तिरुवाचकम् --३६ से ४० तक ; tiruvachakam
पॉयया इनवेल्लाम पोयकल वंतरुली --अस्थिर मिथ्या वस्तुएँ मुझसे दूर होने तू पधारकर
मेयज्ञानमाकी मिलिरकिनर मेच्चुडरे --सत्य स्वरुप में गुरु बनकर ,प्रकाशित ज्ञान दीप शिखा
एज्ञाना मिल्लातेन इनबप पेरुमाने --बुद्धूस्वरूपी मुझे
अज्ञानंतनै यकलविक्कुम नल्लरिवे ==अज्ञान मिटाकर अच्छे सच्चे ज्ञानस्वरूपी
भगवान अज्ञानान्धकार दूर करनेवाले ज्ञान देनेवाले सत्यस्वरूपी हैं.
धूप -सा गर्मी ,गुणी ,निर्मल मुझे अपनी कृपा से ज्ञानी बनानेवाले हैं
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