धर्म खासकर हिंदू धर्म विश्वशांति,अहिंसा ,सत्य,भ्रातृत्व आदि पर जोर देता है.
स्वामी विवेकानंद के भाषण भाइयों और बहनों! का शुभ -आरम्भ भारत का गौरव बढ़ाया.
लेकिन भारत में तमिलनाडु में विनायक चतुर्थी जुलुस को लेकर जो आन्दोलन तिरुच्चिरापल्ली में हो रहा है,
उसमें अहिंसा नहीं,शान्ति नहीं,धर्म नहीं.
धर्म सम्बन्धी हर कार्य में एकता ,शान्ति,अनुशासन आदि तीनों की ज़रुरत हैं.
पर उस भीड़ के नारे अभद्र थे. पुलिस को मारो !काटो!पुलिस वेश्या के बेटे!
ऐसे शब्द और व्यवहार अशोभनीय है.
भक्ति के नाम लूटना,जबरदस्त धन वसूल करना,अश्लीली नाच-गाना,
डराना-धमकाना हिदू को ही हिनू धर्म पर घृणा उत्पन्न करने की क्रिया है.
जुलुस के अश्लीले नाच प्रदर्शन,पियक्कड़ों का अश्लीली प्रदर्शन
भक्ति को ही अपमानित कर रहा है.
शिव सेना,भारतीय जनता दल आदि को
अनुशासित भक्ति मार्ग के लिए अपने स्वयंसेवकों को आदेश और उपदेश देना है.
हिन्दू धर्म में स्नेह मय मुस्कराहट प्रधान है.
जय हिन्दू धर्म!
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