Saturday, July 25, 2015

case --केवल मुकद्दमा हास्य भरी खबरें

राजनीति आजकल  एक दूसरे  पर 
 कीचड उछालने की  नीति  बन गयी। 
ईश्वर के नाम व्यापार सही 
इस जग में क्या सही/ क्या गलत ?
का पता नहीं;

एक दल  का दोष  ,दूसरे  दल को  ही दोष लगता हैं 
दोषी  दल को नहीं लगता दोष अपना दोष ;
न जाने क्या हो दोष ?दोष ही सही लगता है ;
एक न्यायाधीश का अपराधी ठहरना ,
दूसरे जज   को  लगता  निरपराध;
पृष्ठों  का अपराध ,गवाही एक  तो  लापता हो जाता है  या  जल जाता है 
या गवाहियों  का  खून  हो  जाता है ,
या  गवाही अपना बयान बदल देता है;
सालों के खारिज मुकद्दमा फिर नया बनकर शुरू हो जाता है 
केवल मुकद्दमा का नाटक चलता है 
चलता  रहता  है; चालते रहते हैं 
फैंसला निकालते ही फिर अपील अपील 
खूब  हास्य भरी खबरें पढ़ने  मिलती रहती है. 


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