sumaarg--सुमार्ग --नल वली-अव्वैयार. ६ to१०
सुमार्ग
अव्वैयार तमिल कवयित्री का नलवली--संघकाल-ई.पू.-२वीन शताब्दी
अव्वैयार कहती है :---
एक व्यक्ति को उनके भाग्य रेखा के अनुसार
जितना मिलना है ,उतना मिल ही जाएगा.
यही संसार में चालू है.
संसार में लहरोंवाले समुद्र पारकर
द्रव्य आदि कमाकर आनेपर
वापस समुद्र तट पर पहुँचने पर
उतना ही आनंद या सुख मिलेगा ,
जितना मिलना है.
उससे अधिक न मिलेगा.
तमिल में एक कहानी हैं --
दो व्यक्ति जैतून का तेल लगाकर
रेतीले प्रदेश में लुढ़ककर उठे.
एक के शरीर पर ज्यादा रेत चिपके हुए थे,दुसरे के शरीर पर कम.
अतः प्रयत्न तो ठीक है,
पर फल उतना ही मिलेगा ,जितना मिलना था.
७.
नाना प्रकार से सोचो ,
कई प्रकार से अनुसंधान करो,
सामाजिक शस्त्र पर खोजो ,
यह शारीर नाना प्रकार के कीड़े और
अनेक प्रकार के रोगों का केंद्र हैं;
एक दिन ज़रूर प्राण पखेरू उड़ जाएगा.
इस बात को चतुर ,बुद्दिमान ज्ञानी जानते हैं.
अतः वे कमल के पत्ते और पानी केसमान संसार से अलग
अनासक्त जीवन जियेंगे.
वे माया जग नहीं चाहेंगे.
संसार से अनासक्त रहेंगे .
८.
अव्वैयार कहती है -
भूलोक वासियों! सुनिए!
बड़ी बड़ी कोशिशों में लगिए;
आपका समय ग्रहों के अनुसार
अनुकूल न हो तो
आपके प्रयत्न में न मिलेगी कामयाबी.
यदि अपने प्रयत्न में सफलता मिल ही जायेगी तो भी
मन चाही चीज न मिलेगी .
ऐसा मिलने पर भी स्थायी न रहकर
वह अस्थायी होगी.
हमें शाश्वत सम्मान देनेवाला इज्जत है.
मर्यादा की तलाश करके पाना ही शाश्वत संपत्ति है.
९.
नदी के बाढ़ सूखने पर ,
रेतीली नदी में पैर रखने पर धूप के कारण पैर जलेगा .
पर वहीं स्त्रोत से पानी निकलकर सुख पहुंचाएगा.
वैसे ही बड़े सज्जन गरीब होने पर भी ,
जो उनसे मांगते हैं ,उनको नकारात्मक उत्तर न देंगे.
१० .
जो मर गया उसका जीवित आना असंभव.
रोओ,साल भर रोओ ;
रोना दुखी होना बेकार.
गाँठ बांधकर रखो --भूलोक वासियों !एक दिन
आप की भारी आयेगी.
अतः जितना हो सके ,
उतना दान -धर्म देकर
आप भी पेट भर खाइए .
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