नमस्ते। खून शक्ति।
पसीना बहाना
स्वास्थ्य के लिए ही नहीं ,
जीविकोपार्जन के लिए।
तोंद घटाने के लिए।
स्वस्थ तन के लिए।
स्वस्थ धन के लिए।
स्वस्थ धनी परिवार के लिए।
संतान पालने के लिए।
सुख- सुविधा के
वैज्ञानिक सुख के लिए।
कितना सुख।
जवानी में दौड धूप।
बुढापे में धनी।
यही संसार मिथ्या नश्वर जगत।
खून पसीना एक कर
कमाई पैसे सानंद भोगने
सदानंद सच्चिदानंद का अनुग्रह चाहिए।
तीस हजार की सुंदर मूर्ति गंगा में
विसर्जन से प्रदूषण बाह्याडम्बर।
हिंदु मिलकर गरीबों की शिक्षा
आवास में खर्च करें तो
धर्म परिवर्तन क्यों ?
धन के बल पर आतंकवाद सेना।
मजदूर सेना,
आत्म हत्या सेना।
मतदाता को पैसे देना।
गरीब सच्चे शासक नहीं।
असुर शासक देव गुलाम
ऐसे सिद्धांत बदलना चाहिए।
ये भ्रष्टाचार धनी भी यम का मेहमान।
अभिनेता, क्रिकेट प्लेयर सांसद या विधायक बन क्या क्या योजना बनाई।
खून पसीना एक कर
अच्छे सच्चे ईमानदार निस्वार्थ
प्रतिनिधि चुनिये।सुनिए
पाँच सौ के लिए या रिश्वत केलिए
अन्यायों को ईश्वर जैसे वर मत दीजिये।
असुरों का शासन या अबच्चों का शासन
मतदाता ईश्वर की संकेत उंगली में।
खून पसीने के मेहनत का फल
सानंद भोगिए ।
सबहिं नचावत राम गोसाई।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
नीर शीर्षक। 24-2-2020
पंच तत्वों में एक नीर।
बगैर हवा के दो पल जीना असंभव।
दो दिन नीर न तो वनस्पतियों का
सूख जाना प्रमाण।
भारत में जल की कमी नहीं।
नीर संचयन की योजना की कमी।
चेन्नै ,मुंबई जल समुद्र।
उतने पानी बचत की योजना नहीं।
बाढ के समय गंगा के पहले दर्शन।
पानी घाट डूबकर बही।
सब नीर कहाँ?
स्वार्थ सांसद विधायक मंत्री
520×100=52000 लाख करोड़
पोस्ट-दर-पोस्ट पताका मतदाता खरीदने चुनाव खर्च।
सरकार सुरक्षा का चुनाव खर्च।
सचमुच देश की भलाई हो तो
चुनाव रोककर सब मिलकर
पानी की कमी के बिना
स्थाई योजना बना सकते।
इनकी साधना मद्रास को चेन्नै बदला।
बंबई को मुंबई, कलकत्ता कोलकत्ता।
नीर/जल/पानी जीने की अनिवार्यता
अति आवश्यकता पूरी करने के बदले।
तीन हजार झीलों के शहर में
झील गली नाम मात्र।
झील नहीं,तालाब नहीं।
सब के सब बन गये घर।
करोडों के भ्रष्टाचारियों के धन
चुनाव में नीर बनकर।
ग्रीष्मकालीन पर्वत क्षेत्र।
इमारतों का भंडार।
गिरि परिक्रमा का मार्ग
व्यापारियों का अड्डा।
नदियों के रेत गायब।
पैसे केवल चुनाव जीतने।
कमाने, हर कोई अरब पति।
न पीने के लिए पानी।
गणेश जुलूस विसर्जन।
छे हजार मूर्तियाँ
न्यूनतम 3000रुपये।
केवल चेन्नै शहर में मात्र 6000 मूर्तियाँ।
3000×6000=18000000 एक करोड़ अस्सी लाख। न्यूनतम।
किसके लिए?
भगवान को छिन्न-भिन्न कर
अपमानित करने के लिए।
कहते हैं हिंदुओं की एकता केलिए।
ईसाई मुसलमान की एकता बढ रही है।
तिलक लगाने की लडाई अदालत तक।
भगवान सब भाषा जानते हैं पर
मंत्र की भाषा के लिए अदालत में।
नीर की चिंता कहीं
किसी को नहीं।
पैसे की कमीनहीं,
नीर जैसा खर्च करने तैयार।
नीर महँगा,
आधी बाल्टी पानी में नहाना।
अंग्रेज़ी प्रभाव कुल्ला करना नहीं।
उठते ही बिस्तर चाय।।
नीर की चिंता नहीं।
पाखाना के बाद टिस्सू पेपर बस।
भावी पीढ़ी कितना कोसेगी?
माता पिता का पाप पुत्र पर।
जब ब्राह्मण ने अपना धर्म छोड़
अंग्रेज़ी सीखी, तभी शुरु हुआ
जल प्रदूषण ।वायु प्रदूषण।
जल की कमी।
अब भी है जागने का समय।
जागो न कहो जगाने कोई नहीं।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार करें।
पहले मेरी मुक्त रचनाएँ भेज रहा हूँ।
मतिनंत की मुक्त रचनाएँ
मेरा नाम यस.अनंतकृष्णन हूँ।
मैं अपने विचारों को अपनी भाषा अपनी शैली, अपने विचार के आधार पर फेसबुक के विभिन्न दलों को भेज रहा हूँ। उनके प्रोत्साहन और प्रेरणा समय समय पर मिल रही है।
आज एक मजदूरिन का चित्र के आधार पर जो लिखा ,
उसे भेज रहा हूँ।
उत्तर पाकर और भी भेजूँगा।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
शीर्षक चित्रलेखन।
मजदूरिन का मंद मुस्कान।
मलिन शरीर निर्मल मन।
अथक परिश्रम स्वस्थ शरीर।
कठोर परिश्रम मधुर नींद।
संतुष्ट जीवन;
दंत पंक्तियाँ न पेस्ट।
नीम की लकडी, वही पेस्ट।
काटकर ब्रश।
सहज जीवन ,सहजानंद।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार
संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक चित्रलेखन।
23-2-2020।
नाम अनंतकृष्णन।
स्वरचित मौलिक।
रंकों की समस्या।
रईस जानते पर
अनदेखा रह जाते।
रईसों की अपनी समस्या।
तमिल की लोकोक्ती--
उंगली बराबर सूजन।
अपना अपना भाग्य।
क्या करें?
कडी धूप में
ईंधन चुनना।
पापी पेट केलिए।
कच्चे को पकाने के लिए।
वहाँ घर में चूल्हा नहीं तो
चिंता नहीं, त्वा नहीं तो भी
संभाल लेती।
आटा नहीं तो क्या कर सकती।
बगैर बिस्तर के सो सकती।
बगैर चावल के क्या करती।
धन है भ्रष्टाचार के धन
कई लाख करोड ।
पैर काटे गये।
पद सत्ता सब कुछ पाकर भी
कर्म करने कोई नहीं
माँ जयललिता चल बसी।
न संतान न खून के रिश्ते।
क्या करें दशरथ का भी वही हाल।
ऐसी दिन दुखियों की चिंता
किसी को नहीं।
केवल पछताया यही।
हाय! कडी धूप में ईंधन चुनती।
अपना अपना भाग्य।
कफन के लाज रखने
प्रकृति ने बरफ के कपडे से
अनाथ मृत गरीब
बालक के शरीर ढक दिया ।
सांत्वना के शब्द--
अपना अपना भाग्य।
सबहिं नचावत राम गोसाई। ।
संयोजक संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
शीर्षक : प्रकृति
वैज्ञानिक युग में
हमारी जिंदगी
प्रकृति की इज्ज़त
करती ही नहीं।
ग्रामीण प्रकृति
शहरों में नहीं।
शहर निवासी न जानते
प्रकृति का प्रेम।
जन्म और मृत्यु में भी
कृत्रिम इलाज ।
पंख हवा। वातानुकूलित कमरे।
पैदल चलना डाक्टर की सलाह के कारण।
घर के द्वार से स्कूल तक वाहन।
खेल भी कोच के अधीन।
नियंत्रित शिक्षा।
स्वचिंतकों को विचार प्रकट करने में भी
व्याकरणिक बंधन।
झील नदियाँ पंख नदारद।
राजनीतिज्ञ नेता के गुलाम ।
ईश्वरीय चिंतन में मत-मतांतर
जाति संप्रदाय मजहबियों का कृत्रिम विचार।
भक्तों में विभाजन।
अल्ला भक्त न मानो तो काफिर।
ईसा भक्त वही रक्षक।
शिव भक्त, वैष्णव भक्त।
सब के सब मूल,शाखा,
उपशाखाओं से
विभाजित।
भगवान के नाम लेकर
ईश्वरीय प्रेम में बाधाएँ।
सूर्य-चंद्र हवा वर्षा प्रकृति
न देखती भेद भाव।
आम का स्वाद,
पानी का स्वाद।
सब के लिए बराबर ।
आँधी-तूफान, भूकंप, ज्वालामुखी
सुनामी प्राकृतिक कोप न देखता
मजहबियों के भेद भाव।
प्रकृति की शक्ति बढी।
प्रकृति को काबू में रखने का प्रयत्न।
अग- जग के विनाश के कदम।।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
आज है प्रेम दिवस।
कल कौन दिन था
क्या घृणा दिवस है?
