भारत की एकता के लिए आजादी के लिए
नेता को छोड़ ,उनकी आज्ञा मानकर ,
न मानकर कितने हजार अपने प्राण त्यागे थे ,
उनके प्रति क्या हमारी जिम्मेदारी ,
देश की एकता को दृढ़ बनाना,
देश भक्ति बढ़ाना,
प्रांतीय तरक्की उसका अलग विशेष,
पर इतनी आजादी हमें मिली कहाँ से ,
उन शहीदों को सोचो ,जो आज़ादी के संग्राम में फाँसी पर लटके थे;
लाठी के मार सहे , जेल में कठोर कारवास के दंड भोगे;
जंगल में भटके ;घर द्वार तजकर
बेहद कष्ट सहे ; उन सच्चे शहीदों की आत्माएँ,
देश की एकता के लिये तड़प रही हैं;
प्रान्तीयवाद रहे उससे सर्वोपरी रहे भारतीय के विचार.
भारत भूमि पुण्य भूमि,
भारत की एकता धर्म निरपेक्ष एकता ;
ईश्वरतो निर्गुण सगुण सब केअनुयायी.
राष्ट्रपिता गांधीजी के भजन ,
रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम
ईश्वर अल्ला तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान ;
जय हिन्द !जय भारत!
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