तिरुक्कुरल.
संयम नियंत्रण
- .அடக்கம் அமரருள் உய்க்கும் அடங்காமை
ஆரிருள் உத்துவிடும்.
संयम या नियंत्रण मनुष्य को यश देगा .
( देवों में आत्मसात करेगा,)
अनियंत्रण अन्धकार में डाल देगा.
காக்க பொருளா அடக்கத்தை ஆக்கம்
அதனினூஉங் கில்லை உயிர்க்கு.
२
आज का छला ,अभी से फूँक फूँककर चला।
छला जाने से सतर्कता आ जाती है।
प्यार करके ठगने पर , सनक हो जाता है।
सतर्कता आती नहीं। प्यार क्यों होता है दीवाना?
दिल दिल में भिन्न भिननता, पर
घृणितों के प्रति भी दीवाना।
प्यार के हार में हत्या आत्महत्या
प्यार के न मिलने पर अम्ल फेंकना।
यह घृणित व्यवहार क्यों?
यह कौन सी माया? कौन सी शैतानियत ?
आसुरी व्यवहार क्यों ?
युवकों! जागो! जितेंद्र बनो।जीतो संसार।
मोर जैसा नाच मत। मनुष्यता जानो। मनुष्य बनो।
विदेशी वस्तुएँ लेना मना है।
पढने में सुनने में लिखने में
आनंद।
व्यवहार में देखें तो
जीविकोपार्जन की भाषा अंग्रेज़ी
पेट्रोल डीजल विदेशी।
पहनावा ओढावा विदेशी।
कार मोटर मोब इल विदेशी
बडी बडी योजनाएँ विदेशी।
मुगल ईसाई धर्म विदेशी
हमारे वेदों के रचयिता अति दूरदर्शी
बताकर चले गये-
वसुदैव कुटुंबकम्।
सर्वे जनाः सुखिनो भवंतु।
आकाश एक। सूरज एक।
चांद एक। सारे संसार है मेरादेश।
दीवाना हूँ देश का। दिली दोस्तों।
जरा सोचो।
अर्द्ध नग्न अभिनेत्रियों के सम्मान में
देश का कल्याण होगा क्या ?
अभिनेता जो दूसरों के संकेत का मोहक रूप देता है
उससे देश का भला होगा क्या?
अभिनय को ही बल दोगे तो
सत्य का कहाँ ठिकाना।
निराकार में साकार देखना भक्ति है।
साकार में ईशवर साक्षात्कार बाह्याडंबर ,
वायु निराकार बिना उसके जीना असंभव।
जल निर्मल बिना उसके सूख जाता जग।
मिट्टी उर्वरा न हो तो न पनपता वनस्पतियाँ।
आकाश में काले नभ देता पानी।
आग उष्णता न हो क्या बाकी तत्व।
पंच तत्वों का बनता बिगडता जग।
प्रकृति को जानो पहचानो।
कृत्रुम छोडो।सहज सरल सत्य जीवन अपना लो।
स्वस्थ जीवन स्वस्थ आचार स्वस्थ अनुशासन
सोचो जीवन बनेगा कितना आनंद।
हम भारतीय अग जग में व्यापित।
हम केवल अपनी सुरक्षा चाहते हैं
हमारे पूर्वज अपने लिए नहीं
राज पद भी त्यागकर वन को बनाया
अपना निवास स्थान।
राजमहल की सुख -सुविधाएँ तज
सानंद कपडे तक निकाल फेंके महावीर ।
सोलह साल की उम्र में घर छोड
तिरुवण्णामलै मैं आजीवन कोपीन मात्र वस्त्र पहन
अचल रह विदेशों को भी अपनी ओर खींचे
रमण महर्षि।
अर्द्ध नग्न फक्री विश्व वंद्य नेता
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधीजी।
धन को तुच्छ माननेवाले
विश्वप्रसिद्ध स्वामी विवेकानंद
जंगल में सर्दी में नंगे बदन
यूनानी सिकंदर की संपत्ति को हाथ की मैली सा
ठुकरानेवाले दांडियायन।
त्याग,प्रेम,अनासक्त जीवन
माया से दूर आदर्श भारत और कहीं नहीं।