कल कौन दिन है?
क्या नफ़रत दिन है ?
क्या पागलपन सूजा है ?
माता को मनाने साल में एक दिन।
पिता को मनाने साल में एक दिन।
तलाकों के देश में ही
यह संक्रामक रोग भारत में।
आलिंगन दिवस ।
चुंबन दिवस।
रखैल दिवस।
संक्रामक रोग ।
तमिलनाडु में
मंगल सूत्र निकालने का दिवस।
राम को मारने का दिस।
भगवान नहीं ,
केवल हिंदुओं के लिए।
ईसाई अल्ला नहीं
द्रमुख दलों को साहस नहीं।
जयललिता मायावती पराशक्ति।
जयललिता को मरियम्मा का वेश चित्र बनाया तो
ईसाइयों ने लात मारा।
तुरंत वह चित्र हटाया गया।
सहिष्णुता तो हिंदु में इतना।
परम शिव पराशक्ति राम कृष्ण हनुमान
वेषधारी घर घर भीख माँगते।
जरा सोचना विसर्जन के नाम ।
देव देवि का छिन्न-भिन्न करना।
भीख माँगनाबडा अपमान।
प्रणाम वणक्कम।
प्यास अपनी खुद बुझाना सीखो।
प्यार अपना जताना सीखो।
प्यार अपना निभाना सीखो।
जीवन अपना निर्वाह सीखो।
अपने पैर खडे रहना सीखो।
अपने वचन निभाना सीखो।
प्यास अपना निभाना सीखो।
अपनी शक्ति जानो।
अपनी पृष्ठभूमि जानो।
अपने बुद्धि बल जानो।
अपनी प्यास खुद बुझाने सीखो।
कुआँ प्यासे के पास नहीं आता।
खुदा भक्त के पास आ जाता।
खुशामद छोडो, खुदा में मस्त हो जाओ।
चाहे अल्ला कहो,चाहे ईश्वर कहो,
चाहे ईसा,सब एक ही मानो।
अपना प्यास बुझाने,
परमात्मा में मग्न हो जाओ।
अपनी प्यास खुद बुझाने सीखो।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
शीर्षक :- चरित्र
आजकल चरित्र बिगड़ने पर।
चिंता करते नहीं।
चरित्र पर मतदाता
ध्यान देते नहीं।
देते तो संसद- विधान सभा को
जाते ही नहीं ऐसे लोगों को
वोट देते क्यों?
एक न्यायाधीश का बयान
इस्तीफा करके
विदेश जाना चाहता मन।
मज़हबी शिक्षा केवल
सरकारी स्कूलों में नहीं।
मंदिर से आमदनी।
तमिलनाडु सरकार बजट
गिरजाघर मसजिद को छे करोड़।
प्राचीन मंदिर शिल्पकार के मेहनत शिल्प। मरम्मत नहीं।
मरम्मत है तो अमूल्य
दुर्लभ वस्तुएँ नदारद।
मंदिर के आसपास मल मूत्र।
ऐसे अशुद्ध न मसजिद गिरजा घर में।
भगवान के वेश में भिखारी नहीं।
स्वच्छता चरित्र का मूल।
थूकता मंदिर में ही देखा मैंने।
सत्तर साल के बाद
स्वच्छ भारत की शिक्षा।
विदेशी को नागरिकता
देने
आंदोलन।
चरित्र है तो भ्रष्टाचार
सांसद विधायक जीतते कैसे?
सौ करोड खर्च करते कैसे?
पियक्कड़ धनी चालक
हत्यारे बचते कैसे?
उदय सूर्य दल चिह्न संस्कृत।
उस नेता के संस्कृत विरोध भाषण सुन
आंदोलन करते कैसे?
लाल बत्ती लैसन्स क्यों?
मधुशालाओं की संख्या बढती क्यों?
सरकारी मातृभाषा
पाठशालाएँ बंद होती क्यों?
सरकारी स्कूलों के अध्यापक
अपने बेटे बेटी को
गैर सरकारी स्कूल में भर्ती करते क्यों?
क्यों का सही समाधान नहीं तो
चरित्र की बात लेते क्यों?
स्वरचितस्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
देश भक्ति।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
देश भक्ति
आजादी बना रखेगी।
सरकार की संपत्ति हमारी।
सार्वजनिक संपत्ति हमारी।
हमारे मेहनत की कमाई।
अपने घर की चीजें जैसी ही
देश की संपत्ति। हमारे कर के रुपये।
राजनैतिक दल के बदमाश बेवकूफ
बुद्धिहीन आजादी देश न सोचकर
अंग्रेज़ों के विरुद्ध लडाई के समान
अपने भगवान का अपमान करते हैं।
रेल जलाना पटरी उखाड़ना बसें जलाना
सुनागरिक देश भक्त न करेंगे।
जो नेता ऐसे आंदोलन करते हैं
उनको कठोर दंड देना अनिवार्य ।
जब बसें जलाने लगते हैं,
तब दल के सेवक को न दंड देकर
दल के नेता के कारण
जलाना देश भक्ति।
लाठी लेकर दल आते तो
लाल मिर्च का चूर्ण फेंक
लाडी छीन उनके हाथ पैर
तोड़ना देशभक्ति ।।
पुलिस को जलाते झुंडों की तमाशा देख
कार्रवाई देर से लेना देश द्रोह काम।
तुरंत रेल पर या पुलिस पर पत्थर पडें तो फेंकने वालों के प्राण लेना
कानून की रक्षा ही नहीं वही देश भक्ति।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
वतन --21-1-2020।
तन का जन्म
वतन में।
वर है ईश्वर का।
वदन -बदन एक समान।
वंदना बंधन एक समान।
तन-मन- धन का विकास।
वतन है मेरा भारत।
विविधता का बाह्य रूप।
विचारों की एकता अंतरमन।
प्राकृतिक बाधाएँ।
पहाड़ नदियाँ अलग भले ही करें।
जलवायु जबान भले ही हो अलग-अलग।
चिंतन एक शिवराम राधाकृष्ण।
आ सेतु हिमाचल का पूजा-पाठ।
साहित्य समाज के प्रतीक का लक्षण।
वतन है भारत मेरा अति प्यारा।
समृद्धि देख जग भर के विदेशी आये।
दार्शनिक बनने, तत्वज्ञान जानने।
संपत्तियाँ लूटने, खून लेने खून मिलाने।
भारत में यूनान खून मिश्रित
चंद्र गुप्त व॔श, राजपूत खून मिश्रित
मुगल वंश।
एंग्लो फ्रंट मिश्रित वर्ग।
इटालियन इंडियन मिश्रित।
अंतर्राष्ट्रीय मानव वर्ग।
वसुदैव कुटुंबकम् ।
जय जगत
अंतर्जातीय देव वर्ग।
कार्तिक शिव कृष्ण द्विपत्नियाँ।
जातीय एकता फिर भी
जातीय भिन्नता।
सांप्रदायिक दंगे।
जातिवाद।
सबके ऊपर माँ का आशीर्वाद।
मातृभूमि का अटूट प्यार।
सहज भावना। वतन है मेरा भारत।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
भारत महान है का मूल।
दर्शन किये।
वणक्कम।
ऐसी भक्ति ही भारत को
आतंकवादी घोषित मुगलों से बचाती। विदेशी षडयंत्र करोडों के खर्च
ईसाई धर्म प्रचार।
विदेश में बौद्ध धर्म।
भारत में माया मरीचिका का मोह
