Saturday, January 18, 2025

वीर रस



हिंदी साहित्य का इतिहास 

 वीरगाथाकाल काल से शुरू।।

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

 स्वयं कवि सेनापति।

 राजा की वीरता का बखान।

जिसका खाना, उसका गाना।


मानव जीवन में वीरता नहीं तो न कोई महत्ता।  

पाषाण युग में पत्थर ही अस्त्र-शस्त्र।

आज अणुबम तक।

 आमने सामने की लड़ाई 

 आजकल के अस्त्र शस्त्र 

 भूमि से, आकाश से दूर से

 लुक-छिपकर हमें फेंकते।

 वीर पुरुषों राम जैसे 

 आज जा कल आ कहने की वीरता नहीं।


 

स्वयं वर वीरता के आधार पर।

तन की शक्ति देख,

 हृष्ट-पुष्ट शरीर देख

 शारीरिक वीरता देखकर 

बुद्धि वीरता देख, स्त्री अपने पति चुनते ही

ज्ञान वीरता,धन वीरता, धर्म वीरता

दान वीरता न तो न कन्या पति चुनती।

 प्यार करनेवाली लड़की

 कुंडल केशी तमिल का महाकाव्य।

वाग्वीर वचन वीर हनुमान का नाम प्रसिद्ध।

विधिवत भारत में स्वयंवर  ही प्रसिद्ध।

स्वयंवर में शारीरिक वीरता,

बौद्धिक वीरता,

धन वीरता,

रण वीरता।

 मूर्ख कालीदास  को बुद्धि वीर माना।

प्रहलाद भक्ति वीर।

 महत्ता न मानव में तो   न नारी देती सम्मान।

 नारी न देती सम्मान  पौरुषहीन नर को।

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

राम धारी सिंह दिनकर 

सच है, विपत्ति जब आती है,

कायर को ही दहलाती है,

सूरमा नहीं विचलित होते 

क्षण एक नहीं धीरज खोते।

विघ्नों को गले लगाते 

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नरेंद्र शर्मा

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कुछ भी बन,कायर मत बन।

ठोकर मारी पटक मत,

माथा तेरी राह रोकते पाहन।

कुछ भी बन कायर मत बन।

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रैदास  -- सूर समर करनी कहीं, कहिए न जनावहिं आप।

             विद्यमान रिपु पाइप रन, कायर करिहिं प्रलाप।।

   मेरे दादा परदादा वीर थे,  

ऐसे ही कहते फिरते कायर।

कायर के विपरीत वीर, मैदान में कूद पड़ते

तुलसीदास --सूर न पूछे टीपणौ, सुकन न देखें सूर।।

                  मरणां नू मंगळ,  गिणे समर चढ़े मुख नूर।

शूर  न जाता ज्योतिष से  मुहूर्त पूछने, न देखता शकुन।

वीर मरने में ही मंगल समझता, युद्ध में तेज चमक सिखाता।।

सूर्य  मल्ल मिश्रण 

 शूर वीर के लिए उत्साह और वीर जन्मजात है।

कबीर  

जिन खोजा तिन पाया,गहरे पानी पैठ।

मैं बपूरा डूबने डरा, रहा किनारे बैठ।

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