क्या मायन के अनुसार दुनियां का विनाश होगा?
कहा जाता है कि दिसंबर 21,2012 के दिन संसार का नाश होगा?
जब यह किम्वदंती फैली,कुछ लोग चिंता मग्न हो गये।
कहा गया है कि ये मायन लोग अति प्रतिभाशाली थे।
उन्कीदैनिकी के अनुसार दुनिया में प्रलय होगा।
वास्तव में यह दुनिया नश्वर है।
परिवर्तनशील है।
मनुष्य चतुर,चालाक है।
फिर भी उनकी मृत्यु निश्चित है।
संसार तो रहेगा ही।
मनुष्य जो बुद्धिजीवी है,उसी के कारण वनस्पतियों का ,पशु-पक्षियों का विनाश होगा। भूमी गरम होगी।
जल,थल, वायु का प्रदूषण होगा।
इस प्रकार प्राकृतिक विकार के कारण अतिवृष्टि होगी या अनावृष्टि होगी।बरफ पिघलेगा। भूकंप होगा।धरती सूखेगी। यह तो बुद्धिमान मनुष्य का कर्म-फल है।उसीको भोगना पड़ेगा।
दूसरा चतुर मनुष्य अपने लोभ के कारण या अहम् की भावना लेकर आपस में कट मरेगा।लूट-मार-डकैती के कारण मरेगा।कुर्सी केलिए मरेगा। पद के लिए मरेगा।पदोन्नति केलिए मरेगा।जाति के नाम से धर्म -सम्प्रदाय केनाम से कट मरेगा।
देश की सीमाओं केलिए ,दुसरे देशों के व्यवहार में भाग लेकर मरेगा।आजादी के लिए ,अपने हक केलिए मरेगा।
सर्वशक्तिमान ईश्वर की लीला निराली है।
ईश्वर ने केवल मनुष्य को सोचने की शक्ति दी है ।वही भले-बुरे का पहचान सकताहै। फिर भी वह अत्याचार करता है;अन्याय करता है;खून करता है।डाका डालता है।भ्रष्टाचार करता है।
ईश्वर या प्राकृतिक दंड से कोई भी बच नहीं सकता। यज्ञ होम-हवन ,जप-तप जो भी हो ,उसको किये कुकर्मों से नहीं बचाएगा।
अतः मनुष्य के कारण प्रकृति अपना संतुलन खो बैठेगा।
पीढी दर पीढ़ी संताप सहते रहेंगे।
जब उनका कृत्य अत्याचार और् प्रकृति के विरुद्ध
अपनी चरम सीमा पर
पहुँचेगा ,तभी संसार का विनाश होगा।
आज भी संसारमें न्यायप्रिय लोग रहते हैं;प्रदूषण से प्रकृति को बचाने के प्रयत्न में हैं। ईश्वर के भरोसक हैं। आज भी संसार बिगड़ा नहीं है।
संसार में जब तक अच्छे लोग रहेंगे,तब तक संसार का विनाश नहीं होगा।
70%अच्छे हैं।
प्रतिभावान,जो संसार को सद-मार्ग
दिखाकर जल्दी मिट जाते हैं।
उसको अपनाना या छोड़ना सोच-समझ रखनेवाले मनुष्य पर निर्भर है।
विनाश काले विपरीत बुद्धि जब आएगी,तब संसार रहेगा,पर जल-प्रलय होगा।
यह तो मनुष्य पर अवलंबित है।
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