द्रोही लोभी की भीड़।
फिर भी देश आगे।
रुपये लेकर अंग बेचने वाली वेश्या।
रुपये लेकर अंक देनेवाले अध्यापक
रुपये लेकर दल बदलने वाले
सांसद विधायक
रुपये लेकर मत देनेवाले मतदाता
सब बराबर वर्ग जान।
फिर भी देशोन्नति
यही दिव्य शक्ति भारत।
दिगंबर महावीर की आराधना।
राजकुमार करतल भिक्षा
तरुतलवासा
बुद्ध की आराधना।
अघोरी दर्शन।
भक्त बने लुटेरे वाल्मीकि।
स्त्री दास से छूटकर भक्त बने तुलसीदास ।
आराध्य महान।
गंगा तट बैठ गंगा-स्नान न करके
मन चंगा तो कटौती में गंगा की सीख
चमार रैदास।
यही भारत महान के मूल।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
स्वास्थ्य पथ
संतोष न होने में
असंतोष प्रधान।
देख बिरादरी चोपडी
मत ललचावे जीव।
गो धन गज धन
बाजी धन रत्न धन खान।
जब न आवे संतोष धन
सब धन धूरि समान। ।
पूर्वजों ने कहा।
हम एक कार पाँच लाख खरीद
पडोसी के बीएमडब्ल्यू का सपना।
द्वि व्यापार से निजी भवन
ये सपना प्रयत्न अलग।
जो है उससे असंतुष्ट होना
संतोषजनक से दूर जाना।
जो है उनसे संतोष होना।
जो है उनसे खुश और कोशिश।
वही प्रगति का दीर्घ पथ।
वही परमानंद। वही स्वास्थ्य पथ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार
प्रदूषण..... 7-2-2020
प्रदूषण का प्रथम आविष्कार।
मैं ने किया
नव लेखन शिविर में।
वह है विचारों का प्रदूषण।
सत्ता पकड़ने के लिए
प्रांतीय जोश।
मजहबी विरोध।
जाति विरोध।
संप्रदाय विरोध।
चित्रपट द्वारा भ्रष्टाचारियों का
मनमाना अत्याचार तांडव।
नायिका का अर्द्ध नग्न तांडव चुंबन।
अश्लील नाच गान आलिंगन।
रिश्वत के आधार पर।
न्याय का गला घोंटना।
बदमाश कल नायक का नायक बनना।
न्याय की स्थापना न न्यायालय
न कानून न अधिकारी गण।
बदमाश
खल नायक का नायक बनना।
अनपढ़ बदमाश से नायिका का प्रेम।
प्रेमी -प्रेमिका
माता-पिता का अपमान।
न जाने और भी असंख्य विचार प्रदूषण।
हिंदी विरोध,देव विरोध, राष्ट्र गीत राष्ट्र गान राष्ट्र झंडा विरोध अलग देश माँग
विचार प्रदूषण न रोका जाए तो
विदेशी आतंकवादियों का
दाल गलेगा।
आपसी विचार प्रदूषण विदेशी षडयंत्रकारियों को अति लाभ।
जागो! जागो!
विचार प्रदूषण से
देश बचाओ।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
काव्य - भाव -छंद
विधा भाव विकास का बाधक।
पंख बदलकर कलम।
कलम बदलकर बाल पाइंट।
दूरभाष मोबाइल पेनड्रैव
पैदल घोडा बैल गधा विमान जेट।
पाली अपभ्रंश संस्कृत डिंगलपिंगल
मैथिली अवधि व्रज भोजपुरी खड़ीबोली हिंदी।
बिंदु , शिशु ,बचपन ,लडकपन, किशोर,
जवानी प्रौढ़ बुढापा। झुर्रियाँ ।
खेती नष्ट झील गायब ।
कारखाना ।
शैव वैष्णव श्वेताम्बर दिगंबर ।
महायाण हीनयाण।
भारत की संपर्क भाषा
संस्कृत से अंग्रेज़ी
जीविकोपार्जन।
चोटी -धोती ,मिनी- स्कर्ट।
पेंट सर्टि जीन्स पाँच नक्षत्र होटल।
भ्रष्टाचार रिश्वत वोट।
कितने परिवर्तन।
भाव प्रधान या विचार प्रधान।
अपराधी को केवल
हाँ या नहीं बोलना।
अपनी व्याख्या बोलने
अधिकार नहीं।
विधा कानून
पियक्कड़ चालक
अभिनेता अमीर हो तो मुक्ति।
बारह साल के बाद
फाइल गायब ।गवाह गायब ।
चालक पियक्कड़ अभिनेता नहीं।
शाबाश! न्याय विधान। निर्दयी कानून।
राजीव साज़िशों के समर्थक।
इधर कविता विधा पर रोते
समाज सुधारक कवि।
भारतीय कानून अन्यान्य यथार्थ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
[17/02, 10:47] Anandakrishnan: संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
शीर्षक :- चरित्र
आजकल चरित्र बिगड़ने पर।
चिंता करते नहीं।
चरित्र पर मतदाता
ध्यान देते नहीं।
देते तो संसद- विधान सभा को
जाते ही नहीं ऐसे लोगों को
वोट देते क्यों?
एक न्यायाधीश का बयान
इस्तीफा करके
विदेश जाना चाहता मन।
मज़हबी शिक्षा केवल
सरकारी स्कूलों में नहीं।
मंदिर से आमदनी।
तमिलनाडु सरकार बजट
गिरजाघर मसजिद को छे करोड़।
प्राचीन मंदिर शिल्पकार के मेहनत शिल्प। मरम्मत नहीं।
मरम्मत है तो अमूल्य
दुर्लभ वस्तुएँ नदारद।
मंदिर के आसपास मल मूत्र।
ऐसे अशुद्ध न मसजिद गिरजा घर में।
भगवान के वेश में भिखारी नहीं।
स्वच्छता चरित्र का मूल।
थूकता मंदिर में ही देखा मैंने।
सत्तर साल के बाद
स्वच्छ भारत की शिक्षा।
विदेशी को नागरिकता
देने
आंदोलन।
चरित्र है तो भ्रष्टाचार
सांसद विधायक जीतते कैसे?
सौ करोड खर्च करते कैसे?
पियक्कड़ धनी चालक
हत्यारे बचते कैसे?
उदय सूर्य दल चिह्न संस्कृत।
उस नेता के संस्कृत विरोध भाषण सुन
आंदोलन करते कैसे?
लाल बत्ती लैसन्स क्यों?
मधुशालाओं की संख्या बढती क्यों?
सरकारी मातृभाषा
पाठशालाएँ बंद होती क्यों?
सरकारी स्कूलों के अध्यापक
अपने बेटे बेटी को
गैर सरकारी स्कूल में भर्ती करते क्यों?
क्यों का सही समाधान नहीं तो
चरित्र की बात लेते क्यों?
स्वरचितस्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
सत्य है
प्रणाम। ।
सच्चाई क्या कहूँ।
यथार्थ वादी
बहुजन विरोधी।
बचपन की एक कथा।
आश्रम का सत्यवादी आचार्य।
आँखें मूँदे ध्यान में था।
सत्य बोलना उनका संकल्प।
कसाई से बचकर एक गाय
आश्रम में घुस गयी।
थोडी देर में वहाँ आया कसाई।
आचार्य झूठ नहीं बोल सकते।
कसाई के पूछने पर कहा-
गाय देखी।
किस ओर गयी?
