Tuesday, February 18, 2025

तिरुमूलर। तिरु मंत्र

 


नमस्ते वणक्कम्।

  भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक दृष्टांत के साथ  ईश्वर के महात्म्य  और आध्यात्मिक  अमूल्यता   का महत्व है।

 संत तिरुमूलर  के तिरु मंत्र  ऐसे ही एक महान ग्रंथ हैं।


सूर्य कांत रूई  के  ढेर को  चंद मिनट में जैसे जलाते हैं और धूप के प्रभाव से राख हो जाता है,वैसे ही भगवान झट तीन मलों को जलाकर राख कर देते हैं।

संत तिरुमूल  ने वैज्ञानिक ढंग से  अद्भुत उदाहरण दिया है। आध्यात्मिक प्रयत्न अज्ञानता, 

माया,( प्रारब्ध कर्म ,संचित कर्म,  काम्या कर्म   तीनों को खत्म कहते हैं)कण्म ज्ञान आध्यात्मिक चिंतन से ईश्वरीय करुण को सूर्य के रूप में अन्य तीन मूल को रूई  की तुलना के रुपक देते हैं।

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Monday, February 17, 2025

जीवन के दिन चार

  नमस्ते वणक्कम्।

जीवन के दिन है चार।

 अवस्थाएँ हैं 

 अति सूक्ष्म बिंदुएँ,

  अंधकार में मिलकर,

 तम में पलकर

 गर्भावस्था में  दस महीने।

 गर्भ से बाहर आकर

 शैशवास्था में 

 रोकर हँसकर पलना।

 आश्रित जीवन से शुरू।

 शैशवास्था में से बचपन,

 बचपन से लडकपन,

 जवानी, प्रौढ़ावस्था बुढापा।

  छे अवस्थाएँ 120साल 

 अधिकतम मानव जीवन।

 एक एक अवस्था बीतते बीतते

 आश्रित मानव जीवन निराश्रित सा

 पचास साल, फिर बुढ़ापे में आश्रित।

 माँ का प्यार धीरे धीरे   

 पिता का दुलार धीरे  धीरे।

 पति पत्नी का प्यार अंत तक।

 संतानों का पालन,

 जिम्मेदारी बुढापा।

 बहु दामाद का

 बेटे बेटियों का प्यार

 बुढ़ापे में मिलना भाग्य की बात।

कर्मफल, विधि की विडंबना।।

 सनातन धर्म में 

 आसक्ति की अवस्थाएँ  दो


 शारीरिक शक्ति तक।

प्रौढावस्था में अनासक्ति का श्रीगणेश।

वृद्धावस्था में परिपक्व मन,

 माया मोह तजकर,

 संन्यासी जीवन।

 केवल मोक्ष की चिंता,

ईश्वर का  आत्मचिंतन।

काशी में मरणावस्था में 

 कुछ लोग जलने तैयार।

 न रिश्तों की बातें।

 केवल ईश्वर ध्यान।

 ये 120की पूर्ण जीवन 

 संतोष असंतोष 

 शांति शांति 

 हास्यमय अश्रुमय जीवन।

 यही  मानव जीवन।

सुख दुख की आँख मिचौनी।

  दिन और रात समान।

उजियारे और अंधकार भरा।

 यथार्थता यही, चार दिन की चाँदनी।

 अपना अपना भाग्य।

 सबहीं नचावत राम गोसाईं।।

 

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई द्वारा स्वरचित 

 भावाभिव्यक्ति यथार्थ चित्रण।

[18/02, 3:55 am] Meta AI: आपकी यह रचना मानव जीवन की वास्तविकता को बहुत ही सुंदर और यथार्थ तरीके से चित्रित करती है। आपने मानव जीवन की विभिन्न अवस्थाओं, जैसे कि गर्भावस्था, शैशवास्था, बचपन, जवानी, प्रौढ़ावस्था, और बुढ़ापे का वर्णन किया है।


आपकी रचना में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं:


