एक मच्छर ,कई मच्छर ,
मच्छ्रों से रोग ,
संक्रामक रोग.
वह रोग है,
भ्रष्टाचार।
वह रोग है,
भ्रष्टाचार।
पहले ही भ्रष्टाचारों के मच्छर काटकर,
काले धन जोडनेका रोग डेन्गूसे,
कालरा से बढ़कर,
कालरा से बढ़कर,
सुदृढ़ हो गया।
इसके आकर्षण से,
जितने भी नये मच्छर,
ईमानदारी मच्छर आये;
भ्रष्टाचारी मच्छरों का चमक -धमक
हृष्ठ-पृष्ठ ,गुलाबी गाल,आकर्षक आंखे देखी;
माया घेर ली;
ममता बाँध ली;
लाल का बोरा बांधा;
होगये मच्छरों की भीड़;
ए मच्छर अति चतुर निकले;
एक का विरोध करते,
उसी से सम्बंध रखकर
बिना शादी के भ्रष्टाचार क़ेबच्चेपैदा करते;
लोग तो इनके काटने से डरते नहीं;
विष का औषद विष बन गया;
अतः नये मच्छर ,पुराने मच्छर से मिल जाएं .
तो गरीब दुर्बल मच्छर रोग नसाहकर दुरब्ल होंगे; ए
अमीर मच्छर नए आवरण से रोग फैलाते रहते;
मुफ्त शब्द के जाल में गरीब मच्छर फंस जाते;
येतो एक संक्रामक रोग;
एक केबाद एक;
मिटेगा नहीं;
यह न जान लेगा;
सताता रहेग.
ये हैं आकर्षक नशीले मच्छर
नशा चढेगा
प्राण चलेंगे;
फिर भी आनंद का मस्ती;
प्राण चलेंगे;
फिर भी आनंद का मस्ती;
देश बर्बाद नहीं सोचेगा,
नशे चढने का रोग फैलाने पर,
होश उडेगा ही;
छोड़ेगा नहीं.
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