आचार्य चुप।
कसाई ने फिर फिर पूछा-
आचार्य ने कहा -
आँखें नहीं बोल सकती।
यही सच्चाई व्यवहार में।
कटु सत्य बोलना जान को
खतरे में डालना।
भीड बद भीड़ जमा होकर
राम को चप्पल से मारते।
इसको बताने पर शासक विपक्ष
हिरण्यकशिपु शासन।
यही सच्चाई राम से बढकर
भाग्यवान द्रमुख दल।
सत्य कहूँ तो राम दुष्टों को
देता सत्ता। कौन बुरा पता नहीं ।
ईश्वर रचयिता या उनको
जूते से मारनेवाले शासक।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार करें
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
उच्चारण। जिह्वा फिसलन खतरा।
Write something .
कुछ लिखो।
कुछ लिखने पर
कुछ का कुछ
और कुछ
कुछ और हो जाता है।
टंकण में च ,छ बदलने पर
मिट्टी मिट्ठी होने पर।
अंक दो ,अंग दो
कितनी लडाई झगड़े।
इतने उच्चारण भेद।
बाप भाप या पाप हो जाते हैं।
बचाओ बजाओ
वीरांगनाएँ वारांगनाएँ।
जीवन में शब्द शक्ति का
अपना प्रभाव।
मंत्रोच्चारण सही नहीं तो
मन की कामना पूरी होने में देरी तेरी।
गम कम में कितना फरक ।
कल आएगा वह खल आएगा।
बालकों! जिह्वा बावरी
उच्चारण का फिसलन।
उत्पात का लक्षण।
कदम कदम पर खतरा।
खत्म जीवन का आनंद।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन
संस्मरण -- हिंदी क्षेत्र प्रवेश।
1965 ई.की बात है।
मैं नौवीं कक्षा पढ रहा था। तमिलनाडु के द्राविड मुन्नेट्र कलकम् ने हिंदी विरोध आंदोलन को ही अपना शस्त्र बनाया।
कालेज स्कूल के छात्र आंदोलन के अस्त्र शस्त्र बने।
उनके मन में हिंदी विरोध का प्रदूषण / संक्रामक रोग फैला रहे थे।
हिंदी राक्षसी तमिल सुंदरी को नाश कर देगी। हिंदी वर्णमाला के उच्चारण से अल्सर आएगा।
एक "क "कहाँ और तीन "खगघ " ऐसे भयंकर उच्चारण मंच पर करेंगे कि सुनने मात्र से अल्सर कैंसर
आ जाएगा। पढने पर क्या होगा । पता नहीं । ब्रेन वाश यही है। भाषण कला श्रोताओं पर कितना असर डालता ?
रेल बस जलाना हिंदी अध्यापकों को मारना सहज हो गया। कई कालेज के छात्र जेल गये। लाठी का मार सहे।
गोलियों का शिकार बने। प्राण त्यागे।
तभी मेरी माँ एस.गोमतीजी हिंदी प्रचार में तीव्रता लायी।
तब स्कूलों में
त्रि भाषाएँ पढ़ाते थे। हिंदी पढने की जरूरत नहीं,पर हिंदी अध्यापक थे। परीक्षा में केवल उपस्थित होना
काफी है। ऐसी हिंदी को हम धर्म हिन्दी कहते थे। हिंदी परीक्षा के दिन आधे घंटे में परीक्षा हाल से बाहर सब-के-सब आ जाना चाहिए। नहीं तो मार पडेगा। मैं एस एस एल सी( तब ग्यारहवाँ कक्षा) आधे घंटे में लिखकर बाहर आया। 1966 में। पचास के लिए 21 अंक मिले। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में ग्यारहवीं में हिंदी सहित उत्तीर्ण होने पर सीधे राष्ट्र भाषा तीसरी परीक्षा दे सकते हैं। तब स्कूलों में हिंदी थी। पर अध्यापक नहीं मिलते।
मेरे राष्ट्र भाषा के उत्तीर्ण होते ही 17 साल में हिंदी अध्यापक की नौकरी मिली। दुर्भाग्य की बात है कि तमिलनाडु सरकार के स्कूलों से हिंदी विषय नहीं रहा। अंग्रेज़ी तमिल द्विभाषी नीति। मैनारिटि भाषावाले हिंदी/ कन्नड/ तेलुगू प्रथम भाषा हो तो तमिल पढने की जरूरत नहीं।
द्राविड मुन्नेट्र कलकम् के शासन में जहाँ हिंदी ही नहीं वहाँ मेरे जीविकोपार्जन की भाषा 53 साल से हिंदी ही हैं।
हिंदी विरोध के समय
मैं हिंदी के प्रचार में लगा।
आज भी मैं अपने शहर जाता हूँ तो मेरे सहपाठी बेकार है।
हिंदी न पढने के लिए पछता रहे हैं।
मार खाकर मैं ने हिंदी का प्रचार किया। तिरुच्चिरापल्ली
सभा के सचिव टी।पी।वीरराघवन, यम.सब्रहमणियम ई. तंगप्पन सुमतींद्र वि यस।राधाकृष्णन आर के नरसिंहन, के.मीनाक्षी प्रशिक्षण कालेज के प्रधानाचार्य के यन् रामचंद्र शाह आदि को भूल नहीं सकता। ।
हिंदी क्षेत्र या केंद्र सरकार द्वारा हमारे जैसे प्रचारकों को सम्मान नहीं मिल रहा है।
मेरे ब्लाग नवभारतटाइम्स "आ सेतु हिमाचल " अपना ब्लॉग। तमिल सीखने 58 पाठ।
तमिल हिन्दी संपर्क
anandgomu.blogspot.com
Sethukri.blogspot.com.
कहते हैं अंतरजाल का महत्व नहीं।
किताब छापो।
डिजिटल जमाने में केंद्र हिंदी निदेशालय को
ब्लाग लिखनेवालों को प्रोत्साहित करना है।
अहिंदीभाषी खासकर तमिलनाडू के प्रचारको को प्रेरित करना है।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम
यम लीला
मन सबल धन सबल तन सबल
न जाने यम न ले जाता है,
जो जीना चाहते हैं।
तन मन दुर्बल।
लूटते चोरी करते।
यमं उनको लेने नहीं आता।
सबहिं नचावत राम गोसाई
संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक: यादें तन्हाइयां 22-12-19।
बचपन से अब तक की यादें
कितना परिवर्तन।
सामाजिक परिवर्तन।
वैज्ञानिक आविष्कार में परिवर्तन।
शिक्षा के माध्यम में परिवर्तन।
अध्यापक की इज्ज़त में परिवर्तन।
टट्टी के आकार में परिवर्तन।
भोजन पोशाक पोशाक में परिवर्तन।
वर्दी में परिवर्तन।
कुछ अच्छे कुछ बुरे।
संतोष असंतोष परिवर्तन।
सत्तर साल की आजादी के बाद भी
सरकारी सार्वजनिक संपत्ति
रेल बस जलाना सरकार
कानून चुप रहना ।
पटरियाँ उखाड़े देख।
एंबुलेंस को भी रोकते देख
सार्वजनिक स्थानों की थूक।
कूडे की बद्बू महसूस कर
दुख ही दुख होता है मन में।
नदियों की चौड़ाई कम।
सार्वजनिक कुएँ सूख गए।
हजारों झील नदारद हो गए।
मातृभाषा माध्यम केवल नाम मात्र।
मातृभाषा में बोलना अपमान की बातें।
स्नातक स्नातकोत्तर शिक्षित समुदाय।
साफ सुथरे मंदिरों की दीवार पर।
ताजमहल जैसे सुंदर यादगारों में
ऐ रिव्यू लिखना, अनुशासन हीन शिक्षा।
पैसे के लिए अध्यापक छात्रों का गुलाम बनना,शासकों के बेगार पुलिस।
न्यायालय तो अन्याय निलय।
मंदिर वाणिज्य केंद्र।
तन्हाई में बहुत विचार आते हैं।
अंत में सांत्वना दिलासा
निश्चिंतता तुलसीदास जी का पद
सबहिं नचावत राम गोसाई।
भले-बुरे आँधी-तूफान की सृजन कर्ता
खट्टे -मिट्ठे फल की सृष्टि कर्ता।
सुंदर असुंदर खुशबू-बदबू के
रचनाकार का दायित्व।
ध्यान मग्न हो बैठ जाना ।
देश की भलाई भगवान के भरोसे पर।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम
नमस्ते।
दिल बचाने का हुनर बताना।
दिल चुराने अलग।
दिल में वास करना अलग।
दिल से दौडना अलग।
दिल से भागना अलग।
दिल से भगाना अलग।
दिल में भय खाना अलग।
दिल स्थिर रखना ही अलख जगाना।
चंचल मन माया।
अचंचल मन ध्यान में।
एकाग्र चित्त एकांत में।
तप में ध्यान में।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक -भूल।
भूल के दो अर्थ
गल्तियां-विस्मरमण।
भूल चूक होना सहज।
जान -समझकर भूल करना।
दंडनीय।
भूल गया सब कुछ ।
याद नहीं अब कुछ।
प्यार करने की भूल
नारी तो भूल जाती।
नर पागल क्यों
बन जाता?
