Saturday, February 15, 2025

Tamil Hindi seva

: तमिल हिंदी सेवा 

தமிழ் ஹிந்தி பணி 

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ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் 

 இன்றைய  इन्रैय =आजका

இறை சிந்தனை. इऱै चिंतनै =ईश्वरीय चिंतन 

 தெய்வம்  देय्वम्- देव 

உடனடி பலன்उडनडि फलन = सद्यःफल 

 தரும் என்றோ देंगे या 


 உடனடி उडनडि=  सद्यः 

  दंड देंगे தண்டனை दंडनै  तरुण  यों 

தரும் என்று

 நினைப்பதும்  =सोचना 

பரிகாரம் -- परिहार 

 செய்வதும் -करना 

  தற்காலிக  तात्कालिक 

மன சாந்தியே. मन शांतये =  मन शांति ही है।

 ஒவ்வொரு ओव्वोरु= हरएक 

மனிதனும் मनितनुम् मनुष्य

 பிறக்கும் पिऱक्कुम=  जन्म 

 போதே पोते =  लेते समय ही

 அவனுடைய  अवनुडैय =उसका

கர்ம யோகம்  कर्मयोगम् =कर्मयोग 

உடன் வருகிறது. उड़न वरुकिऱतु। साथ आता है।

 மழைத்துளி  मऴैत्तुळि

புனித पुनित =पवित्र 

  கங்கையிலும் गंगैयिलुम्  =गंगा में சமுத்திரத்திலும்  समुद्दिरत्तिलुम् =समुद्र में 

 சிப்பியிலும்  सिप्पियिलुम्  =सीपी में  

விழுந்தாலும் विऴुन्तालुम्  =गिरने पर भी 

 அதன் குணம் अतन् गुणम् =उसका गुण

 மதிப்பு  मतिप्पु  मूल्य 

 வேறுபடுகிறது. वेरुपडुकिऱतु। भिन्न होता है।

 கழிவுநீர்  कऴिवु नीर  मोरे में வாய்க்காலிலும் 

 விழுகிறது. विऴुकिऱतु। गिरता है।

 இதையே   इसी को

 நெல்லுக்கிறைத்த  नेल्लुक्किरैत्त  -धान के खेत को सींचा 

 நீர்  =नीर =पानी

வாய்க்கால்    वाय्क्काल्  = नाले 

வழியோடி वऴियोडी  मार्ग पर बहकर 

 புல்லுக்கும் पुल्लुक्कुम्  घास को भी

ஆங்கே वहाँ

 புசியுமாம் पुसियुमाम्  काम आएगा। 

 நல்லார்  नल्लार अच्छे

ஒருவர் ओरुवर 

 एक 

  உளரேல் उळरेल=  हो तो 

அவர் பொருட்டு अवरपोरुट्टु =उनके  प्रति

எல்லோருக்கும் ऍल्लोरुक्कुम्=  सब को பெய்யும் மழை  पॆय्युम मऴै=वर्षा होगी।

 என்றார் ऍन्ऱार् कहा

ஔவை முதாட்டி.

औवै बूढ़ी।

 ஆகையால் आहैयाल 

इसलिए 


 நாம்  नाम= हम

இப்பிறவியில் इप्पिऱवियिल  इस जन्म में

 தானம் दानम् दान्

 தர்மம் धर्मम् धर्म

 செய்வதை விட 

सेय्वतै विड करने से

 இறை நாமம் इरै नामम् 

भगवान के नाम 

 ஜபித்தால்  जपित्ताल् जप करने से

அதுவே  अंतुवे =वही

நற்சிந்தனை களை

नऱ्चिंतन को 

अच्छे चिंतन को


நல்ல வினைகளைச்

नल्लविनैकळै


अच्छे कर्मों को 

 செய்யத் தூண்டும்.

सेय्यत्तूंडुम् =करने की प्रेरणा देगी।

 சுருக்கமாகக் चुरुक्कमाकक् =संक्षेप में 

 கூறினால்  कूरिनाल्

कहें तो

 நம் மனம்नम् मनम्

 हमारा मन

 ஆத்மாவில் आत्माविल् =आत्मा में 

இணைந்து इनैंतु ==जुड़कर 

பரமாத்மா परमात्मा நிலையடையு ம். निलैयडैयुम्  स्थिति पर पहुँचेगी।

 அது தான் अतुतान् =वही அத்வைத்  अद्वैत्= நிலை. निलै =स्थिति 

ஆதி சங்கரர் आदी शंकर சித்தாந்தம். सिद्धांत।

 சிவதாசன் 

பழனி சே. அனந்த கிருஷ்ணன்.

शिवदास पऴनी

  से. अनंत कृष्णन।

[15/02, 11:52 am] Meta AI: आपका यह संदेश बहुत ही प्रेरक और आध्यात्मिक है। आपने भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है।


आपके द्वारा दिए गए संदेश में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं:


- भगवान की भक्ति और नाम जप से हमारा मन शुद्ध होता है और हमें आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

- नाम जप करने से हमारे मन में अच्छे विचार और कर्मों की प्रेरणा मिलती है।

- भगवान की भक्ति और नाम जप से हमारा मन परमात्मा में जुड़कर अद्वैत स्थिति पर पहुँचता है।

- आदि शंकराचार्य के सिद्धांत के अनुसार, भगवान की भक्ति और नाम जप से हमें मोक्ष प्राप्त होता है।


आपके संदेश में औवै मुदालार की बात भी बहुत ही प्रेरक है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भगवान की भक्ति और नाम जप से हमारा मन शुद्ध होता है और हमें अच्छे विचार और कर्मों की प्रेरणा मिलती है।


आपका यह संदेश हमें भगवान की भक्ति और नाम जप के महत्व को समझने और अपने जीवन में इसका अभ्यास करने के लिए प्रेरित करता है।

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