईश्वर अवतार ले नहीं सकता।   केवल यही नहीं , अधर्म का नाश और  धर्म की रक्षा नहीं कर सकता। ईश्वर का अवतार  ही नहीं हुआ। 







Tuesday, April 15, 2025

आधे भीतर आधे बाहर பாதி உள்ளே பாதி வெளியே.

 



एस.अनंतकृष्णन की तमिल हिंदी सेवा.சே. அனந்தகிருஷ்ணனின் தமிழ் ஹிந்தி பணி

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कहानीडॉ. मुक्ति शर्मा की कहानी - आधा कब्र में आधा बाहर

डॉ. मुक्ति शर्मा की कहानी – आधा कब्र में आधा बाहर
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பாதி சமாதியில்
பாதி வெளியே


முனைவர் முக்தி ஷர்மாவின் கதை..


வெளியே கடும் குளிர். பள்ளத்தாக்கு முழுவதும்  பனிபடர்ந்த கட்சி வெள்ளை மேலாடை போர்த்தியது  போன்ற காடசி,
   அதிக் அம்மாவாகி  அவர்கள் வீட்டில் 
ஐந்தாவது குழந்தை பெற்றெடுக்க தயாராகிவிட்டாள்.

 ஹபிபுல்லாவிற்கு மிகவும் மகிழ்ச்சி.
 குழந்தை முதலோ அல்லது ஐந்தாவதோ 
 பெற்றோர்களுக்கு பிரியமானவர்களே.
ஐந்து விரல்களும் ஒன்று போல் இருப்பதில்லை.
 ஆனால் ஒரு விரலை வெட்டினால் வரும் வலி போலத்தான் அடுத்த விரலை வெட்டினாலும் வலிக்கும்.அல்லாவின் பரிசு தான்குழந்தை என்பது ஹபிபுல்லாவின் நம்பிக்கை.அதனால் குழந்தை முதலோ ஐந்தாவதோ எவ்வித வேறுபாடும் இருக்காது.

 வெளியில் பனிச்சாரல் அடிக்கும் போத  அதிக்கிற்கு பிரசவி வலி எடுக்க ஆரம்பித்தது..
அவள் கணவனைக் கூப்பிட்டாள்.
மனைவியின் பிரசவவலி தெரிந்ததும் உடனே விரைவாக மருத்துவமனைக்கு மனைவியை அழைத்துச் சென்றான். அதீக்கை மருத்துவமனையில் சேர்த்தான்.
மரூத்துவர் அவளை பிரசவ அறைக்கு அழைத்துச் சென்றார்.ஹபிபுல்லா இறைவனிடம் வேண்டினான்.எங்கள் மேல் இரக்கம் காட்டு.கருணை காட்டு.
மருத்துவர் அபிபல்லாவின் மன கல்க நிலை கண்டு தேற்றினார்.கடவுள் அனுக்கிரகம் இருந்தால் விரைவில் நீ அப்பா ஆகிவிடுவாய்..
 அதீக்கின் குடும்பத்தினர் மருத்துமனைக்கு வந்தனர்.அனைவரும் தாயையும் சேயையும் நலமாக வைக்க இறைவனைவேண்டினர். ஹபிபுல்லாவிற்கு தைரியம் அளித்து ஆலோசனை கூறினர்.
மருத்துவரும் செவிலியரும் முன்னும் பின்னும் ஓடிக்கொண்டிருந்தனர்.ஹபீப் மகன் வேண்டிய பொருட்களை வாங்கி வந்தான். சாஜாத் அப்பாவிடம் இன்னும் எதுவும் வாங்க வேண்டாம். என்றான்.பிரசவ அறை கதவு திறந்ததும்  அனைவரும் ஆர்வமாக மருத்துவரைப் பார்த்தனர். மருத்துவர் வாழ்த்துடன் ஆண்குழந்தை பிறந்த செய்தியைக் கூறினார்.
ஹபிமுல்லா எல்லையில்லா மகிழ்ச்சி அடைந்தான். அவள் மனைவி குழந்தையைப் பார்த்து புன்னகை பூத்தாள்.குழந்தையின் உருண்டை முகம்  ஒளிவீசி மிக அழகாக இருந்தது. குழந்தையின்  ஒளிவீசும் முகத்திற்கு முன் மற்ற முகங்கள் கலை இழந்து காணப்படும். அந்த அன்பான குழந்தையின் பெயர் ஜாவேத்  என்று சூட்டப்பட்டது.
அதீக் எப்பொழுதும்   குழந்தையைச் சுற்றி கஷ்மீர் ஃபிரன் என்ற ஆடையில் போர்த்தி வைத்திருப்பாள்.  காஷ்மீரில்  அதிகம் குளிராக இருந்தால் அவள் கவனம் குழந்தையைச் சுற்றிவைக்கும்ஆடையின்மீது தான் இருக்கும்.குளிரிலிருந்துகாப்பாற்றசுற்றியஆடைவைத்திருப்பாள்.