कुंती की भूल ,
कर्ण की चिंता।
कर्ण का अपमान।
सभा में अपमान।
कबीर का लहर
तालाब पर फेंकना।
ये ऐतिहासिक भूलें भूलना
सुशासन में भूलें।
परीक्षा में उत्तर की भूल।
कृतज्ञ मत भूल।
कवि तिरुवळ्ळुवर
कृतज्ञता कभी न भूल।
ऋण चुकाने मत भूल।
भूल से दंड,
भूल से कम अंक।
भूल से गर्भ धारण
आजीवन दंड शोक जान।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार
गुरु शिष्य परंपरा का लोप
गुरु कौन है ?
गुरु उच्च कुल के
प्रतिभाशाली छात्र को ही
सिखाने वाले हैं।
गुरु कुल में ब्रह्मचारियों को
गुरु सेवा प्रधान बनाकर
शिक्षा देनेवाले।
गुरु की आज्ञा से
अंगूठा ही क्या
सिर तक
काटकर देनेवाले।
आजकल इतनी
आज्ञाकारी शिष्य नहीं।
आजकल के अध्यापक
द्रोण जैसे अंगूठे की माँग नहीं करते।
अध्यापक संघ मज़दूर संघ समान।
गुरु राजा का गुलाम।
कर्ण की जाति देख
शाप देनेवाले निष्ठुर।
अध्यापक वेतन भोगी।
उच्च निम्न वर्ग न देखता।
सब को प्रतिभाशाली हो या औसत बुद्धि वाले हो या मंद बुद्धि
सबको शिक्षा देनेवाले ।
पैसे प्रधान।
ट्यूशन छात्रों को
विशेष अंक देनेवाले।
बाये हाथ लिखकर दायें हाथ में
अंक देनेवाले।
अध्यापक को छात्र को
मारना पीटना गाली देना मना।
डर डर कर चलनेवाले।
अधिकारी का भय।
राजनीतिज्ञ का भय।
बदमाश अभिभावकों का भय।
बोलने का भय।
क्रोध में कोई अपशब्द निकलें तो
नौकरी जाने का भय।
गुरु शिष्य परंपरा
हिरण्यकशिपु के काल से
आज तक तटस्थ संबंध नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक : खड़िया और पोंछन।
फिल्म नहीं देखा।
बचपन की याद आई।
अध्यापक/अध्यापिका
श्याम पट पर लिखते ।
खड़िया का चूर्ण
श्याम पट के किनारे पर।
अध्यापक के बाहर जाते ही
चूर्ण बन जाता, मुख चूर्ण।
मूँछें सफेद मूँछ।
मेरे सहपाठी
चूर्ण से खींचता
अति सुंदर चित्र ।
आज चाक और डस्टर
फिल्म है नहीं देखा।
एक दूसरे की हँसी के कारण।
लड़ने के कारण।
मजाक के कारण।
पाठशालाओं की पुरानी यादें।
अध्यापक के पोंछन के फेंकने से
दोस्त के सिर से रक्त बहना।
अध्यापक का डर।
अभिभावक की गालियाँ।
कभी न भूलते,
यादें हरी हुई।
अतःशुक्रिया साहित्य संगम को।
आज का युवा इतना अधीर क्यों?
15-1-2020।
जागो! युवकों।
सवाल उठा है अधीर हो।
स्नातक स्नातकोत्तर शिक्षित समुदाय के
युवक युवतियों के दिल अधीर।
सब्रता नहीं जानते।
कारण मेहनती नहीं।
केवल किताब के कीडे।
दूरदर्शन -मोबयिल के बेगार।
विवेकानंद भगवान से बढकर
स्वास्थ्य को प्रधानता देते।
तिरुमूलर् ने तिरुवासकम में
शरीर को ही मंदिर मानते।
बाह्य आकर्षण इतना अधिक।
आत्मनियंत्रण आत्मसंयम
नहीं के बराबर।
विनम्रता अनुशासन
गुरु भक्ति के अभाव की शिक्षा।
अध्यापक वेतन भोगी।
मातृभाषा के नैतिक ग्रंथों को
पाठ्यक्रम में कम स्थान।
ईसाई मुगल स्कूलों में
कुरान बाइबिल की पढाई।
सरकारी स्कूलों में प्रार्थना का अभाव।
अंग्रेजों के आगमन मुगलों के तलाक
संभोग भोग नववर्ष मधु प्रधान।
वेतन भोगी अध्यापक।
अनैतिक व्यवहार।
शारीरिक कमज़ोरी।
परिणाम मानसिक कमजोरी।
युवक अधीर ।
भारतीय प्राणायाम।
योगाभ्यास का अभाव।
मनमाना जीवन।
परिणाम निस्संतान दंपति ।
तलाक, बलात्कारी।
जितेंद्र न तो अधीनता अनिवार्य।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
भय रहित यात्रा पर वह निर्भया
बलात्कार का पात्र।
रावण ले गया
भीष्म लिए गये
ये पुराण पात्र ।
पति को मारा ।
नूर को उठा लाया।
वह मुगल का पात्र।
हर बात में ईश्वर की लीला
हर बात ईश्वर की सृष्टि है तो
दोष किसका?
12साल की शादी वाले देश में
16 साल को दंड से छूट क्यों?
युग युग की कहानी बदलेगा कौन?
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
बोझ
अग जग में सुख
भोगना है तो
बोझ ढोना ही है।
यथार्थवादी को
सत्य का बोझ।
लालची को
अभाव का बोझ।
ईर्ष्यालु को वेदना का बोझ।
वसुंधरा का बोझ वनस्पति जगत।
फलफूल का बोझ।
जागो।बगैर बोझ का जीना मुश्किल।
शीर्षक :- मर्यादा।
अगर जग में मान -मर्यादा -आदरणीय, -इज्जत
किसके आधार पर?
शिक्षा के आधार पर?
पद के आधार पर?
पद-अधिकार के आधार पर?
व्यापार - व्यवहार के आधार पर?
करोडपति होने पर।
स्वस्थ सेवा पर?
दान धर्म पर?
मर्यादा।
स्वदेश में राजा का,
सर्वत्र विद्वान का
आदर।
अभिनेता का आदर?
बहुमत लेनेवाले भ्रष्टाचारियों का आदर?
भगवान पर भी कालिख तो मर्यादा कहाँ?
जो भी हो , अंतिम मर्यादा---लाश को जल्दी निकालो।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन ।
स्वतंत्र लेखन। 16-2-2020
जी में जो आता है ,
वह स्वतंत्र लेखन।
जी के मार्ग पर
जनहित के लिए लिखना
जवानी दीवानी नहीं
जिम्मेदारी से पूर्ण सीख
जीवन की कला, पूर्णत्व।
क्रियाशीलता का जीवन।
स्वच्छ विचारों का,
विचारों के प्रदूषण से
बचना बचाना बचवाना।
सदूपदेश को मानना मनाना मनवाना
यही काल।
जवान की बात का
अपना महत्व।
ऋष्यश्रंग बनना
मन को काबू में रखना
जवानी का प्रभाव।
बुढापे में संयम की बात
हँसी का पात्र बनना ।
अनुभव के अच्छे बुरे फलाभिव्यक्ति
बुढापे में भविष्य पीढी सुधारने।
अनुभवी बूढ़ों की बात सुनकर
जवान लोगों को जीवन में
जताना अपनाना जीवन फल पाना।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
कलम की यात्रा।
परिवार दल।
शीर्षक :-जीवन साथी।
मौलिक रचना
यस। अनंतकृष्णन
जीवन साथी या आजीवन साथी ;
सोचो विचारो समझो।
कालेज या पाठशाला के साथी
कब तक ? कहाँ तक ?
