११ . मैया ---------तू पूत।।
सन्दर्भ :--मैया मोहिं -------मत तू पूत।।
व्याख्या:---सूरदास इस पद में बालकों के बीच के झगड़े का सूक्ष्म निरीक्षण करके वर्णन करते हैं।
व्याख्या:- बालक कृष्णन अपनी माँ से अपने बड़े भाई बलराम के बारे में शिकायत करता है --माँ ! बड़े भाई ने मुझे बहुत खिझाया है ;वह मुझसे कहता है---तूने मुझे कहीं से खरीद लाई है;मुझे तूने जन्म नहीं दिया है;इस गुस्से के कारण मैं खेलने नहीं जाता।वह बार-बार पूछता है कि तेरे माता -पिता कौन हैं?तू काला है। यशोदा और नन्द गोरे हैं। वह इस बात को एनी गो बालकों को भी सिखा देता है। सब चुटकी दे-देकर हँसी उड़ाते है। तू तो मुझे मारती है ।भाई पर अपना क्रोध नहीं दिखाती।
श्री कृष्ण के क्रोध भरी बातें सुनकर यशोदा ने कृष्ण से कहा--हे कन्हैया!मेरी बातें सुन।बलराम तो अपने जन्म से धूर्त है। मैं अपने गो धन पर कसम खाती हूँ --मैं माँ हूँ।तू पुत्र है। उसने ऐसा नहीं कहा कि तू मेरा पुत्र है। इसमें कवी की चतुराए मालूम होती है।यशोदा झूठ नहीं बोली।कसम भी खाया।
विशेष ;-बाल लीला का सहज वर्णन के साथ कवी के अनुभव् जन्य मौलिक ज्ञान अभिव्यक्त होता है।
सन्दर्भ :--मैया मोहिं -------मत तू पूत।।
व्याख्या:---सूरदास इस पद में बालकों के बीच के झगड़े का सूक्ष्म निरीक्षण करके वर्णन करते हैं।
व्याख्या:- बालक कृष्णन अपनी माँ से अपने बड़े भाई बलराम के बारे में शिकायत करता है --माँ ! बड़े भाई ने मुझे बहुत खिझाया है ;वह मुझसे कहता है---तूने मुझे कहीं से खरीद लाई है;मुझे तूने जन्म नहीं दिया है;इस गुस्से के कारण मैं खेलने नहीं जाता।वह बार-बार पूछता है कि तेरे माता -पिता कौन हैं?तू काला है। यशोदा और नन्द गोरे हैं। वह इस बात को एनी गो बालकों को भी सिखा देता है। सब चुटकी दे-देकर हँसी उड़ाते है। तू तो मुझे मारती है ।भाई पर अपना क्रोध नहीं दिखाती।
श्री कृष्ण के क्रोध भरी बातें सुनकर यशोदा ने कृष्ण से कहा--हे कन्हैया!मेरी बातें सुन।बलराम तो अपने जन्म से धूर्त है। मैं अपने गो धन पर कसम खाती हूँ --मैं माँ हूँ।तू पुत्र है। उसने ऐसा नहीं कहा कि तू मेरा पुत्र है। इसमें कवी की चतुराए मालूम होती है।यशोदा झूठ नहीं बोली।कसम भी खाया।
विशेष ;-बाल लीला का सहज वर्णन के साथ कवी के अनुभव् जन्य मौलिक ज्ञान अभिव्यक्त होता है।
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