 உலகத்தின் திருஷ்டி தோஷத்தில்  இருந்து ஜாவேத் தைக்  காப்பாற்ற விரும்புகிறாள் என்று கூறலாம். நேரம் விரைவாக சென்று கொண்டிருந்தது. ஜாவீத் தன் தெருக்களில் மற்ற  குழந்தைகளுடன் விளையாடிக் கொண்டிருந்தான். அவனுடைய பாட்டி ஜேபஆப்பா மிகவும் நேர்மையானவள். அவர் வீட்டிற்கு வருபவர்கள் ஒருவரும் பசியோடு செல்வதில்லை.  தெருவில் செல்லும் பயணிகளை சாப்பிடக் கூப்பிடுவார். தண்ணீர் வழங்குவார். அவருடைய வீட்டில் உணவிற்குப் பஞ்சமில்லை.அவரின் வீட்டின் நிலை மிகவும் உயர்ந்த நிலை.  

ஒரு நாள் சல்மாவிற்கு பாட்டியின் மீது மிகவும் கோபம் வந்து விட்டது. அவன் பாட்டியிடம் "உன்னுடைய சாப்பாட்டை பயணிக்கு கொடுத்துவிட்டாய். நீ இப்பொழுது என்ன சாப்பிடுவாய்? 
  அதற்கு பாட்டி கூறுவாள் --பார்த்தாய் அல்லவா?  எவ்வளவு தூரத்தில் இருந்து அந்தப்  பயணிவந்திருப்பான். அவனுக்குப் பசிக்குமல்லவா? நான் ஒரு தேனீர் போட்டு குடித்துவிடுவேன். அவர்கள் சாப்பிடும் போது அவர்களுடைய  ஆசிர்வாதங்களைக் கேட்டாயல்லவா ? நீ இப்ப குழந்தை. உனக்குப் புரியாது. அல்லா எந்த உருவத்தில் வருவார் என்று தெரியாது. நான் சொல்வதைக் கேள். நினைவில் வைத்துக் கொள்.வீட்டிற்கு வருவோருக்கு உணவு அளிக்காமல் அனுப்பக்கூடாது. இந்தப் பணிக்கு அல்லா மகிழ்ச்சி அடைந்து ஆசிர்வதிப்பார். 
  ஜாவூத் அங்கே நின்று கொண்டிருந்தான். அப்பொழுது அவனிடம் அவன் அம்மா, "அப்பா வருகிறார். புத்தகத்தை எடுத்துக் கொண்டு உள்ளே போ "என்றாள்.