जीवन साथी -साथिनी ;
आजीवन साथी अखिलेश्वर के सिवा
और कौन ?
सोचो समझो भक्त बनो ;
बुद्धिबल है जीवन साथी।
स्वास्थ्य बल है जीवन साथी।
मनोबल है जीवन साथी।
प्रेमी -प्रेमिका कैसे ?
शीर्षक: स्वाभिमान। 10-2-2020।
आत्मा सदात्मा है तो दुरात्मा जरूर।
आत्मसम्मान महात्मा में है तो
आत्मापमान दुरात्मा में।
आज कल के नेता में
स्वाभिमान है कि नहीं
पता नहीं चलता।
न्यायाधीश,जिलाधीश, थानेदार
प्रधानाचार्य प्रधानाध्यापक
स्वाभिमान है तो इस्तीफा देकर
संन्यासी बन जाना है।
गुरु शिष्य परंपरा में आज कल।
गुरु शिष्य का गुलाम बन गया।
शिष्य मालिक या स्कूल का मालिक।
पैसे के बगैर जीना मुश्किल।
पैसे लेते ही प्रह्लाद का गुरु बन जाता।
नारायण नमः नहीं निर्यात नमः
सिखाने का आदेश।
आज सोनिया की जय ।
सोनिया से समझौता।
कल लहर देख वाजपाई की जय।
ये दल बदलने वालों से समझौता
करनेवाले बडे नेता। ।
स्वाभिमान किस खेत की मूली।
अपने निरीक्षक न समझकर
सब के सब करते हैं अपराध।
ऐसे स्थान कहीं नहीं,
जहाँ कहीं निरीक्षक न हो।
हमारे निरीक्षक भगवान,
इत्र तत्र सर्वत्र विद्यमान के
ज्ञात होने पर अपराधी कोई नहीं ।।
तिरुमूलर कृत तिरुमंत्र। तमिळ।
अनुवादक --अनंतकृष्णन।
बाह्याडम्बर -मध्यवर्ग
बाह्याडंबर से मध्यवर्ग
उठाते है कष्ट
चित्रपट गया, सौ रुपये में
गन्ना रस, दस रुपये के छोटा सा टुकडा,
बाहर पच्चीस, वहाँ अंदर सौ.
पुलिस, अधिकारी अन्य विभागियें को
वी ऐ पी पास,
बाह्याडंबर का बातें
मुझे विवश होकर नाते रिश्तों के संतोष
ते लिए जाना पडा.
वाहन खडा करने एक घंटे के तीस रुपये.
तीन घंटे बहार निकले चालीस मिनट.
चार घंटे के लिए 120.
हीरो बदमाश कई बलात्कार, हत्या के बाद
हीरोइन से मिलना, सुधरना, .
पुलिस अन्यायी, वकील न्यायाधीश अन्यायी
मंत्री राजनीतिज्ञ अन्यायी,
हीरो के हाथ में न्याय की रक्षा.
न सरकार, न पुलिस, आहा! भारत की रक्षा।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम। ।
शीर्षक : दिल -दिमाग।
आँखें माया के वश।
कान माया के वश।
शरीर चरित्रहीन काम वश।
इन सब को अनुशासित
करनेवाला दिमाग।।
दिमाग अनुशासित न करें तो
मनुष्य मनुष्य नहीं,
खूँख्वार जानवर समान।
देशाटन दिमागवाला।
कामांधकारी अहंकारी
उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई।
बदनाम का पात्र बना।
कैकेई मंदीरा के कारण
बुद्धिभ्रष्टाचार हो गई ।
आँखें कहती यह बढिया।
ऊपर मन कहता उठाकर अपनाओ।
अंतर मन कहता बदनाम होगा।
दिमाग रोकना चाहता।
दिल दुविधा में पड जाता।
दिमाग भ्रष्ट हो जाता।
जितेन्द्र बनता नहीं ,
दिल का धड़कन बनने नहीं देता।
दिल को काबू में रखो,
दिमाग में सुकर्म करने की
बुद्धि ईश्वर देगा।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम
गल्तियाँ =
बडा नहीं बढा।
नमस्कार। वणक्कम।
संचालक सदस्य नमस्कार। वणक्कम।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक
रसिक पाठक सबको नमस्कार।
कलम की यात्रा का 11-12-19
का शीर्षक--- "कोशिश "
कोशिश /प्रयत्न/चेष्टा।
कोशिश करो ।
पता चलेगा भाग्य बडा है या प्रयत्न।
बडे भाई साहब कहानी,
सदा हाथ में ग्रंथ।
परीक्षा में असफल।
बडे भाई साहब की हालत।
छोटा भाई सदा खेलता-कूदता।
वर्ग में अव्वल
बडे भाई का सहपाठी बना।।
तिलक नयी पीढी
भूल गई होगी,
बाल गंगाधर तिलक।
लाल बाल पाल तीनों
स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी।
याद दिलाता हूँ,
तभी युवा पीढी
देश की परतंत्रता
की यातनाएँ याद कलेगी।
याद होगी।
यह भी एक कोशिश।
युवा पीढी के चरित्र गठन में।
लाल लाला लजपतिराय।
बाल गंगाधर तिलक
पाल विपिनचंद्रपाल।
तिलक वर्ग में कुछ नहीं लिखते।
एक बार अध्यापक ने पूछा-
बिना लिखे चुपचाप बैठे हो?
तुरंत तिलक ने कहा-लिख लिया।
कहाँ लिखा।
तिलक ने सिर पर हाथ रख
कहाँ-यहाँ।
अध्यापक आप से बाहर आ गये।
तिलक ने अध्यापक ने जो कुछ
लिखाया अक्षरशः बता दिया।
आवाक रह गये गुरु वर।
पढने की कोशिश में
भगवान का अनुग्रह चाहिए।
औसत बुद्धिवाले
मोहनदास करमचंद गाँधी को
छात्रवृत्ति मिली।
सौराष्ट्र प्रांत के आरक्षित छात्रवृत्ति।
एक ही छात्र थे गाँधी जी।
ईश्वर का महत्व
अप्रयत्न छात्रवृत्ति।
विमान चालक राजीव,
अचानक प्रधान मंत्री।
उनके बडे भाई का
अकाल मृत्यु।
मानव कोशिश करता रहताहै।
सफलता की चोटी पर
पहुँचाने वाले सर्वेश्वर।
सुबुद्धि कुबुद्धि देनेवाले ईश्वर।
तमिलनाडु के प्रसिद्ध मुख्यमंत्री
एम-जी-आर मर गये,
उनकी पत्नी जानकी,
राजनीति ही न जानती।
घर से बाहर कभी नहीं निकली।
राजनीति भाषण मंच पर न चढी।
पर मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठी।
लुटेरा वाल्मीकि आदी कवि बना।
पत्नी के साथ सदा चिपककर रहनेवाले
तुलसीदास हिंदी साहित्य
गगन के चांद बने।
इन सब को याद दिलाने की कोशिश में
भक्ति धारा संयम सिखाने
ईश्वर ने लिखने की प्रेरणा दी।
कोशिश करना मानव धर्म।
कोशिश करना एक राजा ने
मकडी के जाल बुनने से सीखा।
हार कर निराश बैठे राजा को
आशा बंदी।
कोशिश और सफलता में
ईश्वरानुग्रह चाहिए।
भक्ति भाव जगाने की कोशिश में
आज कोशिश की कविता।
भक्ति चंचलता मिटाती।
भक्ति एकाग्रता देती।
शांत संतोष चित्त
सत्य-अहिंसा-दान-धर्म ,
ईमानदारी पुण्य के विचार देता।
पराजय में विजय की आशा।
चिकित्सक ऊपर हाथ दिखाकर
अपना हाथ छोड़ देता।
तब भक्ति ही आशा का मूल।
बचाने की कोशिश में ध्यान।
सबहिं नचावत राम गोसाई।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।शिश "
कोशिश /प्रयत्न/चेष्टा।
कोशिश करो ।
पता चलेगा भाग्य बडा है या प्रयत्न।
बडे भाई साहब कहानी,
सदा हाथ में ग्रंथ।
परीक्षा में असफल।
बडे भाई साहब की हालत।
छोटा भाई सदा खेलता-कूदता।
वर्ग में अव्वल
बडे भाई का सहपाठी बना।।
तिलक नयी पीढी
भूल गई होगी,
बाल गंगाधर तिलक।
लाल बाल पाल तीनों
स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी।
याद दिलाता हूँ,
तभी युवा पीढी
देश की परतंत्रता
की यातनाएँ याद कलेगी।
याद होगी।
यह भी एक कोशिश।
युवा पीढी के चरित्र गठन में।
लाल लाला लजपतिराय।
बाल गंगाधर तिलक
पाल विपिनचंद्रपाल।
तिलक वर्ग में कुछ नहीं लिखते।
एक बार अध्यापक ने पूछा-
बिना लिखे चुपचाप बैठे हो?
