आज की खबर है कि एक साधू ने अपनी भक्ता को
चरणामृत के नाम से नशीला पेय पिलाकर गैंग रेप कर दिया।
बार- बार ऐसी खबरें आती हैं।
ऐसे आश्रम की सूची प्रेमानान्दा,चतुर्वेद शास्त्री,नियानान्दा ,आसाराम आदि।
और भी कईं मंदिरों में भी प्रायश्चित्त के नाम से
महिलायें अपने-तन-धन को कलंकित करती हैं।
महिलायें भारत की ,
आदी काल से संयासी के पीछे धोखा खाती रहती हैं।
रामायण की कथा तो सीता सन्यासी
की बात को बड़ा मानकर
लक्ष्मण रेखा पार कर गयी तो रावण उठाकर ले गया।
बड़े आविष्कारक की जीवनी पढिये।
वे अपने अथक परिश्रम के कारण ही रेडियो ,वायुयान,बल्ब,बिजली आदि का
आविष्कार कर चुके हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की पढाई नहीं की।
मुहम्मद्नबी,भगवान बुद्ध ,महावीर ,शंकराचार्य,रमण महर्षि,रामकृष्ण परमहंस,ईसा मसीह आदि सीधे ईश्वर के भक्त थे।
वाल्मीकि,तुलसीदास,पुरंदरदास,मीरा,आंडाल,आदि सीधे ईश्वर के संपर्क में रहे।
सिकंदर दंडियायन से मिले तो आचार्य नंगे बदन सर्दी में तेजोमय थे।
उन्होंने सिकंदर से भेजे सोना चांदी, गरम कपडा ठुकरा दिया।
ऋषि -मुनि पर्ण कुटीर में थे।
जो सच्चे थे ,वे चले गए।
अर्धनग्न -लंगोटी पहनकर।
. उनके पीछे जो उनके चेले आये ,दीक्षा देने रुप्येमांगने लगे।
अपने मठों में सोना-चांदी-हीरे रूपये जमा करने लगे।
आधुनिक सुविधाओं से भरे आलीशान आश्रम बनाने लगे।
मैंने अखबार में पढ़ा कि एक आश्रममें 76 शयनागार है, ;
वहाँ का बिस्तर बहुमूल्य हैं।
वे स्वर्गीय प्रधान मंत्री के गुरु थे।
जहाँ बहुमूल्य हैं, आना जाना वहाँ मंत्रियों का सहज है।
जहाँ चाँदी की चिड़ियाँ है,वहाँ सब बुराइयाँ होंगीं।
ये महिलायें सद्य-फल प्राप्त करने
भगवान से बढ़कर इन नकली
साधू संतों को बड़ा मानती हैं।
कबीर के जमाने के गुरु,
आजकल के गुरु में बड़ा फर्क हैं
आज वेतन भोगी गुरुओं का यूनियन है।
आज गुरु-चेला दोनों नकली हैं।
कलियुग में श्रद्धा से अपने घर में ही नाम जप करो।
तुलसी ने लिखा है- जड़-चेतन,गुण-दोष मय वस्तुओं को ईश्वर ने बनायाहै।
केवल राम नाम लो।
सूर ने कहा-अंधे को आँख।
गूंगे कोबोलने की शक्ति,
लंगडे को चलने की शक्ति,
दरिद्र को राजा बनाने कीशक्ति ईश्वर में है।
ईश्वर की प्रार्थना करो।केवल ईश्वर की।
कबीर ने कहा -मेरे भगवान की भुजाएं अनंत हैं।
लाली मेरे लाल की जित देखो तित लाल।
अतःईश्वर के अनुग्रह की तलाश में कहीं मत जाओ।
रैदास की कहानी सब जानते हैं।
चमार के काममें लगाव था।
गंगा में नहीं नहाया। फिर भी ईश्वर की कृपा मिली।
इतने प्रयक्ष कहानियाँ होने पर भी
महिलायें साधू के आश्रम में जाकर कलंकित है तो यह उनकी बेवक़ूफी है।
भक्त ध्रुव,भक्त प्रहलाद,दक्षिण के कन्नप्पन, आण्डाल ,आदि तो ईश्वर के भक्त थे।
उन्होंने किसी कीशागिर्दी नहींकी।
हममें ईश्वर की असली श्रदधा होती,
तो ईश्वर की कृपा के लिए एक एजंट नहीं चाहते।
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