Sunday, April 11, 2021

आस्था आराधना

 परिवार दल के प्रशासक प्रबंधक संचालक समन्वयक सदस्य प्रतिभागियों को नमस्कार, वणक्कम।

१२-४-२०२१.

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 आस्था/आराधना।

 विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति.

यही है मौलिकता जान।।

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 मानव को अपने आप पर आस्था चाहिए,

ज्ञान चाहिए कि मानवेत्तर शक्ति  मानव को नचा रही है।

 ब्रह्म ज्ञान के मिलते ही

 आराधना में मिल जाता आस्था।।

  निश्चल -निश्छल मनन से आराधना  मनोभीष्ट सिद्धि।

आराधना 

भगवान और भक्त के बीच।।

पंच तत्व के सिवा बाकी सब

 कृत्रिम बाह्याडंबर 

भगवान जान।।

 स्वार्थ वश भारतीय आस्था,

  सोनिया गाँधीजी को,

मोदीजी को

 जयललिता,एम जी आर को,

अभिनेत्री अभिनेता को

 मंदिर बनवा चुके  हैं।

परिणाम आस्था में अनास्था,

दुविधा में भक्त।

 भरोसा भगवान पर कैसे?

 कई बातें ऐसी ही होती,

वैज्ञानिक, डाक्टर विशेषज्ञ

 हैरान हो जाते।।

दसवीं कक्षा में चार बार फेल।

अध्यापक की गाली,

तू नालायक गधा चराने को भी।।

वह बन गया शिक्षा मंत्री।्

भाग्य विधाता परंपरागत

 खान गांधी को पददलितकर

चायवाले को जगत प्रसिद्ध प्रधान मंत्री पद पर बिठाया है।

 यही भगवान  पर आस्था,

 आराधना का मूल।।

 वाल्मीकि,तुलसी,सूर, कबीर

रैदास,भक्त त्याग राज,समर्थरामदास

सदा अमर अनुकरणीय और 

 स्मरणीय,आस्था के योग्य।

चरित्र गठन के चार चाँद।।

आस्था और आराधना के सोपान।

 न शासक,न रासो,न पद्मावत।

"जाको राखै साइयां,मारी न सक्कै कोय!

बाल न बांका करि सक्कै ,

जो जग वैरी होय।।

आस्था और आराधना का सुदृढ पर।।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन, चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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