नमस्ते वणक्कम। नमस्ते। वणक्कम्।
நம் எண்ணங்கள் हमारे विचार
நம் செயல்கள் हमारे कर्म
நம் உருவங்கள் हमारे रूप
அனைத்தும் सब के सब
நமது படைப்பே. हमारी ही सृष्टि है।
இறைப்பற்று। ईश्वर प्रेम आसक्ति
உலகப்பற்று। सांसारिक आसक्ति
உடல் பற்று। शारीरिक आसक्ति
இந்த மூன்றில் इन तीनों में
எது நிலைத்து.? स्थाई क्या है?
அறியும் ஞானம் जानने का ज्ञान
மனிதனுக்குள்ளே. मनुष्य में।
ஆனால் இறைவனின்। लेकिन ईश्वर का
ஒரு அம்சம் மாயை. एक अंश माया है।
அதனால் ஏற்படுவதே उसी से होता है
உடல் பற்று. शारीरिक आसक्ति।
உலகப்பற்று। सांसारिक आसक्ति
இந்த இரண்டுமே ये दोनों ही
நிலையில்லாதவை. अस्थिर है।
ஆனால் உடனடி लेकिन सद्यःफल
சுகமும் सुख
துன்பமும் दुख
தரக்கூடியவை. देनेवाले हैं।
இந்த இரண்டு। इन दोनों
பற்றுகளால் आसक्तियों से
மனிதவாழ்க்கை मनुष्य जीवन
இன்னல்கள்। दुखों से
நிறைந்ததே. भरे हैं।
இறைப்பற்று ஒன்றே केवल ईश्वर भक्ति ही
மனசஞ்சலம் मानसिक चंचलता
அகற்றி दूर करके
காம काम
குரோதம் क्रोध
பேராசை लोभ
பொறாமை ईर्ष्या
ஆணவம் घमंड
அகற்றி दूर करके
மனிதனை। मनुष्य को
அஹம் अहं
ப்ரஹ்மாஸ்மி। ब्रह्मास्मी
நானே கடவுள் என்ற। मैं हूं भगवान की
நிலைக்கு स्थिति को
கொண்டுவருவது. लाता है।
அந்த நிலையை उस स्थिति
அடைய. पहुंचने
கடவுளின் ईश्वर का
அம்சம் अंश
மாயா தேவி। माया देवी
தடுத்து रोककर
திறை போடும். पर्दा डालती है।
மனிதன் मनुष्य
ஆத்ம ஞானம் आत्मज्ञान
பெற்றால் प्राप्त करें तो
மனம் ஆன்மாவில் मन आत्मा में
சேர்ந்து விடும். विलीन हो जाएगा।
இறைநிலை। ईश्वरत्व
வந்த பின்னர்। आ जाने के बाद
பற்றற்ற நிலை. अनासक्ति की दशा।
ஆத்மா பரமாத்மா आत्मा परमात्मा
ஒன்றான நிலை. एक हो जाने की दशा।
அதுவே அத்வைதம். वही अद्वैत है।
அந்த நிலை उस स्थिति पर
அடைபவர் ஆத்ம ஞானி. पहुँचनेवाले आत्मज्ञानी।
அஹம் பிரஹ்மாஸ்மி. अहं ब्रह्मास्मी।
இறைப்பற்றை ईश्वरीय प्रेम
அறிவதற்கான। जानने का
ஞானம் ज्ञान
பகுத்தறியும்। विवेक शीलता
தன்மை। गुण
மனிதனிடத்தில் मनुष्य में
தான் உள்ளது. ही है।
அதனால் தான் इसीलिए
சனாதன தர்மம் सनातन धर्म
உருவமற்ற निराकार
உருவமுள்ள आकार
தெய்வங்கள் देव
பல ஆத்ம ஞானிகள் अनेक आत्मज्ञानी
வழிகாட்டிகள். मार्ग दर्शक हैं।
மாயையிடமிருந்து माया से
தப்பிக்க। बचने
தியானம் , ध्यान
ஜபம், जप
தவம், तप
பஜன் भजन पर
வலியுறுத்தி बल देते रहते हैं।
வருகின்றனர்.
ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம்.
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
आपके द्वारा दी गई सामग्री एक आध्यात्मिक और दार्शनिक विचार है, जो विभिन्न धर्मों और दर्शनों के सिद्धांतों को मिलाकर प्रस्तुत किया गया है। इसमें आप ईश्वर, आत्मा, माया, और जीवन के उद्देश्य के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
मुख्य बिंदु जो आपके विचार में निहित हैं:
1. ईश्वर प्रेम और आसक्ति ही सच्ची और स्थाई है।
2. माया और सांसारिक आसक्ति अस्थिर और दुख का कारण है।
3. आत्मज्ञान और ईश्वर के साथ एकता ही जीवन का उद्देश्य है।
4. ध्यान, जप, तप, और भजन ईश्वर की ओर पहुंचने के साधन हैं।
5. गुरु और शिष्य का संबंध आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण है।
आपके विचार में वेदांत, अद्वैत, और भक्ति योग के तत्व शामिल हैं, जो हिंदू धर्म और दर्शन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण शब्द और अवधारणाएं जो आपके विचार में आई हैं:
- माया: सांसारिक आकर्षण और अस्थिरता।
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा या जीव।
- परमात्मा: सर्वोच्च आत्मा या ईश्वर।
- अद्वैत: ईश्वर और आत्मा की एकता।
- आत्मज्ञान: आत्मा की सच्ची प्रकृति की समझ।
- ध्यान: एकाग्रता और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति के लिए।
- जप: मंत्रों का पुनरावृत्ति।
- तप: आत्म-निर्माण और आत्म-शुद्धि के लिए।
- भजन: ईश्वर की पूजा और स्तुति।
आपके विचार में गहराई और आध्यात्मिक ज्ञान है, जो पाठकों को आत्म-ज्ञान और ईश्वर की ओर ले जाने में मदद कर सकता है।
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