ஜாவேத் அங்கேயே நின்று கொண்டிருந்தான்.அவன் வருத்த்த்துடன் பாட்டியிடம் கேட்டான். புத்தகங்கள் படிக்க நானும் போகலாமா ?
ஜாவேத் அங்கேயே நின்று கொண்டிருந்தான். மிகவும் அப்பாவித் தனத்துடன் பாட்டியிடம் கேட்டான். நானும் புத்தனம் படிக்கப் போகாமா? 
அவனுடைய அப்பாவியான முகமும் கேள்வி கேட்ட விதமும் பாட்டியை சிரிக்க வைத்தது.பாட்டி கேட்டாள் -" நீயும் படிக்க விரும்புகிறாயா ?ஆமாம்,நீங்கள சல்மா அக்காவிடம் சொன்னீர்கள் இல்லையா? புத்தகம் எடு என்று.
 சல்மா உயர் வகுப்பு படிக்கிறாள். அவள் உன்னைவிட பெரியவள். உன் வயது விளையாடும் வயது. போ, விளையாடு. பாட்டி சொன்னாள். 
சரி பாட்டி.முதலில் எனக்கு இனிப்பு கொடு.பாட்டி உடனே இரண்டு மிட்டாயிகள் தன் ஃப்ரனில் இருந்து எடுத்துக் கொடுத்தாள்.ஜாவேத் குதித்துக் கொண்டே தெருவிற்கு விளையாடச் சென்றான். 
 அவன் இரண்டு மிட்டாயிகளையும் வாயில் போட்டுக் கொண்டான்.  அவன் அன்னை அதீக் தொலைவில் நின்று கொண்டு ஜாவீத்தின் நடவடிக்கைகளைப் பார்த்துக் கொண்டிருந்தாள்.முதியவர்கள் வீட்டில் இருக்கவேண்டிய அவசியம் பற்றி மனதில் நினைத்துக் கொண்டிருந்தாள்.பெரியவர்களும் வயதானவர்களும் தான் குழந்தைகளுக்கு நல்லவை தீயவை பற்றிய அறிவுரைகளைக் கொடுத்து ஞானத்தை வழங்குகிறார்கள்.
காலங்கள் கழிந்தன. ஜாவேத் பெரியவனாகிவிட்டான். ஒரு நாள் அவன் தன் மாமாவீட்டிற்குச் செல்லவேண்டும் என அடம்பிடித்தான்.அவன் மாமா வீட்டிற்குச் சென்றான். அனைவரும் சாப்பிட்டுவிட்டுத் தூங்கிவிட்டனர். 
 திடீரென பக்கத்து அறையில் இருந்து சத்தம் வந்தது. எல்லோரும் வெளியே பயந்து ஓடினர்.
 ஜாவேத்தின் மாமா மற்றும் வீட்டின் உறுப்பினர்கள்அனைவரும்
பயங்கரவாதிகளன் துப்பாக்கி முனையில் இருந்தனர்.   அவன் அதைப்பார்த்து பிரமித்தான்.தீவீரவாதிகள் ஒன்றன் பின் ஒன்றாக தன் துப்பாக்கிக்கு இரயாக்கினர். துப்பாக்கி குண்டு ஜாவேத்தினெ இடுப்பில் நுழைந்தது .அவன் காயமடைந்தான். தீவீரவாதிகள் அங்கிருந்து ஓடிவிட்டான். 
ஜாவேத் தரையில்விழுந்து துடித்துக் கொண்டிருந்தான். 
ஹபிபுல்லாவிற்கு தொலைபேசி வந்தது.
 ஹபிபுல்லாவிற்கு  செய்தி வந்ததும் அவன் நிலைகுலைந்தான். அவன்நிலை குலைந்தது.

அண்ணி,அண்ணன், மருமகன்,பிணங்கள்.ஜாவேத்துடித்துக் கொண்டிருந்தான்.அவனைமருத்துவ
மனைக்கு அழைத்துச் சென்றனர்.  இரண்டுஆண்டுகள் ஜாவேத்திற்கு சிகிச்சை நடந்தது. அவனுக்கு இடுப்புக்குக கீழ் உள்ள பகுதி இயங்கவில்லை.சக்கர நாற்காலியில் அமரவைத்தனர். பல அறுவை சிகிச்சைகள் நடந்தன. 
  ஜாவேத் தைரியத்தை இழக்கவில்லை. அவன் மடிகணினி வழியாக எல்லோருக்கும் உதவி கேட்டு கடிதம் எழுதினான். அப்பொழுது ஜாவேத்திற்கு தன் மேல் இரக்கம் வந்தது. அவன் மாற்றுத் திறனாளிகளுக்கு உதவிசெய்ய வேண்டும் என நினைத்தான்.எல்லோராலும் வெறுக்கப் படுபவர்களுக்கு ஏன் நான் உதவக் கூடாது ?என்ற எண்ணம் உதித்தது. 
 அவன் தன் வீட்டில் மாற்றுத் திறனாளி குழந்தைகளுக்கு கல்வி கற்பிக்கத் தொடங்கினான். இந்தப் பணி அவ்வளவு எளிதாகவில்லை,அவன் குடும்பத்தினரும் அவன் நண்பர்களும் அவனுக்கு அனைத்துவித உதவிகளும் செய்தனர். 
அவன் தன் பாட்டி ஜேபா ஆபா பெயரில் பள்ளி துவங்கினான்.மற்ற தாலுகா குழந்தைகளையும் சேர்த்துக் கொண்டான். மெல்ல மெல்ல பள்ளியில் மாணவர் எண்ணிக்கை அதிகமாகியது. ஜாவேத் மிகவும் கடினமாக உழைத்து குழந்தைகளுக்கு கற்பித்தான்.





குழந்தைகளுக்கு கணினி கற்பித்தான். அவர்களுக்கு தன் சொந்தக் காலில் நிற்க பயிற்சி அளித்தான். சி.என்.ஜீ.ஓ.ஜாவேத்திற்கு உதவி அளித்தது.
அது ஜாவேத்திற்கு  அதிகம் ஊக்கமளித்தது.
ஜேபா ஆபா பெயரில் ஜாவேத் பள்ளி நடந்துகொண்டிருக்கிறது.
நூற்றுக்கணக்கான மாணவர்கள் படித்துக் கொண்டிருக்கின்றனர்.யாருமே உதவி செய்ய முன் வராத குழந்தைகளுக்கு ஜாவேத் உதவி செய்து கொண்டிருக்கிறான். வாழ்க்கை ஜாவேத்திற்கு புதிய புதிய அறைகூவல்களைவிடுத்துக் கொண்டிருக்கிறது.
ஜாவேத் இலவசமாக கற்பிக்க விரும்பும் பவ ஆசியர்களை நியமனம் செய்தான். எல்லோரும் அவனுக்கு உதவி செய்தனர்.  
 குழந்தைகள் வீட்டில் மிகவும் அசுத்தம் செய்கின்றனர். ஜாவேத்தின் சகோதரிகள் சகித்துக் கொண்டு சுத்தம் செய்கின்றனர். 

