सनातन धर्म
भारत भगवान के कृपाकटाक्ष से कई विदेशों के आक्रमण के बाद,शासन
के बाद,कई लुटेरों के लूटने के बाद,कई मंदिरों के तोड़ने के बाद भी
भी हिन्दू धर्म और भारत देश ऊंचा है तो इसमें मनुष्यों की शक्ति से
एक ईश्वरीय शक्ति साथ दे रही है।
सर्व प्रथम पाश्चात्य देशों ने भारत की ओर सम्मान की दृष्टि से देखा तो उसके पीछे एक ईश्वरीय - शक्ति स्वामी विवेकानंद के रूप में प्रकट हुई . उनका यह संबोधन विश्व -धर्म सम्मेलन में सनातन -धर्म का बहुत बड़ा सन्देश "वसुदैव कुटुम्बकम " का क्रियान्वयन था।
आज भारत की तरक्की हुई है। देश और भी तरक्की होगी .क्योंकि कई देश -भक्त देश की सच्ची सेवा तन-मन से कर रहे हैं .धन से कर रहे हैं।
देश की सुरक्षा की प्रार्थना और तपस्या में लग रहे हैं।
धनी को आत्मानुभव हो रहा है कि बुरी कमाई शान्ति नहीं देगी।जान नहीं बचायेगी .
धन है,लेकिन वह सब की भलाई के लिए नहीं है ,तो सच्चा आनंद नहीं है।
इसी देश में एक राक्षसी दल हैं,रिश्वत ,भ्रष्टाचार,मारपीट,सत्ता,दूसरों से छीना -झपटी करना ,दूसरों को डरा-धमकाना ,अपने स्वार्थ और अहम्
की सुरक्षा के लिए जितना अन्याय अत्याचार हो ,सब कर सके।उनके जीवन भी हार का ,अपमान का ,आत्म ग्लानी का महसूस करता है। में यही सजा है।
उनको ऐसी विवशता आ जाती हैं,अंत में अपने जीवन काल में ही देशोंनती कार्य में लग जाते हैं। देश का विकास होता है। हमारे देशवासियों में देश द्रोही थे ;देश को विदेशों के हाथ में सौपकर सुख की नींद सोना चाहते थे।उनकी जीत देश के कल्याण चाहकों के कारण हार में बदल जाती।
हमारे देश के सभी शासक धर्म का झंडा फहराते थे।मंदिर बनता था;जैन मंदिर ,बुद्ध विहार,सिक्ख मंदिर,मस्जिद ,गिरजा -घर बनवाये गए .
जिनमें धर्म के प्रति तनिक श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न हो जाती,तब उनमे पवित्र भावनाएँ जाग जाती।
यही सनातन धर्म जिसको लोग खुल्लम खुल्ला खिल्ली उड़ाते हैं,सब को सहनकर विकास हो रहा है। नमस्कार ,योगा ,हरे राम,साईं राम,हरे कृष्ण ,
शिव ,हर-हर महादेव,जयजय शंकर की पुकार संसार के -कोने कोने में गूँज
रहे है।जिसके पीछे केवल आत्मानुभूति है।अपने-आप पल रहा है;किसीका जोर दबाव नहीं है। यह आत्मानुभव का विकास में एक शान्ति है।सूर्य प्रकाश को देखकर भी कोई छाता तानकर छिपाना
चाहता है ,तो भी वह तेज़ प्रकाश ही;वैसे ही चाँदनी रात ;
सनातना धर्म में सूरज का गरम है;और चांदनी की शीतलता है। अतः वह किसी की निंदा या दोषारोपण की परवाह नहीं करता।
भारत भगवान के कृपाकटाक्ष से कई विदेशों के आक्रमण के बाद,शासन
के बाद,कई लुटेरों के लूटने के बाद,कई मंदिरों के तोड़ने के बाद भी
भी हिन्दू धर्म और भारत देश ऊंचा है तो इसमें मनुष्यों की शक्ति से
एक ईश्वरीय शक्ति साथ दे रही है।
सर्व प्रथम पाश्चात्य देशों ने भारत की ओर सम्मान की दृष्टि से देखा तो उसके पीछे एक ईश्वरीय - शक्ति स्वामी विवेकानंद के रूप में प्रकट हुई . उनका यह संबोधन विश्व -धर्म सम्मेलन में सनातन -धर्म का बहुत बड़ा सन्देश "वसुदैव कुटुम्बकम " का क्रियान्वयन था।
आज भारत की तरक्की हुई है। देश और भी तरक्की होगी .क्योंकि कई देश -भक्त देश की सच्ची सेवा तन-मन से कर रहे हैं .धन से कर रहे हैं।
देश की सुरक्षा की प्रार्थना और तपस्या में लग रहे हैं।
धनी को आत्मानुभव हो रहा है कि बुरी कमाई शान्ति नहीं देगी।जान नहीं बचायेगी .
धन है,लेकिन वह सब की भलाई के लिए नहीं है ,तो सच्चा आनंद नहीं है।
इसी देश में एक राक्षसी दल हैं,रिश्वत ,भ्रष्टाचार,मारपीट,सत्ता,दूसरों से छीना -झपटी करना ,दूसरों को डरा-धमकाना ,अपने स्वार्थ और अहम्
की सुरक्षा के लिए जितना अन्याय अत्याचार हो ,सब कर सके।उनके जीवन भी हार का ,अपमान का ,आत्म ग्लानी का महसूस करता है। में यही सजा है।
उनको ऐसी विवशता आ जाती हैं,अंत में अपने जीवन काल में ही देशोंनती कार्य में लग जाते हैं। देश का विकास होता है। हमारे देशवासियों में देश द्रोही थे ;देश को विदेशों के हाथ में सौपकर सुख की नींद सोना चाहते थे।उनकी जीत देश के कल्याण चाहकों के कारण हार में बदल जाती।
हमारे देश के सभी शासक धर्म का झंडा फहराते थे।मंदिर बनता था;जैन मंदिर ,बुद्ध विहार,सिक्ख मंदिर,मस्जिद ,गिरजा -घर बनवाये गए .
जिनमें धर्म के प्रति तनिक श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न हो जाती,तब उनमे पवित्र भावनाएँ जाग जाती।
यही सनातन धर्म जिसको लोग खुल्लम खुल्ला खिल्ली उड़ाते हैं,सब को सहनकर विकास हो रहा है। नमस्कार ,योगा ,हरे राम,साईं राम,हरे कृष्ण ,
शिव ,हर-हर महादेव,जयजय शंकर की पुकार संसार के -कोने कोने में गूँज
रहे है।जिसके पीछे केवल आत्मानुभूति है।अपने-आप पल रहा है;किसीका जोर दबाव नहीं है। यह आत्मानुभव का विकास में एक शान्ति है।सूर्य प्रकाश को देखकर भी कोई छाता तानकर छिपाना
चाहता है ,तो भी वह तेज़ प्रकाश ही;वैसे ही चाँदनी रात ;
सनातना धर्म में सूरज का गरम है;और चांदनी की शीतलता है। अतः वह किसी की निंदा या दोषारोपण की परवाह नहीं करता।
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