तुरंत तिलक ने कहा-लिख लिया।
कहाँ लिखा।
तिलक ने सिर पर हाथ रख
कहाँ-यहाँ।
अध्यापक आप से बाहर आ गये।
तिलक ने अध्यापक ने जो कुछ
लिखाया अक्षरशः बता दिया।
आवाक रह गये गुरु वर।
पढने की कोशिश में
भगवान का अनुग्रह चाहिए।
औसत बुद्धिवाले
मोहनदास करमचंद गाँधी को
छात्रवृत्ति मिली।
सौराष्ट्र प्रांत के आरक्षित छात्रवृत्ति।
एक ही छात्र थे गाँधी जी।
ईश्वर का महत्व
अप्रयत्न छात्रवृत्ति।
विमान चालक राजीव,
अचानक प्रधान मंत्री।
उनके बडे भाई का
अकाल मृत्यु।
मानव कोशिश करता रहताहै।
सफलता की चोटी पर
पहुँचाने वाले सर्वेश्वर।
सुबुद्धि कुबुद्धि देनेवाले ईश्वर।
तमिलनाडु के प्रसिद्ध मुख्यमंत्री
एम-जी-आर मर गये,
उनकी पत्नी जानकी,
राजनीति ही न जानती।
घर से बाहर कभी नहीं निकली।
राजनीति भाषण मंच पर न चढी।
पर मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठी।
लुटेरा वाल्मीकि आदी कवि बना।
पत्नी के साथ सदा चिपककर रहनेवाले
तुलसीदास हिंदी साहित्य
गगन के चांद बने।
इन सब को याद दिलाने की कोशिश में
भक्ति धारा संयम सिखाने
ईश्वर ने लिखने की प्रेरणा दी।
कोशिश करना मानव धर्म।
कोशिश करना एक राजा ने
मकडी के जाल बुनने से सीखा।
हार कर निराश बैठे राजा को
आशा बंदी।
कोशिश और सफलता में
ईश्वरानुग्रह चाहिए।
भक्ति भाव जगाने की कोशिश में
आज कोशिश की कविता।
भक्ति चंचलता मिटाती।
भक्ति एकाग्रता देती।
शांत संतोष चित्त
सत्य-अहिंसा-दान-धर्म ,
ईमानदारी पुण्य के विचार देता।
पराजय में विजय की आशा।
चिकित्सक ऊपर हाथ दिखाकर
अपना हाथ छोड़ देता।
तब भक्ति ही आशा का मूल।
बचाने की कोशिश में ध्यान।
सबहिं नचावत राम गोसाई।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
साजन --कलम की यात्रा
संचालक ,संयोजक ,सदस्य ,पाठक ,रसिक सब को प्रणाम।
हमारे जमाने में प्रेम याने लव शब्द अश्लील ,
दंडनीय ,बुरे शब्द।
आधुनिक काल में ऐ लव यू शब्द
सामान्य शब्द।
साजन रहित महाविद्यालय जीवन
शून्य ,अति शून्य ,अपमानित।
कुछ मज़हबी और जातिवाले
प्रेम करने कराने करवाने के प्रशिक्षण में लगे हैं.
हमारे जमाने में शादी के बाद ,
पति सेवा प्रधान। अंत तक जुड़े रहते हैं ,
अमीरों और जमींदारों को रखैल रखना गर्व की बात.
अंतःपुर में सुंदरियों की भीड़.
आज कल स्नातक स्नातकोत्तर
साजन खोज लेते पर अदालत में तलाक मुकद्दमा
बढ़ रहे हैं कई कारणों से।
कितने साजन से अति संतोषप्रद जीवन पता नहीं।
मोह तीस सिन ,चाह तीस दिन ,
बंधन रहित में प्यार ,बंधन के बाद मनमुटाव।
जवानों के अध्ययन से वे शादी के बाद दुखी।
आर्थिक असमानता , अंतर्जाल में बढ़ा चढ़ाकर दृश्य।
सुखी नहीं ,यथार्थ की बात.
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन।
चित्र आधारित
माँ का आलिंगन।
ममतामयी माँ,
रोने नहीं देती।
स्तन पान,
पेट भरा।
सुलाना।नहलाना,
खिलाना पिलाना।
चलना ,बोलना खाना आदिसिखाना ।
पच्चीस साल तक।
पत्नी के हाथ सौंपने तक।
आत्मीय सेवा।
अपने सुख तज कर
नन्हे मेहमान पर ध्यान।
उनमें निर्दयी माँ
सीता की माँ,
कर्ण की माँ से अति क्रूर।
गाढ़ दी भूमि में।
हर बात में अफवाद।
छूट धरती का नियम।
चित्र में माँ गरीब। दुखी।
पर शिशु के आलिंगन में
झलकता ममत्व।
ममतामयी माँ के प्रति
लापरवाही महापाप।।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
[19:31, 25/02/2020] Anandakrishnan: आज साहित्य वसुधा में प्रकाशित विचार। चित्र के आधार पर।
सबको नमस्कार।
वणक्कम।
भेद रहित संसार कहाँ?
समान अधिकार कैसे?
एक लाख बराबर बाँटो।
कितने सुखी ?कितने दुखी?
कितने एक लाख को दस लाख बनाया?
कितने खाली हाथ?
यह बुद्धि यह भाग्य कैसे?
कुछ लोग व्यापार करते हैं तो
कुछ लोग ग्रंथ संग्रह।
कुछ लोग पियक्कड़ बनते।
कुछ लोग इलाज में खर्च।
उच्च शिक्षा केलिए
शादी केलिए।
दान धर्म में।
रकम बराबर।
खर्च अनेक।
समान अधिकार कैसे ?
भिन्न विचार भिन्न रुचि।
ईश्वर के संसार में।
भिन्नता रहित एक विचार।
दिव्य पुरुष के हाथ।
कुरान बाइबिल गीता वेद।
उसके अनुयायी भी भिन्न विचार के।
द्वैत अद्वैत आकार निराकार
शैव वैष्णव ग्राम देवता।
कैथोलिक प्रोटेस्टेंट
सिया धब्बे चुन्नी।
हीनयान महायान।
दिगंबर श्वेतांबर।
कितने मार्ग कितने संप्रदाय।
समानताएँ किस में।
सत्य में पसंद सत्य, कटु सत्य।
गुप्त सत्य।प्रकट करने योग्य सत्य।
न जाने सत्य से मुक्ति नहीं
दंड भी। जीना दुश्वार।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक
यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक :उडान।
चिडिया उड़ती है।
पक्षी उडते हैं।
उड़ान की जरूरत
उनको नहीं।
ईश्वर ने पंख दिये हैं।
तमाशा देखिए!
