नमस्ते। वणक्कम।
लघुकथा।
शब्दाक्षर साहित्यिक श्रुंकला -२९
दिनांक २७-१०-२०२०
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शीर्षक-- यमदूत का संकेत।।
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आस्तिक हो या नास्तिक,
धार्मिक हो या अधार्मिक
अफसर हो या चपरासी,
कोई भी यमराज का दंड
मृत्यु से बच नहीं सकता।।
कहा जाता है कि यमदूत का आगमन मरने वालों को और रिश्तेदारों को संकेत मिल जाता है।।
मंजुला शोध छात्रा है। पढ़ें लिखे लोगों को इसको मानने में दुविधा होती है। मंजुला को तीन दिनों से पेट में एक प्रकार की गड़बड़ी।स्वप्न में भैंस उसे भगाती थी। दादी से बताया तो वह व्याकुल होकर बोली हमारे कोई रिश्तेदार की मृत्यु होने का लक्षण है। मंजुला दादी की बात पर यकीन कर न सकी।
वह अपने शोध ग्रंथ लेकर कालेज गई। किरीट विषाणु रोग फैलने के भय से महाविद्यालय की छे महीने से छुट्टियां थीं।
महाविद्यालय के मैदान में तीन चार भैंसें घर रही थीं। अचानक बाहर से तीन चार भैंसें दौड़ते हुए अंदर आतीं। मंजुला को ये भैंसें ऐसी लगीं कि वे वे ही भैंसें थी, जिन्हें वह स्वप्न में देखी थीं।उसको दादी की बातें याद आतीं
यह किसी रिश्तेदार की मृत्यु का संकेत हैं।तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी।खबर थी कि उसके नाना कोविड के हमले में चल बसे।
यम आगमन का संकेत सच निकला।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।
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