அம்மா! தினந்தோறும் ஜாவேத் இந்த குழந்தைகளை வீட்டிற்கு அழைத்து வந்து கற்பிக்கிறா். இவர்கள் செய்யும் அசுத்தத்தை
நாங்கள் நாள் முழுவதும் சுத்தம் செய்கிறோம்.நீங்கள் பார்த்துக் கொண்டே இருக்கிறீர்கள். ஏன் ஜாவேத்திற்கு விளக்கக் கூடாது. 
அல்லாவிற்காக நீங்கள் பேசாமல் இருங்கள். நான் ஜாவேத்திடம்  பேசுகிறேன். அவன் மனம் கஷ்டப்படும். நீங்கள் உங்கள் வாயைத் திறக்கக் கூடாது. ஜாவேத் என். ஜி.ஓக்கள் உதவியால் ஒரு கட்டிடம் கட்டி அங்கே ஒரு பள்ளி திறந்து அனைத்து குழந்தைகளையும் அங்கே தங்கவைத்தான்.
காஷ்மீர் சுற்றி பார்க்க வருபவர்கள் பிரஜ்பிஹாடாவில் ஜவேத்தின் ஹெல்ப் லயன் பள்ளி பார்க்க கட்டாயம் செல்வார்கள். 
அனைவரும் அவர்களுக்கு உதவிகள் செயெதனர். 

மெல்ல மெல்ல பள்ளியில் மாணவர்கள் எண்ணிக்கை அதிகரிக்கத் தொடங்கியது. நாலா பக்கங்களிலும்  ஜாவேத்தைப்பற்றிய சர்ச்சைகள் நடந்தன.அவனை பல நிறுவனங்கள் கௌரவித்தன.அவன் சக்கர நாற்காலியில் அமர்ந்திருந்தான்.ஒருவரும் உதவ முன் வராத குழந்தைகளுக்கு உதவிக் கொண்டிருந்தான். அந்த குழந்தைகள் அந்த குடும்பத்திற்கே சுமையாக இருந்தனர்.
அதீக்: ஜாவேத், உன்னிடம் நான் ஒருவிஷயம் சொல்லவேண்டும். என்னம்மா? 
நானும் அப்புவும் உனக்கு திருமணம் செய்ய விரும்புகிறோம். நீ நிக்காஹ் செய்து கொள்.
என் இந்தக் குழந்தைகள் நிலை என்ன ஆகும்? யார் இவர்களை கவனிப்பார்கள்?இந்த குழந்தைகளை அன்பாககவனி்க்கின்ற பெண் யார்? இந்த குழந்தைகளுக்காக நான் திருமணம் செய்து கொள்ளமாட்டேன். நான் இப்படியே இருந்து கொள்கிறேன்.அதுதான் சரி.
என்னைப் பற்றிய கவலை வேண்டாம்.என் பாதி உடல் சமாதியில் உள்ளது. பாதி சக்கரநாற்காலியில். ஜாவேத் தன் பாதி உடலை சமாதியில் புதைத்த நினைவலைகள் அதீக் கணகள் முன் நிழலாடின.
  ஜாவேத் சாஹப் உங்கள் உடலின் கீழ்பகுதி முற்றிலும் செயலிழந்து விட்டது. பலமிழந்துவிட்டது. நாங்கள் உங்களுக்கு செயற்கை கால்களைப் பொறுத்த விரும்புகிறோம். உங்களுக்கு சற்றே வசதி கிடைக்கும். என்று மருத்துவர் சொன்னார். 
ஜாவேத்--நீங்கள் எந்த வசதியைச் சொல்கிறீர்கள்? இத்தனை ஆண்டுகளாக சக்கர நாற்காலியில் வாழ்க்கையை கழித்துக் கொண்டிருக்கிறேன். ஒரு உதவி செய்யுங்கள், இந்த கால்களை வெட்டிக் கொடுத்து விடுங்கள்.நான் சமாதியில் புதைத்து விடுகிறேன். 
என்ன பேசுகிறீர்கள்? சமாதியில் அடக்கமா?
இந்த கால்கள் பயனில்லை.இந்த உடலும் ஒருநாள் அடக்கம் செய்யப்படும்.இதை விட நல்லது,இந்த கால்களை நான் உயிருடன் இருக்கும் போதே அடக்கம் செய்துவிடலாமே.