- मानव जीवन की विभिन्न अवस्थाएं और उनकी विशेषताएं।

- मानव जीवन में सुख और दुख की अनिवार्यता।

- मानव जीवन में रिश्तों और प्रेम की महत्ता।

- मानव जीवन में आत्म-चिंतन और ईश्वर की ओर बढ़ने की आवश्यकता।

- मानव जीवन की नश्वरता और मृत्यु की अनिवार्यता।


आपकी रचना में सनातन धर्म के सिद्धांतों का भी वर्णन है, जैसे कि आसक्ति और अनासक्ति की अवस्थाएं, और मोक्ष की चिंता।


आपकी यह रचना हमें मानव जीवन की वास्तविकता को समझने और जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में सुख और दुख को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती है।

Saturday, February 15, 2025

तमिल हिंदी सेवा தமிழ் ஹிந்தி பணி

 [16/02, 8:55 am] sanantha.50@gmail.com: तमिल हिंदी सेवा 

தமிழ் ஹிந்தி பணி.

     இறைவணக்கம்.

           प्रार्थना।

இன்றைய இறை செய்தி 

आज का ईश्वर संदेश।

              

           ऊँ।ஓம்!

          मानव दुखी हैं, --मनुष्य  तुण्बम उळ्ळवन्  மனிதன் துன்பம் உள்ளவன்.

             चंचल है। -- சஞ்சலம் உள்ளவன். चंचलमुळ्ळवन।

         कारण  --कारणम् 

वह अपने को ही ==अवन त्न्नैये

 =அவன் தன்னையே =

 सर्वे सर्वा मानता है। --அனைத்தும்   என கருதுகிறான். = 

अनैत्तुम् ऍन् करुतुकिरान्।


सद्यःफल के लिए  ==உடனடி நலனுக்காக

उडनडि पलनुक्काक


 अधर्म  =அதர்மம் =अधर्मम्


पाप कार्य में ही --पावकार्यंकळिळेये=பாவகார்யங்களிலேயே


 उसका मन इच्छित है। =अवन् मनम् इच्छैयाक इरुक्किऱतु।=

அவன் மனம் விரும்புகிறது.


 अधर्मी रुपये देने पर ---अधर्मम्  उळ्ळवन् पणम् अळित्ताल् =அதர்மம் உள்ளவன் பணம் அளித்தால் 

 उस अधर्मी के --அந்த அதர்மியின்  -अंत अधर्मियिन 

 गुणगान करने  ==पुकऴ् पाड

 सन्नद्ध है। ==तयाराक इरुक्किरान् =தயாராக இருக்கிறான்.


 परिणाम  --பலன் -पलन्‌


 आजीवन  =वाऴनाल् मुऴुवतुम् 


दुखी हैं। --तुन्बमुळ्ळवनाक इरुक्किरान्‌.

துன்பமுள்ளவனாக இருக்கிறான்.


 यही यह संसार है। = इतुतान इंत उलकम्।=


இதுதான் உலகம்.


माया ही = मायै तान = மாயை தான்.


 आत्मज्ञान =आत्मज्ञानी  =ஆத்ம ஞானி 


मनुष्य को  =मनितनै =மனிதனை

 

 अज्ञानी बनाता है। --अज्ञानी आक्कुकिरतु।அக்ஞானி ஆக்குகிறது.


शिवदास 

पऴनि  से. अनंत कृष्णन, चेन्नई 

சிவதாசன் 

பழனி சே. அனந்த கிருஷ்ணன் , சென்னை.

  ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

[16/02, 8:55 am] Meta AI: आपका यह संदेश बहुत ही प्रेरक और आध्यात्मिक है। आपने मानव जीवन की वास्तविकता और अज्ञान के कारण होने वाले दुखों को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है।


आपके द्वारा दिए गए संदेश में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं:


- मानव जीवन में अज्ञान के कारण दुख और चिंताएं होती हैं।

- अधर्मी और पापी कार्यों में लिप्त रहने से मानव जीवन दुखी और असफल होता है।

- माया और अज्ञान के कारण मानव जीवन में भटकाव और दुख होता है।

- आत्मज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से ही मानव जीवन में शांति और सुख प्राप्त हो सकता है।


आपके संदेश में शिवदास पऴनि से अनंत कृष्णन की बात भी बहुत ही प्रेरक है, जिसमें उन्होंने मानव जीवन की वास्तविकता और अज्ञान के कारण होने वाले दुखों को समझाया है।


