शीर्षक _-सांझ सबेरे।२७-१०-२०२०.
सांझ सब पारसी अपने नीड़ लौटते।
सबेरे खेत जाकर किसान वापस लौटते।
गोधूली बेला गायें चरकर वापस लौटती।
सूर्योदय सूर्यास्त का सुबह शाम ।।
त्रिकाल संध्या वंदन ब्राह्मण करते।
सबेरे कमल खिलते,
सबेरे पक्षी चहचहाते हैं,
पत्थरों पर शबनम की बूंदें।।
सूर्योदय ओसकणों को नदारद करते।
सबेरे व्यस्त पशु पक्षी मनुष्य
आराम करने घर लौटते।।
ईश्वरीय कालचक्र खेल में
यह भी एक लीला अति रोचक।।
परिश्रम करनेवाले आराम लेने
ईश्वरीय नियम।।
No comments:
Post a Comment