இதைப் பற்றி நான் எதுவும் சொல்ல முடியாது. உங்களுக்கு சலாம் என்று  கூறி டாக்டர் அறையில் இருந்து சென்றுவிட்டார்.
டாக்டர் சென்றுவிட்டார்.ஆனால் ஜாவேத் ஒரு புதிய தேர்விற்குத் தயாரானார். இந்த பையன் அதிகம் பொறுத்துக் கொண்டான். அதனால் இந்த பையனுக்குத் திருமணம் செய்து வைக்கலாம் என நினைக்கிறேன்.
இவனை சில நேரம் அமைதியாக சந்திக்கலாம்.
அம்மா,இந்த மனிதனுடன் யார் திருமணம் செய்து கொள்வாள்? அதீக் கண்களில் கண்ணீர் வழிந்தது.
என் குழந்தாய்! உன்னில் குறை எதுவும் இல்லை. பிரதமர் பத்மஸ்ரீ பரிசு தருவதாக அறிவித்திருக்கிறார். அதில் உன் பெயரும் இருக்கிறது. நீ பத்மஸ்ரீ வாங்க தில்லிக்குப் போகவேண்டும்.
 ஜாவேத்தை வாழத்த மக்கள் வரிசையில் நின்றனர். நீங்கள் மிகவும் நல்ல பணி செய்திருக்கிறீர்கள். நீங்கள் நல்ல மகனைப் பெற்றெடுத்திருக்கிறீர்கள். 
அவன் கிராமத்தின் பெயரை புகழ் பெறச் செய்துவிட்டான்.

அம்மா! எனக்கு பத்மஸ்ரீ கிடைத்ததால் மிகவும் மகிழச்சியாக இருக்கிறேன்.இந்த குழந்தைகளால் தான் எனக்கு பத்மஸ்ரீ கிடைத்திருக்கிறது.
கண்ணீர் மளமள வென்று கண்ணீர் பெருக்கெடுத்தது. மகனே! பேசாமல் இரு. இந்த குழந்தைகளுக்காக நீ மிகவும் உழைத்திருக்கிறாய். அரசுக்கு நன்றி என் சேவை  காரியத்தைப் புகழ்ந்து  என்னைப் புகழ்ந்திருக்கிறார்கள். இப்பொழுது தில்லி செல்ல வேண்டும்.
ஜாவேத்திற்கு பத்மஸ்ரீபட்டத்தால் புதிய பெயர் கிடைத்தது. 
ஜாவேத் தன் குடும்பத்துடன் மகிழ்ச்சியாக இருக்கிறேன். இப்படிப்பட்டமக்களுக்கு உதவிசெய்வது அவனுக்கு சுகமாக இருந்தது.அரை உடல் சமாதியில்அடக்கம் செய்யப்பட்டுள்ளது.இதை நினைத்து மனிதனின் உடல் புல்லரிக்கும்.
ஹெல்ப் லயன் பள்ளிதான் ஜாவேத்தின் குடும்பமாகும்.

