अव्वैयार -सुमार्ग --11 तो 15
11.
अव्वैयार कहती हैं :--
हे पेट!एक दिन का खाना छोड़ दो तो न छोड़ोगे;
दो दिन का खाना एक साथ लो तो न मानोगे ;
दुःख प्रद मेरे पेट!तू मेरा दुख न जानोगे !
मेरे पेट !तेरे साथ जीना दुर्लभ.
१२.
नदी तट पर के पेड़ गिर पड़ेगा;
राज- भोग का जीवन भी मिट जायेगा;
लेकिन कृषी ही ऐसा धंधा
जिसका कभी न होगा पतन.
१३
इस सुन्दर भू -गर्भ पर ,
जीने के लिए जो भाग्यवान पैदा हुए हैं ,
उसको कोई मिटा नही सकता;
मरनेवाले को कोई रोक नहीं सकता;
भीख माग्नेवाले को कोई रोक नहीं सकता.
१४ .
भीख माँगकर ,अपमानित जीवन जीने से
मर्यादा की रक्षा करते हुए मरना बेहतर है;
15.
नमः शिवाय मन्त्र जपते हुए ,
जो जीते है न उनको होगा कभी दुःख या डर;
शिव भगवान का नाम जपना ही बुद्धिमानी है.
बाकी सब उपाय दुःख दूर करने बुद्धिमानी नहीं है.
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