देवनागरी द्वारा भारतीय भाषा सिखाना आचार्य विनोबा भावे का संदेश है।
मैं तमिल सिखाता हूँ।
नमस्ते। वणक्कम्।
कहते हैं कि
मनुष्य स्वार्थी है।
मनितन सुयनलवादी एन्रु चोलकिरार्कळ।
मैं ने किसी स्वार्थी मनुष्य को नहीं देखा।
नान ऍन्त सुयनलवादियैयुम पार्क्कविल्लै ।
संन्यासी नाम जप करता है।
चन्नियासि नाम जपम् चेय्किरान ।
स्वार्थ के लिए या अपनी मुक्ति के लिए।
सुयनलत्तिर्का अल्लतु तन् मुक्तिक्का।।
वह भक्ति का प्रचार अनजान में ही करता है।
अवन् अरियामलेये भक्ति प्रचारम् चेयकिरान।
उसके कारण कई दानी भक्त ईश्वर नाम जपते हैं।
अवन् कारणमाक अनेक दानम् चेय्युम भक्तर्कळ कडवुळिन नामत्तै जपिक्किन्रनर।
उसने घर तो त्याग दिया,
अवन् वीट्टै तुरंतु विट्टान ।
सोचा --निनैत्तेन।
पर वह आँखें मूँदकर बैठते रहने पर भी कई श्रद्धालु के मन में भक्ति स्त्रोत बहकर दानी बनाता है।
आनाल् अवन् कण्णैमूडि अमर्न्तिरुंदालुम् अनेक चिरत्तैयुळ्ळवर्कळिन मनतिल् भक्ति ऊट्रैप्पेरुक्की दानी आक्कुकिरान।
साधू अपना मोह त्यागकर जनता में भक्ति मोह उत्पन्न करता है।
साधु तन मोहत्तैत् तुरंदु मक्कलिडत्तिल भक्ति मोहत्तै उंडाक्कुकिरान।
मानव स्वार्थी है। ----मनितन् सुयनलवादी।
नहीं, इल्लै।
वह काम करता है =अवन् वेलै चेयकिरान।
अपने परिवार के लिए।=
तन कुटुंबत्तिर्क्का।
बच्चों का पालना ।=कुऴंतैकळै वळर्त्तल।
दूधवाले के लिए कमाता है।== पालकारनुक्काक चंपादिकक्किरान्।
पाठशाला शुल्क के लिए।
पळ्ळि कट्टणत्तिर्क्काक।
कपड़ों की दूकानदार के लिए।तुणिक्कडैक्कारनुक्काक ।
दर्जी के लिए।
तैयल कारणुक्काक।
किराने की दुकान के लिए। पलचरक्कुक् कडैक्काक।
भले ही बहुत बड़ा कंजूस हो,
अवन् पेरिय कंचनाक /(करुमियाक) इरुंतालुम,
उपर्युक्त खर्च करना ही पड़ेगा।
मेलुळ्ळ चेलवुकप्पळ् चेय्यत्तान वेंडुम।
अतः स्वार्थी मनुष्य अनजान में ही परार्थी बनता है।
अतनाल् सुयनलमनितन् अरियामलेये परोपकारी आकिरान्।
एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै।