मनुष्य के मन जब मज़बूर हो जाता है ,तब उगती है भक्ति ;
डाक्टर जब अपनी अंतिम कोशिश में ,
रोगी को बचा नहीं सकता
तब दिखाते है हाथ ऊपर;
अचानक सुनामी आयी ,
ईश्वर की याद के लिए समय नहीं,
याद दिलाने कोई सतर्क न रहे ;
अचानक भूकम्प आया
हज़ारों की मौत हुयी ;
याद ईश्वर की करने नहीं दिया समय;
ईश्वर तो अति चतुर ,विश्वके सृजनकर्ता
सोच समझकर करते हैं ऐसा
अपने को याद करो तो विवश हूँ बचाने ,
अचानक ही कुछ करूँ तो मनुष्य भूल जाएगा मुझे ,
तभी मौका दूंगा ,उसकी बुद्धि काम न करेगी ;
सुख देता हूँ मुझे भूलकर भूलें करने ;
दुःख देता हूँ मुझे याद करने ,
सदा जो दोनों दशाओं में याद करते हैं मेरी
उनपर करता हूँ कृपा की वर्षा ; पर
इसमें इस परीक्षा में कम ही लोग सिद्धि पाकर
सिद्ध पुरुष बन जाते हैं.
डाक्टर जब अपनी अंतिम कोशिश में ,
रोगी को बचा नहीं सकता
तब दिखाते है हाथ ऊपर;
अचानक सुनामी आयी ,
ईश्वर की याद के लिए समय नहीं,
याद दिलाने कोई सतर्क न रहे ;
अचानक भूकम्प आया
हज़ारों की मौत हुयी ;
याद ईश्वर की करने नहीं दिया समय;
ईश्वर तो अति चतुर ,विश्वके सृजनकर्ता
सोच समझकर करते हैं ऐसा
अपने को याद करो तो विवश हूँ बचाने ,
अचानक ही कुछ करूँ तो मनुष्य भूल जाएगा मुझे ,
तभी मौका दूंगा ,उसकी बुद्धि काम न करेगी ;
सुख देता हूँ मुझे भूलकर भूलें करने ;
दुःख देता हूँ मुझे याद करने ,
सदा जो दोनों दशाओं में याद करते हैं मेरी
उनपर करता हूँ कृपा की वर्षा ; पर
इसमें इस परीक्षा में कम ही लोग सिद्धि पाकर
सिद्ध पुरुष बन जाते हैं.
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