मैंने सोचा --संसार एक माया क्यों? हैं
माया अधिक है मोहक .वह तो है मिथ्या.
पर ममता चिपक् जाती है;
तब भौतिक आकर्षण भ्रष्टाचार और रिश्वत के भयंकर
राक्षस देश की प्रगति में बाधा पहुंचाता है.
धन की माया में
जय की ललिता लहराती हैं,
भ्रष्टाचारियों को बचाने राक्षस
बदमाशी कर रहा है भ्रष्टाचारी से जय का झंडा फहराकर,
न्यायालय के फैंसले के विरोध में
ममता ,माया के कारण
भ्रष्टाचारी तैयार हैं न्याय का गला घोंटने;
क्या करेगा अदालत उच्च उच्चतम.
माया ,ममता के जय के भ्रष्टाचार होगा मुक्त
या
न्यायलय करेगा सही ;या राजनीति केंद्र जय ममता माया का साथ देगी .
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