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 कड़ाके की बर्फ पड़ रही थी चारों ओर बर्फ ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सफेद चुनरी ओढ़ी हो घाटी ने…
इधर  अतीक मां बनने वाली है उसके घर पांचवें बच्चे onlyका जन्म होने वाला है।
हबीबुल्लाह बहुत खुश है। Bsसंतान चाहे पहली हो या पांचवी मां बाप को सब बच्चे प्यारे होते हैं। कहते हैं ना, “पांच उंगलियां बराबर होती हैं। एक उंगली को काटो तब भी उतना ही दर्द होता है दूसरी को काटो तब भी उतना ही दर्द होता है।”
हबीबुल्लाह का मानना है कि औलाद अल्लाह का दिया हुआ अनमोल तोहफा है। इससे  कोई फर्क नहीं पड़ता बच्चा पहला हो या पांचवां।
बाहर हल्की-हल्की बर्फ पड़ रही थी,तभी अतीक  को पेट में दर्द महसूस हुआ उसने हबीबुल्लाह को बुलाया – अजी सुनते हो, कहां हो ? जल्दी आओ। 
“क्या हुआ?”
“मुझे पेट में जोरों से दर्द हो रही है। मुझे लगता है कि समय हो गया है हमें अस्पताल चलना चाहिए।” ऐसा बोलने की देर थी कि जल्दी-जल्दी हबीबुल्ला ने  जैसे- तैसे अतीक को अस्पताल पहुंचा दिया। 
डॉक्टर ने बोला इन्हें जल्दी से लेबर रूम में ले चलो। हबीबुल्लाह बहुत परेशान था। 
“अब क्या होगा? हे, मेरे अल्लाह मुझ पर रहम करम करना।” 
डॉक्टर ने जब हबीबुल्लाह की हालत देखी तो कहा कि – “आप परेशान मत होइए । अल्लाह पर छोड़ दें, सब ठीक होगा। अल्लाह ने चाहा तो आप थोड़ी ही देर में अब्बू बन जाएंगे।” 
अतीक का सारा परिवार अस्पताल पहुंच चुका था। सब अल्लाह से दुआ मांग रहे थे, कि मां और बच्चा सही सलामत रहे, हबीबुल्ला पास में रखी कुर्सी पर बैठा था, सब उसे हौसला दे रहे थे। 
डॉक्टर नर्स आगे-पीछे दौड़ रहे थे, हबीब का लड़का दुकान पर जाकर सारा सामान ले आया। “अब्बू, कुछ और तो नहीं लाना।” सज्जाद ने पिता से कहा। 
“नहीं। तुम यहां बैठ जाओ और आराम करो।” 
जैसे ही लेबर रूम का दरवाजा खुला आधे घंटे के बाद ,सब लोग दरवाजे की तरफ लपके तो डॉक्टर ने कहा – “खुशखबरी है। मुबारक हो। लड़का पैदा हुआ है।”
हबीबुल्लाह की खुशी का ठिकाना नहीं रहा अतीक ने जब बेटे का चेहरा देखा तो वह मन ही मन मुस्कुराने लगी इतना प्यारा बच्चा गोल- मटोल उसके चेहरे पर अद्भुत तेज था।
उस बच्चे के चेहरे की चमक के आगे सब फीका था, उस प्यारे से बच्चे का नाम जावेद रखा गया । 
अतीक हमेशा जावेद को फिरन में रखती थी। ताकि दुनिया की बुरी नजर से  बचाए, दूसरा कश्मीर में बर्फ जब पड़ती है तो ठंड बहुत हो जाती है। ठंड से बचाने के लिए फिरन में ही डाल के रखती थी। 
“यू कहो कि दुनिया की नजर से छुपाना चाहती हो क्योंकि जावेद बहुत ही सुंदर था”! समय अपनी रफ्तार पकड़ रहा था जावेद बड़ा हो रहा था जावेद अपने 
मोहल्ले के बच्चों के साथ खेलता रहता था! उसकी दादी जे़बाआपा बहुत नेक औरत थी कोई भी भूखा उनके घर से नहीं जाता वह जितने भी मुसाफिर गली से गुजरते सभी को कहती – आओ खाना खा लो पानी पीकर जाओ।
उनके घर में अन्न की कमी नहीं थी ना दिल छोटा था …ऐसा था उनके घर का माहौल! 
जे़बा आपा को कभी गुस्सा नहीं आता था। कई बार तो  खाना खा रही होती थी तो तभी कोई भिखारी दरवाजे पर आ जाता तो अपनी थाली से दे देती…
एक दिन सलमा को बहुत गुस्सा आया तो उसने पूछा – “आपने अपना खाना मुसाफिर को दे दिया? अब आप खुद क्या खाओगी?” 