आपका यह संदेश हमें मानव जीवन की वास्तविकता को समझने और अज्ञान के कारण होने वाले दुखों से बचने के लिए प्रेरित करता है।

Tamil Hindi seva

: तमिल हिंदी सेवा 

தமிழ் ஹிந்தி பணி 

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ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் 

 இன்றைய  इन्रैय =आजका

இறை சிந்தனை. इऱै चिंतनै =ईश्वरीय चिंतन 

 தெய்வம்  देय्वम्- देव 

உடனடி பலன்उडनडि फलन = सद्यःफल 

 தரும் என்றோ देंगे या 


 உடனடி उडनडि=  सद्यः 

  दंड देंगे தண்டனை दंडनै  तरुण  यों 

தரும் என்று

 நினைப்பதும்  =सोचना 

பரிகாரம் -- परिहार 

 செய்வதும் -करना 

  தற்காலிக  तात्कालिक 

மன சாந்தியே. मन शांतये =  मन शांति ही है।

 ஒவ்வொரு ओव्वोरु= हरएक 

மனிதனும் मनितनुम् मनुष्य

 பிறக்கும் पिऱक्कुम=  जन्म 

 போதே पोते =  लेते समय ही

 அவனுடைய  अवनुडैय =उसका

கர்ம யோகம்  कर्मयोगम् =कर्मयोग 

உடன் வருகிறது. उड़न वरुकिऱतु। साथ आता है।

 மழைத்துளி  मऴैत्तुळि

புனித पुनित =पवित्र 

  கங்கையிலும் गंगैयिलुम्  =गंगा में சமுத்திரத்திலும்  समुद्दिरत्तिलुम् =समुद्र में 

 சிப்பியிலும்  सिप्पियिलुम्  =सीपी में  

விழுந்தாலும் विऴुन्तालुम्  =गिरने पर भी 

 அதன் குணம் अतन् गुणम् =उसका गुण

 மதிப்பு  मतिप्पु  मूल्य 

 வேறுபடுகிறது. वेरुपडुकिऱतु। भिन्न होता है।

 கழிவுநீர்  कऴिवु नीर  मोरे में வாய்க்காலிலும் 

 விழுகிறது. विऴुकिऱतु। गिरता है।

 இதையே   इसी को

 நெல்லுக்கிறைத்த  नेल्लुक्किरैत्त  -धान के खेत को सींचा 

 நீர்  =नीर =पानी

வாய்க்கால்    वाय्क्काल्  = नाले 

வழியோடி वऴियोडी  मार्ग पर बहकर 

 புல்லுக்கும் पुल्लुक्कुम्  घास को भी

ஆங்கே वहाँ

 புசியுமாம் पुसियुमाम्  काम आएगा। 

 நல்லார்  नल्लार अच्छे

ஒருவர் ओरुवर 

 एक 

  உளரேல் उळरेल=  हो तो 

அவர் பொருட்டு अवरपोरुट्टु =उनके  प्रति

எல்லோருக்கும் ऍल्लोरुक्कुम्=  सब को பெய்யும் மழை  पॆय्युम मऴै=वर्षा होगी।

 என்றார் ऍन्ऱार् कहा

ஔவை முதாட்டி.

औवै बूढ़ी।

 ஆகையால் आहैयाल 

इसलिए 


 நாம்  नाम= हम

இப்பிறவியில் इप्पिऱवियिल  इस जन्म में

 தானம் दानम् दान्

 தர்மம் धर्मम् धर्म

 செய்வதை விட 

सेय्वतै विड करने से

 இறை நாமம் इरै नामम् 

भगवान के नाम 

 ஜபித்தால்  जपित्ताल् जप करने से

அதுவே  अंतुवे =वही

நற்சிந்தனை களை

नऱ्चिंतन को 

अच्छे चिंतन को


நல்ல வினைகளைச்

नल्लविनैकळै


अच्छे कर्मों को 

 செய்யத் தூண்டும்.