मुर्गा मुर्गी मोर आदि की
उड़ने की तेज
ऊँचाई
बाज गरुड की तेज
ऊँचाई
कितनी ।
जहाज की पंछी
सूर ने कहा
जहाज में ही आ जाता।
सूर का उड़ान सर्वत्र उडकर
श्री कृष्ण में ही बस जाता।
ईश्वर की सृष्टियों में मानव श्रेष्ठ।
उनकी शक्ति ईश्वर की देन।
उड़ान की ऊँचाई
कल्पना का साकार
ऊँचे विचार निम्न विचार।
पक्षी अभयारण्य के अध्ययन में
पक्षी देश विदेश हज़ारो मील उडकर
मौसम पर उड़ान भरते हैं।
देशांतरन की शक्ति
न पास पोर्ट न विसा।
मानव की कल्पना
उड़ान में बाधा नहीं पर
कार्यान्वित करने में
उड़ान में बाधा।
मानव की कल्पना उड़ान की
ऊँचाई ईश्वरीय देन।
मुर्गी बराबर उडते कुछ।
बाज बराबर उडते कुछ लोग।
उल्लू की शक्ति अंधेरे में
सबकुछ दीख पडता।
कल्पना के उड़ान में
अधिक ऊँचाई नापना।
ऊँचाई से पाताल के कीड़े पकडना।
एवरेस्ट तक पहुँचना।
ईश्वरीय देन।
अपना अपना भाग्य विशेष।
सबहिं नचावत उडावत राम गोसाई।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन
नमस्कार।
प्रणाम।
शीर्षक: जन्नत।
जन्नत कहाँ हैं?
कामांधकारों के लिए,
नारी ही स्वर्ग।
तब तो स्वर्ग उसके लिए
यह धरती ही स्वर्ग है।
पियक्कडों के लिए
मधुशाला स्वर्ग।
पर्यटकों के लिए
प्राकृतिक दर्शन स्वर्ग।
कवियों के लिए उनकी
रचना स्वर्ग ।
चित्रकारों के लिए
चित्र खींचने में स्वर्ग।
हर एक यहीं स्वर्ग का
अनुभव करते हैं तो
और कहीं स्वर्ग नहीं।
जहन्नुम यहीं दीर्घ रोगी।
दीर्घ दरिद्री, लूले लंगड़े,अंधे,बहरे।
कइयों को देखते हैं यहाँ।
जन्नत अलग नहीं जहन्नुम अलग नहीं।
सब के सब यहीं।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
मंच के संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक
यस -अनंतकृष्णन का प्रणाम।
आनंद कृष्णन। मतिनंत।
शीर्षक: धूप-छाँव।
जिंदगी सहर्ष जीने के लिए।
पानी चाहिए।
बिन पानी सब सून।
पानी चाहिए तो भाप बनना है।
काले बादल छा जाना है।
तब धूप चाहिए।
धूप न तो वर्षा नहीं।
वर्षा न तो हर्ष नहीं।
हरियाली नहीं।
छाया नहीं सांसारिक माया नहीं।
पंचतत्वों से बने जीव में
आग नहीं तो शरीर ठंड
पड जाएगा तो मानव शवयान में।
ज्वर बढ जाएँ तो ठंडे कपडे माथे पर।
बिलकुल ठंड होने न देते।
प्रकृति के संतुलन में
गरम तो आग।
आग बुझाने पानी।
बिलकुल बुझा न पाए तब
वर्षा। पानी।हवा ।पतझड।
पनपना यही।
धूप छाँव की जिंदगी।
माया -छाया मन माया जिंदगी।
छाया का महत्व गर्मी मैं।
केवल छाया तो पनप नहीं।
अतः धूप में चुस्ती,छाँव में सुस्ती।
यही है मानव जीवन।
पाश्चात्य देशों में ठंड अधिक।
परिश्रम अधिक।
भारत देश में सब बराबर।
दिगंबर महावीर की आराधना।
अघोरी दर्शन ठंड में नंगा।
सिकंदर हार गया ठंड में नंगे पडे।
स्वर्ण से मुँह फेर साधु देख।
गर्मी शीत बराबरी
भारत महान।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक
यस.अनंतकृष्णन आनंद कृष्णन।
जीवन में गरम अधिक ठंड कम।
बिलकुल ठंड जीवन का अंत।
शीर्षक : सफ़र। यात्रा।
भारतीय वैचारिक एकता,
सफर /यात्रा पर आधारित।
न रेल, न बस, न विमान।
शिव कैलाश में, शिव काशी में, शिव रामेश्वर में, शिव श्रीलंका में।
भक्ति द्राविड उपजी।
राम वनवास,
श्री लंका तक।
पैदल यात्रा।
शंकराचार्य ।
विनोबा का भूदान यज्ञ-यात्रा।
तीर्थ यात्रा,स्वतंत्रता संग्राम की यात्रा।
अब पैसे के बल यात्रा अति आसान।
Suffer बिना सफ़र।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार
कोशिश --56
नमस्ते। संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
कोशिश ,कोशिश ।
रोज़ करता रहता हूँ।
प्रयत्न पल पल फ़ायदा
बलहीन या बलवान बनना।
अकसर भगवान पर निर्भर।
निर्धन- धनी के प्रयत्नों में
धनी की चेष्टा में हार।
निर्धन की चेष्टा में जीत।
अप्रयत्नवान को प्रयत्नवान से
बडी सफलता ।
बुरंजी दुनिया।
हार जीत हरी की कृपा।
करोड़ पति की इलाज।
देश विदेश में कोशिश जारी।
पर उसका पुत्र का रोग असाध्य।
कोशिश में कामयाबी की बुद्धि
भगवान पर अवलंबित। आश्रित।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार करें।
बुढ़ापा।55
जिंदगी में नरक है तो
बूढ़ापा।
स्वर्ग है तो पति -पत्नी साथ जीना।
धन है तो ठीक।
स्वस्थ है तो ठीक।
खुद नहाना।
खुद शौचालय जाना।
खुद भोजन करना।
आँखें, कान स्वस्थ।
ये नहीं तो जीवन नरक तुल्य।
पीठ में बिस्तर चोट।
बदबू। नाते रिश्ते की घृणित शब्द।
बुढापा भूलों की नरक वेदना।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार
नमस्ते।
गुरु वही है जो
सब को शिक्षा नहीं देते।
गुरु वही है प्रतिभाशाली,
राजकुमारों को, मंत्री कुमारों को
शिक्षा देते; उनकी भक्ति से स्वाध्याय
करने पर निपुण अपने राजकुमार से
बडा न हो अंगूठा काट देते।
कर्ण को शूद्र जान
भूल जाने का शाप देते।
गुरु शिष्य की योग्यता
देखकर ही
शिष्य बनाते।
हिरण्यकशिपु के गुरु
राजा के डर से भगवान का नाम न लेते।
आधुनिक गुरु अध्यापक की नीति अलग।
गुरु आदर्श गुरु पाने
ईश्वर का अनुग्रह चाहिए।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम
सबके नचावत राम गोसाई।
भीड़ के दौर में
रास्ता कौन दें।
शीर्षक तो सरलतम या
कठिनतम पता नहीं।
भीड़ हो या बाढ़ हो ,
डूबते जहाज हो या गिरते विमान हो
जलते जंगल हो ,या भूकंप हो।
ज्वालामुखी हो ,बंम मारी हो
रास्ता कौन देगा ,वह तो सृजनहार प्रभु।
रंक को राजा ,राजा को रंक।
लंगड़े को चोटी तक ले जानेवाले ,
अंधे को आँखें प्रदान करनेवाले ,
जन्म से अंधे ,जन्म से रोगी ,
जन्म से अमीरी ,जन्म से गरीबी ,
जन्म से पौरुष ,जन्म से नपुंसक
सृजनहार प्रभु ,देगा रास्ता।
सबके नचावत राम गोसाई।
प्रणाम।
किसान
लालबहादुर शास्त्री का नारा
देश की सुरक्षा और
प्राण शक्ति प्रदान
"जय जवान जय किसान:।
सैनिक न तो चैन नहीं।
पेट खाली है तो बैचैनी ।
कृषि प्रधान भारत।
विश्व भर में समृद्ध भूमि।
विश्व का खाद्यान्न खजाना।
आजकल औद्योगीकरण के जाल में फँसकर फँसकर
शहरीकरण के नाम से
मेरे बचपन की हरी भरी भूमि
रेत हीन नदियाँ भविष्य पीढी के
अकाल आतंक की सूचना।
गाँवों में जवान कम।
बूढे ज्यादा।
ग्रामराज्य का सपना
सपना ही रह जाएँ तो
किसानों की आत्महत्याएँ
ऋण भार से बढती जाएँ तो
भविष्य की पीढी को
दाने दाने के लिए
तपना ही पढेगा।
जय जवान!जय किसान!
स्वरचित स्वचिंतक ।
यस।अनंतकृष्णन।
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