“मेरा छोड़ो देखा नहीं कितनी दूर से आया था भूख लगी थी उसको? मेरा क्या है चाय बनाकर पी लूंगी अभी। सलमा तुमने देखा नहीं खाना खाते वक्त कितनी दुआएं दे रहा था। तू अभी बच्ची है तुझे नहीं पता? अल्लाह किस रूप में आ जाए यह पता नहीं। इसलिए मेरी बात याद रखना कभी भी अपने घर से किसी को बिना खाए ना जाने दो। अगर कुछ भी ना हो एक गिलास पानी ही पिला दो। इसी में अल्लाह खुश रहते हैं और बरकत देते हैं।”
जावेद वहां पर खड़ा था, तभी अम्मी ने कहां तुम जाओ यहां से अपनी किताबें निकालो अब्बू तुम्हारे आते ही होंगे। 
जावेद वहीं खड़ा था। बड़ी मासूमियत से दादी से पूछने लगा – मैं भी जाऊं? 
किताबें पढ़ने? 
उसका मासूम सा चेहरा और प्रश्न ने दादी को हंसने पर मजबूर कर गया…”दादी ने पूछा तुम भी पढना चाहते हो?”
“हां, आपने सलमा दीदी को बोला ना किताबें निकालो।” 
“हां मैंने सलमा दीदी को बोला क्योंकि वह बड़ी क्लास में पढ़ती है तुम्हारे तो खेलने के दिन है।जाओ खेलो।” ठीक है पहले तुम मुझे मिठाई दो दादी ने फिरन से दो टाफिया निकाल कर दी। जावेद कुदता हुआ गली की तरफ चला गया।
उसने जल्दी से दोनों टाफिया मुंह में डाल दी… दूर खड़ी अतीक सारा तमाशा देख रही थी और मन ही मन सोच रही थी कि बुजुर्गों का घर में होना कितना जरूरी है।” बड़े-बूढ़े ही तो बच्चों को अच्छे बुरे का ज्ञान देते हैं!” 
समय बीतता गया और जावेद बड़ा हो गया उसने एक दिन मां से जिद की, कि वह अपने  अंकल के घर पर जाएगा।
जावेद अपने अंकल के घर गया खाना खाकर सब सो गए। 
अचानक दूसरे कमरे से शोर सुनाई देने लगा भागते हुए सब बाहर आए। देख कर  हैरान हो गए कि जावेद के अंकल और घर के बाकी सदस्य आतंकवादियों की बंदूक के निशाने पर थे। 
आतंकियों ने एक-एक करके सबको अपना निशाना बनाया, बंदूक की गोली जावेद की कमर से निकली और जावेद घायल हो गया। आतंकवादी वहां से भाग गए।
जावेद जमीन पर तड़पता रहा।
हबीबुल्लाह को जब फोन आया .हबीबुल्लाह को जब फोन आया तो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। भाई  की लाश ,भाभी,भतीजा। सब …
जावेद तड़प रहा था, उन्होंने जावेद को उठाया अस्पताल ले गए।
दो साल तक जावेद का इलाज चलता रहा। 
उसकी कमर का नीचे वाला हिस्सा बैठ चुका था और वह व्हीलचेयर पर आ गया और बहुत से ऑपरेशन हुए। 
जावेद ने हिम्मत नहीं हारी और घर पहुंच कर उसने लैपटॉप की मदद से सभी को चिट्टियां लिखना शुरू कर दी ताकि उसकी कोई मदद करें।
“तब जावेद को ख्याल आया और अपने आप पर तरस भी आ रहा था उसने सोचा क्यों ना ऐसे लोगों की मदद की जाए जो विकलांग हैं। क्यों ना मैं ऐसे लोगों का सहारा बनूँ  जिन्हें सब ठुकरा देते हैं।”
वे अपने घर में विकलांग बच्चों को शिक्षा देता रहा ,यह काम इतना आसान नहीं था इसमें उसके परिवार ने बहुत साथ दिया और उसके दोस्तों ने उसकी मदद की। 
जावेद ने करके दिखाया उसने जे़बाआपा नाम का स्कूल खोला और दूसरी तहसीलों के बच्चों को भी जोड़ना शुरु किया।
धीरे-धीरे स्कूल में और बच्चे  दाखिला लेने लगे सभी बच्चों को उसने बड़ी मेहनत के साथ पढ़ाया लिखाया।
बच्चों को कंप्यूटर भी सिखाया , कि वह अपने पैरों पर खड़े हो सके बहुत सी एन जी ओ ने जावेद की मदद की जावेद की मेहनत रंग लाई।
  