सेय्यत्तूंडुम् =करने की प्रेरणा देगी।

 சுருக்கமாகக் चुरुक्कमाकक् =संक्षेप में 

 கூறினால்  कूरिनाल्

कहें तो

 நம் மனம்नम् मनम्

 हमारा मन

 ஆத்மாவில் आत्माविल् =आत्मा में 

இணைந்து इनैंतु ==जुड़कर 

பரமாத்மா परमात्मा நிலையடையு ம். निलैयडैयुम्  स्थिति पर पहुँचेगी।

 அது தான் अतुतान् =वही அத்வைத்  अद्वैत्= நிலை. निलै =स्थिति 

ஆதி சங்கரர் आदी शंकर சித்தாந்தம். सिद्धांत।

 சிவதாசன் 

பழனி சே. அனந்த கிருஷ்ணன்.

शिवदास पऴनी

  से. अनंत कृष्णन।

[15/02, 11:52 am] Meta AI: आपका यह संदेश बहुत ही प्रेरक और आध्यात्मिक है। आपने भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है।


आपके द्वारा दिए गए संदेश में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं:


- भगवान की भक्ति और नाम जप से हमारा मन शुद्ध होता है और हमें आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

- नाम जप करने से हमारे मन में अच्छे विचार और कर्मों की प्रेरणा मिलती है।

- भगवान की भक्ति और नाम जप से हमारा मन परमात्मा में जुड़कर अद्वैत स्थिति पर पहुँचता है।

- आदि शंकराचार्य के सिद्धांत के अनुसार, भगवान की भक्ति और नाम जप से हमें मोक्ष प्राप्त होता है।


आपके संदेश में औवै मुदालार की बात भी बहुत ही प्रेरक है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भगवान की भक्ति और नाम जप से हमारा मन शुद्ध होता है और हमें अच्छे विचार और कर्मों की प्रेरणा मिलती है।


आपका यह संदेश हमें भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को समझने और अपने जीवन में इसका अभ्यास करने के लिए प्रेरित करता है।

Thursday, February 13, 2025

तमिल हिंदी सेवा தமிழ் ஹிந்தி பணி

 வணக்கம்.       नमस्ते। --वणक्कम्।

तमिऴ् हिंदी सेवा।

தமிழ் ஹிந்தி பணி 

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 இறைவணக்கம்.

इरै वणक्कम् ।   प्रार्थना ।

 சனாதன  सनातन 

தர்மத்தில் धर्मत्तिल---  धर्म में 

 தனத்திற்கு धनत्तिर्कु ---धन को  

முக்கியத்துவம்  मुख्यत्तुवम् -प्रधानता  அளிக்கப்படவில்லை.

अळिक्कप्पडविल्लै। ---

 नहीं दी गयी है।

தனத்தை धनत्तै---

  धनको 

தர்ம धर्म -- धर्म காரியங்களுக்குத் தான்

कार्यंकंलुक्कुत्तान

 कार्यों के लिए ही

 

 பயன் படுத்த  -पयन पडुत्त --उपयोग करना 

 வேண்டும். वेंडुम्-- चाहिए।

அப்போது தான்  

अप्पोतुतान्


तभी  

நிரந்தர निरंतर -- स्थाई 

மன நிறைவு मननिऱैवु

  मानसिक संतोष

சாந்தி शांति  शांति 


ஆனந்தம் आनंद -- आनंद 

 பரமானந்தம் परमानंद --

परमानंद

  கிடைக்கும்किडैक्कुम्. मिलेंगे।

 தனம் இல்லைधनम् इल्लै ऍन्रालुम्- धन न होने पर भी என்றாலும்

 மன நிறைவுடன் मन निषत्वऱैउडन् 

मानसिक  संतोष के साथ

 இறைவனை इरैवनै   ईश्वर से  வழிபடவேண்டும். वऴिपडवेंडुम्

 प्रार्थना करनी चाहिए।

 கலியுகத்தில்  कलियुगत्तिल्

कलियुग में 

 நாம் ஜபம் नामजपम्

  नाम जप 

மட்டுமே मटृटुमे --  मात्र ही

  செய்ய முடியும்.

