राजनीति आजकल एक दूसरे पर
कीचड उछालने की नीति बन गयी।
ईश्वर के नाम व्यापार सही
इस जग में क्या सही/ क्या गलत ?
का पता नहीं;
एक दल का दोष ,दूसरे दल को ही दोष लगता हैं
दोषी दल को नहीं लगता दोष अपना दोष ;
न जाने क्या हो दोष ?दोष ही सही लगता है ;
एक न्यायाधीश का अपराधी ठहरना ,
दूसरे जज को लगता निरपराध;
पृष्ठों का अपराध ,गवाही एक तो लापता हो जाता है या जल जाता है
या गवाहियों का खून हो जाता है ,
या गवाही अपना बयान बदल देता है;
सालों के खारिज मुकद्दमा फिर नया बनकर शुरू हो जाता है
केवल मुकद्दमा का नाटक चलता है
चलता रहता है; चालते रहते हैं
फैंसला निकालते ही फिर अपील अपील
खूब हास्य भरी खबरें पढ़ने मिलती रहती है.
कीचड उछालने की नीति बन गयी।
ईश्वर के नाम व्यापार सही
इस जग में क्या सही/ क्या गलत ?
का पता नहीं;
एक दल का दोष ,दूसरे दल को ही दोष लगता हैं
दोषी दल को नहीं लगता दोष अपना दोष ;
न जाने क्या हो दोष ?दोष ही सही लगता है ;
एक न्यायाधीश का अपराधी ठहरना ,
दूसरे जज को लगता निरपराध;
पृष्ठों का अपराध ,गवाही एक तो लापता हो जाता है या जल जाता है
या गवाहियों का खून हो जाता है ,
या गवाही अपना बयान बदल देता है;
सालों के खारिज मुकद्दमा फिर नया बनकर शुरू हो जाता है
केवल मुकद्दमा का नाटक चलता है
चलता रहता है; चालते रहते हैं
फैंसला निकालते ही फिर अपील अपील
खूब हास्य भरी खबरें पढ़ने मिलती रहती है.
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