तमिल हिंदी सेवा
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एस.अनंतकृष्णन
का नमस्ते वणक्कम्।
शीर्षक -- कदम कदम बढ़ाए जा।
विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली
लक्ष्य == इलक्कु, कुरिक्कोळ्
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कदम कदम बढ़ाए जा।==
ओव्वोरु कालडि वैत्तु
मुन्ने चेल्।
मंजिल तक पहुंचने तक= कुरिक्कोळै अडैयुम वरै।
मुड़कर न देखना।==तिरुंबिप्पार्क्काते।।
मुड़कर देखने से==तिरुंबिप्पार्प्पताल्
कोई उपलक्ष्य मोहित करेगा तो = एतावतु तुणै लक्षियम् कवर्न्ताल्
प्रधान लक्ष्य तक पहुंचना कठिन।=पिरधान लक्ष्यत्तै अडैवतु कठिनम्।
कभी मैं ने एक दोहा सीखा।= ऍप्पोतो ओरु ईरडि कट्रेन।
चींटी चावल लेकर चली।
ऍऱुंबु करिहिं ऍडुत्तुच्चेन्रतु।
बीच में दाल मिला।=
नडुवुल् परुप्पु किडैत्ततु।
चींटी दोनों खो बैठी। =
ऍरु़बु इरंडैयुम् इऴंततु।
कदम कदम पर सावधान रहना।
ओव्वोरु कालडियैयुम् ऍच्चरिक्कैयाक वैक्कवुम्।
खतरे का सामना करना।==
अभायत्तै ऍतिर्क्कवुम्।
लालच में न पड़ना।
पेरासैप्पडवेंडाम्।
कदम कदम पर विचित्रता,
ओव्वोरु कालडियिलुम् विचित्तिरम्।
ताज़ा मोह, =पुत्तम् पुतिय मोहम्।
ताजा आकर्षण।=पुत्तम् पुतिय कवर्च्चि।
लक्ष्य से बड़ा मिलने का भ्रम।
लक्षियत्ते विड पेरिताकक्किडैक्कुम् भ्रमै।।
न विचलित होना।==
तयंगाते।
कदम कदम बढ़ाए जाना।
ओव्वोरु अडियाक मुन्नेरिच्चेल।
लोभ दिखाते कुछ लोग।
पेरासै काट्टुवोर सिलर्।
भय दिखाते कुछ लोग।
मतम् काट्टुवोर सिलर्।
चमक-धमक मार्ग पर है तो
ऒलि पळपळप्पु वऴियिल्
न देना तू ध्यान।।
अतिल् कवनम् चेऴुत्ताते।
कदम कदम बढ़ाए जा।
ओव्वोरु हम अडियाक मुन्ने चेल्।
एस.अनंतकृष्णन,चैन्नै द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
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