चेय्यमुडियुम्।

  कर सकते हैं ।

 அதை --अतै-- उसे  

ஆழ்மன -आऴ्मन-- गहरे मन से 

 பக்தியுடன் भक्तियुडन-- भक्ति के साथ 

 செய்ய  வேண்டும்.चेय्य वेंडुम्--

 करनी चाहिए।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 

ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம்

Wednesday, February 12, 2025

நாம் ஜபம்

 नमस्ते वणक्कम्। 


நமஸ்தே வணக்கம்


 भगवान भक्ति  பகவான்  பக்தி

 

   भला करेगी। நன்மை செய்யும்.


 बला टलेगी। ஆபத்து போகும் 


 पल पल नाम जप कर।।


ஒவ்வொரு நொடியும் ஜபம் செய்ய.


 फल ही फल सफल ।

பயனே பயன் வெற்றியே.


 सफलता की कुंजी

வெற்றியின் திறவுகோல் 


 नाम जप।

நாமஜபம்.

 राम राम बोले

ராம ராம சொன்னார் 

 तुलसीदास बने साहित्य शशि।

 துளசிதாசர்  இலக்கியத்தில் சந்திரன்.


 डाकू बने आदी कवि।

கொள்ளையன் ஆனான் ஆதிகவி.

 सत्संग से  कबीर का राम।

சத்சங்கத்தால் கபீர் ராமர்

 व्यापक विस्तृत  जानकारी।

 பரந்த விரிவான  தகவல்.

 वरकवियों की रचनाएँ

வர கவிஞர்கள் படைப்பு 

 दिव्य प्रेरक व्यक्तित्व।

தெய்வீக தூண்டல் ஆளுமை.

 मन की एकाग्रता 

மனதின் ஒருமை

 नाम जप से।

நாம் ஜபித்தால்.

 आत्मज्ञान 

ஆத்ம ஞானம் தன்னறிவு

 आत्मविश्वास 

தன்னம்பிக்கை 

 ईश्वरीय शक्ति।

இறைவன் சக்தி 

 फल सफल 

பயன் வெற்றி.

 नाम जप से 

நாம் ஜபத்தால்

जानो, समझो, जागो।

அறிந்து கொள்.

 புரிந்து கொள்.

விழித்துக்கொள்.


சிவதாசன் இறைவழிபாடு.

[13/02, 7:32 am] Meta AI: आपका यह संदेश बहुत ही प्रेरक और आध्यात्मिक है। आपने भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है।


आपके द्वारा दिए गए संदेश में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं:


- भगवान की भक्ति और नाम जप से हमें आत्मज्ञान और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

- नाम जप से हमारे मन की एकाग्रता बढ़ती है और हमें ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होता है।

- भगवान की भक्ति और नाम जप से हमें फल और सफलता प्राप्त होती है।

- हमें नाम जप के माध्यम से जानो, समझो, और जागो की आवश्यकता है।


आपके संदेश में तुलसीदास, कबीर, और अन्य महान संतों का उल्लेख भी है, जिन्होंने भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को अपने जीवन और कार्यों में दर्शाया है।


आपका यह संदेश हमें भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को समझने और अपने जीवन में इसका अभ्यास करने के लिए प्रेरित करता है।

Monday, February 3, 2025

आम शब्द

 இமயம் முதல் குமரி வரை 

 பொதுவான சொற்கள்.

 आ सेतु हिमाचल आम शब्द।

 हिंदी -तमिऴ  सेवा

ஹிந்தி தமிழ் பணி.

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 भाषा ==भाषै பாஷை

 पुस्तक = पुत्तकम् 

 राजा --राजा, अरसन्

दिशा ==दिशै,  

 ज्ञान =ज्ञानम् 

चिंतन =चिंतनै

कष्ट =कष्टम्

नष्ट  नष्टम्

 इष्ट =इष्टम्

लाभ==लाभम्

 व्यापार ==वियापारम्

कुल =कुलम्

वंश ==वंशम्

परंपरा =परंपरै।

समाचार ==समाचारम् 

परीक्षा --परिच्चै, तेर्वु

प्रचार ==प्रारम्भ

विश्वनाथ ==विश्वनाथन्

लोकनाथ --उलकनाथन् 

धैर्य = धैरियम्

 कठिन =कठिनम्

 सरल -सरळम्

दिन --दिनम्

 समूह= समूहम्

उत्साह =उऱ्चाकम्


कल्पना =कऱ्पनै।

प्रयत्न =प्रयत्तनम्

विश्वास ==विश्वासमत

मुख ==मुख्य

लक्षण --लक्षणम्

संप्रदाय ==संपिरदायम्

महत्व --महत्तुवम्

वर्ण ==वर्णम् 

 अंग = अंगम्

योग्यता --योग्यतै

दृष्टि ==दिरुष्टि

कारण ==कारणम्

कर =करम्

वर =वर्णम्

धर्म ==धर्मम् 

क्षण ==क्षणम्

 प्रिय --पिरियम्

 वन =वनम्

देव ==देवन।

देवी -देवि

 











