नमस्ते वणक्कम।
उड़ान।
उड़ान
हम कल्पना में उड़ते हैं,
मनोवेग का उड़ान
वायु वेग से तेज़।
चित्र पट देखते-देखते
नायिका नायक दोनों की कल्पना उड़ान।।
मंदिर के जाते ही,
ईश्वर की शक्ति का उड़ान।।
जिंदगी में काल्पनिक उड़ान,
आशा , अभिलाषा की पूर्ति।।
काल्पनिक उड़ान में
प्रधानमंत्री,विश्वकवि वैज्ञानिक।
ये उड़ान आशा कान तो
जिंदगी बन जाती रेगिस्तान।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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