सत्य की परख।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई
31-7--25
सत्य की परख,
कथा नायक से जल्दी,
खलनायकों से अति कठिन।
चोर,डाकू,
भ्रष्टाचारियों से रिश्वतखोरों से
तो अति मुश्किल।।
मतदान के लिए
वोट के लिए नोट देनेवाले
वोट देनेवाले दोनों में
सत्य की सेवा
परख अति मुश्किल।।
सत्यवान रहना अति मुश्किल।
सत्यवान साधु झूठ नहीं बोलता।
उसने एक दृश्य को देखा।
अब गवाह देना था।
साधु ने आँखें नहीं बोल सकती।
आँखों ने देखा।
यह कहानी का सत्य।
वास्तव में सत्य की परख मुश्किल।
कृष्ण को भी विजय
षड्यंत्र और झूठ
बोलने से मिली।
राम को भी छिपकर
वाली वध करना पड़ा।
सत्य की विजय परमात्मा के लिए भी मुश्किल।।
भगवान कार्तिकेय प्रेमिका से मिलने
वृद्ध रूप लिया।
विष्णु ने वामनावतार लिया।
इंद्र ने अहिल्या को धोखा देने मुनि का रूप लिया।
दमयंती के स्वयंवर में
सभी देव नल के रूप धारण किया।।
अफ़ज़ल खाँ ने शिवाजी को मारने षड्यंत्र किया।
शिवाजी आलिंगन करके
बघनखे से मारा।
सत्य की परख कैसे
जान सकते हैं।
भला करने असत्य बोलना पाप नहीं,
तब सत्य की परख कैसे?
पढ़ें लिखे वकील पैसे के लोभ से भ्रष्टाचारी मंत्री को छुड़ाने तैयार।
मतदाता मतदान देने तैयार।।
सत्य की परख कैसे?
अग्नि में उतरी सीता को
जंगल भेजा था राम
धोबी के वचन से।
सत्य की परख कहाँ?
जिसकी लाठी उसकी भैंस के संसार में
सत्य की परख है।
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