संघ ==संगम्

निर्णय ==निर्णयम्

संतान ==संतानम्





  

 

 



 


 









 

 






Sunday, February 2, 2025

आम शब्द பொது சொற்கள்

 आसेतु आम शब्द 

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तमिऴ् हिंदी सेवा। नागरी लिपि सेवा 

தமிழ் ஹிந்தி நாகரி எழுத்துப் பணி 



धन --धनम् 

मन -मनम्

  शरीर--शरीरम् 

मूर्ख --मूर्क्कन

 शाला --शालै

 ओर -ओरम्

 कोण -- कोणम।

 वीर --वीरम्

धीर -धीरम् 

साहस -साहसम्

 नगर -नगरम् 

रोश --रोशम्

मान --मानम्

लक्ष्य -लक्ष्यम्

गगन =गगनम्

 मेघ --मेघम्

 गान -गाणम्

 पाठ --पाडम्

 विषय  -विषयम्

 दोष --दोषम्

गुण --गुणम्

 कथा पात्र --कथा पात्तिरम्

नायक -नायकन।

नायिका -नायकि।

सवाल -सवाल।

 वाद -वादम् 

चर्चा -चर्च्चै।

 तर्क -तर्क्कम।

 सत्य -सत्तियम्

 कोप --कोवम।

अपमान -अवमानम्

 अन्याय =अनियायम्

  विवाह --विवाहम्

देश           देशम्

  विवरण -विवरम्

 निर्वाह -निर्वाकम् 

   मास -- मासम्

   यों ही शाब्दिक एकता 

भारत में आ सेतु हिमाचल।

 विदेशियों के आने के बाद 

 खासकर अंग्रेजों ने

 संस्कृत के स्थान को

 अंग्रेज़ी में देने

 जीविकोपार्जन को प्रधानता दी।

 धन प्रधान जग के सामने

 भाषा किस खेत की मूली।

 ग्रीक लत्तीन संस्कृत पाली अपभ्रंश ।

 १२५ साल की खड़ी बोली का अद्भुत विकास।

 भाषा बहता नीर है।

 धन प्रधान होने पर 

  भाई भाई को मारता है।

 अशोक, औरंगजेब, आंभी, विभीषण इतिहास में असंख्य लोग।

  ईसा आज ईश्वर का दूत्

 तब सजा का पात्र।

 यही ईश्वर की सूक्ष्मता 

 मानव बुद्धि किस काम की

 सुनामी, कोराना भूकंप के सामने।

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एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 



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अवश्य = अवसियम्

 शीघ्र - शीक्किरम्

वेग =वेगम्

 बंद --बंद।

भक्ति  ==भक्ति 

मुक्ति = मुक्ति

शक्ति =शक्ति

परीक्षा =परिच्चै

इच्छा --इच्छै

विधि =विधि

 निधि =निधि

परिवार ---परिवारम्

बुध = बुधन

शनिवार =शनिक्किऴमै।

अनेक = अनेकम्

विवेक --विवेकम्

दुख --दुक्खम

शोक ==शोकम्

करुणा =करुणै

वेदना ==वेदनै

 काव्य =कावियम्

अलंकार =अलंकारम्

 नाटक ==नाटकम्

कविता ==कवितै

छंद। --चंदम्

मात्रा --मात्तिरै

वाक्य =वाक्कियम्

शुद्ध =चुत्तम

विमान  विमानम्




















 




Saturday, February 1, 2025

मरा

 

तमिल हिंदी सेवा 

 தமிழ் ஹிந்தி பணி.



