Sunday, May 31, 2015

तिरुवाचकम् --३१--३५


तिरुवाचकम् --३१--३५  

उय्य  एन  उल्लत्तुळ  ओंगार माय निन्र  =मेरे उद्धार  के लिए मेरे मन में प्रणव रूप में बसे 

मेय्या   विमला विडैप्पाका   वेदंगल --सत -स्वरूपी ,विमल ,वृषभ वाहन , वेद आदि 


ऐया वेन  ओंगी आऴ न्तकन्र नु न्नियने --की स्तुति में  मग्न व्याप्त सूक्ष्म रूपी  । 




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