हम भारतीय अग जग में व्यापित।
हम केवल अपनी सुरक्षा चाहते हैं
हमारे पूर्वज अपने लिए नहीं
राज पद भी त्यागकर वन को बनाया
अपना निवास स्थान।
राजमहल की सुख -सुविधाएँ तज
सानंद कपडे तक निकाल फेंके महावीर ।
सोलह साल की उम्र में घर छोड
तिरुवण्णामलै मैं आजीवन कोपीन मात्र वस्त्र पहन
अचल रह विदेशों को भी अपनी ओर खींचे
रमण महर्षि।
अर्द्ध नग्न फक्री विश्व वंद्य नेता
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधीजी।
धन को तुच्छ माननेवाले
विश्वप्रसिद्ध स्वामी विवेकानंद
जंगल में सर्दी में नंगे बदन
यूनानी सिकंदर की संपत्ति को हाथ की मैली सा
ठुकरानेवाले दांडियायन।
त्याग,प्रेम,अनासक्त जीवन
माया से दूर आदर्श भारत और कहीं नहीं।
Wednesday, January 13, 2016
भारतीय
Labels:
सामाजिक विचार
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