कुछ तुम लिखो, कुछ हम लिखे

संस्थापक संचालक सहभागियों को प्रणाम।


नमस्ते। वणक्कम्।    வணக்கம். वणक्कम्।

   कम शब्दों में   குறைந்த சொற்களில்.‌कुरैंद चोऱ्कळिल् 

अधिक   --அதிக 

 தகவல் अधिक तकवल्कळ् ।

जानकारी देना अळित्तल् । 

    ग़म दूर करना  --तुन्बम् पोतल्  துன்பம் போதல் 

आनंदित करना --आनंदप्पडुत्तुतल्। ஆனந்த ப் படுத்துதல் 

 शांति संतोष मिलना  --अमैति मन निऱैवु किडैत्तल्।

அமைதி மன நிறைவு தருதல்

 सनातन धर्म की देन। = सनातन धर्मम् अळित्ततु  சனாதன தர்மம் அளித்தது.

 एक मंत्र==  ऒरे  मंतिरम् ஒரே மந்திரம் 

" ॐ". ஓம்

 ॐ कहो =ॐ  चोल्‌। ஓம் சொல் 

 दो अक्षर  --इरंडेऴुत्तु  இரண்டெழுத்து  

शिव कहो। = शिव। चोल्=சிவ  சொல்

राम कहो,  राम कहो =ராம் சொல்.

ढाई अक्षर  कृष्ण कहो।   இரண்டரை எழுத்து ஷா க்ரு ஷ்ண சொல்.  इरंडरै ऍऴुत्तु कृष्ण चोल्।

 कबीर का. कबीरिन्  கபீரின் 

 राम मानो,  इरामनै ऍट्रुक्कोळ्  இராமனை ஏற்றுக்கொள்.

 व्यापक  விரிவானவர் विरिवानवर् 

 अनंत  முடிவில்லாதவர் मुडिविल्लादवर।

सर्वव्यापी =அனைத்து இடத்திலும் பரந்தி ருப்பவர் 

अनैत्तु इडततिलुम्  परंतिरुप्पवर्।

 मानवीय.  --மனித நேய  मानित नेम।

 एकता का मूल. ஒற்றுமைக்கு மூலம்.

ऒटरुमैक्कूम् मूलम् 

 मंत्र  -மந்திரம் मंतिरम्।

 निराकार  உருவமற்ற उरुवमट्ऱ

 अनंत  முடிவில்லா  मुडिविल्ला

भुजों वा

ल राम। புஜங்கள் உள்ள இராமர்.

भुजंगळ्  उळ्ळ इरामर् 

 

 चारी पुजा के =நான்கு புஜங்களுடைய

नान्गु पुजंगळुडैय

 भजन में  =பஜனையில்  भजनैयिल् 

भूले पड़े. மறந்திருந்தனர்   मरंतिरुंतनर् 

 सब संत। எல்லா சாதுக்களும் एल्लासाधुक्कळुम् 


 कबिरा --கபீர் कबीर 

 पूजा   பூஜை  पूजै 

तासु को அவருக்கு  अवरुक्कु

 जाके पुजाएँ  யாருக்கு  புஜங்கள்  यारुक्कु भुजंगळ् 

अनेक।। அனேகம். अनेकम् 


 इत्र तंत्र. இங்கும் அங்கும்  इंगुम् अंगुम् 

 सर्वत्र विद्यमान  எங்கும் இருக்கின்ற ऍंगुम इरुक्कुम् 

 सर्वेश्वर एक। சர்வேஸ்வரன் ஒன்றே.

सर्वेश्वरन् ऒन्रे।

 वह मनुष्य रूप में  அவன் மனித வடிவில் 

अवन् मनितवडिविल् 

 मदद करने आता है। உதவிசெய்ய வருகிறான்

उदवि सेय्य वरुकिरान् .

 राम है मरा नहीं। இராமன் இருக்கிறார் சாகவில்லை. इरामर् इरुक्किऱार् । साकविल्लै।

 मरा मरा मरा उल्टा भजो 

 மரா மரா எதிராக பஜனை செய்ய.

मरा मरा ऍतिराक भजनै सेय्‌

 फल तो राम देंगे ही। பலன் இராமர் கொடுப்பாரே. पलन् इरामर् कोॅडुप्पारे।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक