नमस्ते वणक्कम.
नव साहित्य परिवार।
११-४-२०२१.
विषय : मनमाना/
विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।
रविवार आदित्य वार।
रवि किरणें अत्यंत सुंदर।
घर के छेद द्वारा बीच के आंगन में प्रवेश।।
बचपन में देखता,
मेरे तीन साल का भाई
धूप पकड़ने
की कोशिश करता।
पकड़ने घुटने टेकना तो
धूप उसकी पीठ पर,
ज़रा सकता तो जमीन पर।
असंभव कोशिशें,
शैशव का वह खेल।
बार बार जमीन पर नन्हें
हाथ से धूप पकड़ने मारना।
अच्छा लगता देखने।
शैशव में भी जिज्ञासु।
मन मानी माँग,
वह बचपन का जिद।।
किरणों के निकलते ही
ओसकणों की चमक।।
सूर्यमुखी का दिशा घूमना।
प्रकृति की लीला अद्भुत।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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