Friday, October 5, 2012

janata,samaachaar patr aur raajneeti.

सामान्य  जनता को समाचार पत्र   ही  सब बातें व्यक्त करता है।पहले दिन की खबर भी सच्ची लगती है।दुसरे दिन की खबर  पहले दिन की खबर को झूठा साबित करती हैं।भ्रष्टाचार में कैद,कमीशन,फिर रिहाई।फिर आरोप।फिर पद।  सच्ची बात  ईश्वर नामक एक शक्ति हो तो झूठों को सज़ा  मिलेगी।लेकिन विलम्ब से। तब तक  नेकों को दंड .


सरकारी   न्याय, स्टेटमेंट, आदेश सब शासकों के पक्ष में। न्याय का गला घोंटना, हत्या तक जाना राजनीति है।मन की गवाह नहीं धन और कुर्सी का सवाल् है, देश का नहीं अपने अहंका सवाल है।फाईलें गायब करने सरकारी  दफ्तर जलता है। पुलिस अफसर  दुर्घटना में मरे जाते हैं। थाने  में,जेल में मरते . तभी आस्तिक भी नास्तिक बन्नेतैयार होता है।यही  राजनीती वैदिक काल से। धर्म  युद्ध की विजय भी कुरुक्षेत्र में अन्याय से ही।
वहीं आस्तिक जन्म फल,पूर्व जन्म के पाप से छिपाते  हैं।ईश्वर शक्ति है तो अधर्मियों की सजा में देरी नहीं होनी है।हरिश्चंद्र की कहानी पढनेवाले लौकिक पुरुष  दृढ़ रहेगा। ज्ञान बढ़ गया।कंस और देवकीको अलग अलग बंद करने  का विचार  आ गया।

ज्ञान के विकास में शासकों को सतर्क रहना है।भ्रष्टाचार करोड़ों,अरबों  की खबरें आ गयी। फिर भी ईमान की बात करना  जनता को बेवकूफ करना है। मत पेटी बदलना,चुनाव यंत्र की चोरी होना,गुंडों और बदमाशों के सहारे मत यंत्र  उठाकर जाना ,खबरें जनता पढ़ती है।अतः  अविश्वास का कुहरा मिटाने अपराधी मत्रियों को बचाने का प्रयत्न छोड़कर  सज़ा मिलनी है। आज तक किसी को मिला नहीं। केवल सर्कारी कर्मचारी एकाध कोमिला है।खूनी राजनीतिज्ञ के सज़ा कहाँ मिली हैं।एक रेल की दुर्घटना से एक मंत्री ने इस्तीफा किया। आज करोड़ों के भ्रष्टाचारी को फिर पद और सम्मान मिलता है। क्या सच?क्या झूठ।

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