Monday, April 5, 2021

इंतजार எதிர் பார்ப்பு,,

 नमस्ते वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

विषय इंतजार।

विधा अपनी अभिव्यक्ति। कविता कहते हैं।

५-४-२९२१

मानव जीवन में

 इंतजार जन्म से लेकर अंत तक।

माता- पिता संतान की प्रतीक्षा में।

 संतान की प्रगति के इंतजाम में।

इंतजार में।

 संतान जवान होकर

 परीक्षा के इंतजार में।

 प्रेमी-प्रेमिका के इंतजार में।

पति पत्नी के बाट जोहने में।।

बच्चे माँ बाप की राह देखने में।

जवान नौकरी की प्रतीक्षा में।

 नौकरी के बाद तरक्की की प्रतीक्षा में।

 प्रतीक्षा करते करते 

अप्रतिक्षित बुढ़ापा।

 जीवन अंत बगैर इंतजार के।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

No comments: