आधी रात का समय नींद टूट गयी ;
मन उछलने लगा
अनजान भय। अन जान वेदनाएँ
कोई न कोई आशंका
कहते हैं सब ही नचावत। राम गोसाई
ईश्वर की याद करो उसके चरण में शरण लो
शरणागत वत्सल करेगा रक्षा
जपो भजो ध्यान मग्न हो जाओ
सब चाहे सुख चाहे दुख उन्हीं की कृपा
सुख पाओ;
मन उछलने लगा
अनजान भय। अन जान वेदनाएँ
कोई न कोई आशंका
कहते हैं सब ही नचावत। राम गोसाई
ईश्वर की याद करो उसके चरण में शरण लो
शरणागत वत्सल करेगा रक्षा
जपो भजो ध्यान मग्न हो जाओ
सब चाहे सुख चाहे दुख उन्हीं की कृपा
सुख पाओ;
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