क्या होगा ? किसको मालूम ;
सोया था मीठे सपनों में
आया था सुनामी ;
हिंदी में तो सु नाम ; पर
जापानी में सर्वनाश;
कितना बड़ा फरक अर्थों में ;
एक अर्थ दूसरी भाषा में अनर्थ,
भूकंप मिट्टी में मिलाता हैं तो
सुनामी लहरों में पानी में .
जिन्दगी तो स्थायी नहीं ,यह तो क्षण भंगुर;
फिर भी मनुष्य जमा करता है ,
संपत्ति एक ईमानदारी से तो जमा करता है तो
दूसरा रत्नाकर सा ,
अंगुलिमाल सा
लूट-मारकर ,डाका डालकर
इन सब के विपरीत एक ईश्वरीय लीला ,
ईश्वर के नाम से आसाराम -सा
करोड़ों के अधिपति कैसे बनता भारत में;
शासक बनकर करोड़ों के रूपये कैसे जमा करता है
डाक्टर बनकर कितनों को लूटता है ,
अध्यापक बनकर करता है
बेवकूफों को अंक देकर ,
अंग लूटकर ,
न जाने ईश्वर का तमाशा ,
बेईमानदारी ,लुटेरे भोगते अनंत लौकिक सुख;
सच्चे भक्त रैदास - सा ,कबीर -सा ,
श्री शंकराचार्य -सा ,मीरा -सा ,आंडाल सा
भक्त रमण-सा ,त्यागरा सा ,साईं शीरड़ी सा
अंत तक लौकिकता से दूर ,
बाह्याडम्बर से दूर
अलौकिक ब्रह्मानंद में लीन
तजते हैं शारीर;
पर बाद में उनके शिष्य
बाह्याडम्बर में
महल में ,सुख -सुविधा में ;
यह ईश्वर की लीला का पता नहीं .
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