तिरुवाचकम् --३१--३५
उय्य एन उल्लत्तुळ ओंगार माय निन्र =मेरे उद्धार के लिए मेरे मन में प्रणव रूप में बसे
मेय्या विमला विडैप्पाका वेदंगल --सत -स्वरूपी ,विमल ,वृषभ वाहन , वेद आदि
ऐया वेन ओंगी आऴ न्तकन्र नु न्नियने --की स्तुति में मग्न व्याप्त सूक्ष्म रूपी ।
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