Wednesday, April 28, 2021

मेरे विचार

 नमस्ते वणक्कम।

 नव साहित्य परिवार।

संयम जरूरी है।

 विधा मौलिक रचना मौलिक विधा।

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 मन का नियंत्रण,

 पंचेंद्रियों  का नियंत्रण।

 सनातन धर्म  की नसीहतें,

 साधु संतों का उपदेश।

मन के अनुकूल चलना

मनमाना करना प्रगति नहीं है

 मानव जाति की।

  कछुए जैसे पंचेंद्रियों को

 काबू में रखना चाहिए।

 संयम रहित जीवन 

  लिंग रोग के कारण।

 शराब ,सिगरट फेफडों के 

 नाश के कारण।।

 संयम हीन तन 

धरती का नरक ।

मानव मरेगा नहीं,

 भूलोक में ही 

जिंदा  रहकर दीर्घ

नरक का अनुभव करेगा ही।

लौकिक माया लौ किक

 मानव पर नशा चढ़ाएगा।

अश्लील चित्र,बुरी संगति,

  रंडियों की शाला, मधुशाला

माया जाल भूलोक का स्वर्ग नहीं, नरक जान।

 अश्लील गाना विचार प्रदूषण।

 जितेंद्र न होना जीवन  के

संतोष, आनंद,चैन खोना जान।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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