பட்டினத்தார்
2.चाह नहीं सम्राट बनने,
चाह नहीं 3.श्वेत छत्र ऊ अधीन
सुशासन करूँ,जनता की सेवा करूँ।
तिल्लै में विराजमान ,
शिव की सेवा में ही मन लगता।
मेरी चाह है शिव दास की सेवा करते करते
घर -घर भिक्षा माँगकर जीना
अति महत्वपूर्ण मानता हूँ ।
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