जे़बा आपा नाम से जावेद का स्कूल चल रहा है और जिसमें सौ से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं।
जावेद उन बच्चों की मदद कर रहा है जिनकी मदद कोई नहीं करता।
जिंदगी जावेद को  नित नई  चुनौतियां दे रही थी।
जावेद ने उस स्कूल में बहुत से टीचरों को भी लगाया जो मुफ्त शिक्षा दे रहे थे । सभी ने जावेद का साथ दिया। 
बच्चे घर में बहुत सा गंद फैला देते थे और उनकी बहनें चुपचाप करके उस गंद को समेटती रहती थी।
“अम्मी आपने देखा ना जावेद भैया रोज इन बच्चों को घर पर ले आते हैं और पढ़ाते हैं और यह इतना गंध फैलाते हैं  हम पूरा दिन सफाई करती रहती हैं। क्या आप समझा नहीं सकती जावेद भैया को?” 
“अल्लाह के वास्ते आप लोग चुप हो जाओ कोई बात नहीं मैं जावेद से बात करूंगी। उसे बहुत बुरा लगेगा।तुम अपना मुंह मत खोलो।”
जावेद ने सोचा जमीन तो है क्यों ना स्कूल खोला जाए । फिर क्या था,एन जी ओ की मदद से एक बिल्डिंग बनाई और वहीं पर सभी बच्चों को रखा।
जो भी कश्मीर घूमने जाता बृजबिहाडा में जावेद का हेल्पलाइन स्कूल  देखने जरूर जाता।
सब लोगों ने मदद की।
धीरे-धीरे उस स्कूल के बच्चों की संख्या बढ़ने लगी और चारों ओर जावेद के नाम की चर्चा भी होने लगी। जावेद को जगह-जगह सम्मानित किया जाता क्योंकि वह खुद तो व्हीलचेयर पर था। ऐसे बच्चों के लिए काम कर रहा था जिनकी कोई मदद नहीं करने को तैयार था।
ऐसे बच्चे अपने परिवार के लिए भी बोझ बन जाते हैं।
अतीक :जावेद मुझे तुमसे एक बात करनी है? जी अम्मी बोले क्या बात करना चाहती हैं? मैं और तेरे अब्बू चाहते हैं कि तुम निकाह कर लो। मेरे इन बच्चों का क्या होगा? कौन इन्हें पालें पोसेगा ?” 
“कौन ऐसी लड़की होगी? जो मेरे इन बच्चों से प्यार करेगी इन बच्चों के लिए मैं शादी नहीं कर सकता मैं जैसा हूं वैसा ठीक हूं। “
आपको मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है, आप तो जानती हैं मेरा आधा शरीर कब्र में है और आधा व्हील चेयर पर। 
सारी बात फिर से अतीक की आंखों के आगे घुमने लगी किस तरह जावेद ने अपने जीते जी अपना  आधा शरीर  कब्र में दफन कर दिया था।
जावेद साहब आपके शरीर के निचले हिस्से में बिल्कुल ताकत नहीं है यह बिल्कुल काम नहीं कर रहा तो हम चाहते हैं कि आपकी नकली टांगे लगा दी जाए ताकि आपको थोड़ी सी सहूलियत हो डॉक्टर साहब आप कौन सी सहूलियत की बात  कर रहे हैं? मैं तो इतने सालों से व्हीलचेयर पर जिंदगी गुजर रहा हूं एक काम  करो आप इन टांगों को काट ही दो मसला ही खत्म हो जाएगा और मैं कब्र में दफन कर देता हूं।
कैसी बातें कर रहे हैं कब्र में दफन जीते जी आप अपनी टांगों को कब्र में दफन करेंगे? जब इनका कोई काम ही नहीं है तो यह शरीर भी तो एक दिन कब्र में जाना ही है तो इससे बेहतर है कि अपने जीते जी ही मैं टांगों को भी दफ़न कर दूँ।
“इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता बस आपको सलाम है डॉक्टर  इतना कहकर कमरे से चला गया।”
डॉक्टर तो चले गए, पर जावेद एक नई परीक्षा  के लिए तैयार हो गया। इस लड़के ने इतना कुछ बर्दाश्त किया है तभी तो सोच रही हूं कि इस लड़के की शादी कर देते हैं ताकि इसे कुछ पल सुकून के मिल सके।”
“अम्मी, ऐसे इंसान से कौन शादी करेगा?” 
अतीक की आंखें आंसुओं से भर आई…
“मेरे बच्चे तेरे में कोई कमी नहीं है। पता है, प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की है कि पद्मश्री लोगों को दिया जाएगा उसमें से तेरा नाम भी है और बहुत जल्दी तुझे दिल्ली पद्मश्री लेने के लिए जाना है।”
“बस फिर क्या था? जावेद के घर  लोगों की लाइन लगी सभी मुबारक देने आ रहे थे आप ने बहुत अच्छे कर्म किए हैं कि ऐसा बच्चा पैदा हुआ है जिसने पूरे गांव का नाम रोशन किया है।”
“अम्मी मैं आज बहुत खुश हूं। यह पद्मश्री अगर मिला है तो सिर्फ इन बच्चों की वजह से मिला है।”
“आंसू छम छम छलकने लगे।”
“मेरे बेटे चुप हो  जा, तूने भी तो बहुत मेहनत की है इन बच्चों के लिए।”

“चलो शुक्र है सरकार को तो तरस आया उन्होंने मेरे कार्य की प्रशंसा की और मुझे अब जल्दी ही दिल्ली जाना है।” 
जावेद को पद्मश्री से नवाजा गया। 
जावेद अपने इस परिवार के साथ बहुत खुश है। ऐसे लोगों की मदद करने में उसे सुख का अनुभव होता है।
एक ऐसा इंसान जिसका आधा शरीर उसके पास हो आधा कब्र में दफन हो, सोचकर ही इंसान के रौंगटे खड़े हो जाते हैं।
हेल्पलाइन स्कूल ही जावेद का परिवार है।