नमस्ते वणक्कम।
साहित्य सुधा मंच।
6-4-2021
सारे जहां से अच्छा ,
आदी काल से विश्व गुरु।
विश्वनाथ।
विश्व मार्गदर्शक।
भारत।
आदी मजहब।
अहिंसा के सिद्धांत।
आध्यात्मिक सत्य प्रचार।
जगत मिथ्या का संदेश।।
भाई चारे का महत्व।
विश्व बंधुत्व संदेश।।
वसुधैव कुटुंबकम्।
सर्वे जना सूखिनो भवन्तु।
आध्यात्मिक ईश्वरीय शक्ति।
भगवान के हाथ अस्त्र शस्त्र।
मानव के हाथ हल।
शांतिप्रिय कृषक जीवन।
खेती योग्य जीव धदियाँ।
वर्षा दायक घना जंगल,
ऊँचे पहाड़।
हर दिन सभी मौसम।
आ सेतु यात्रा।
सर्दी में गर्मी,गर्मी में सर्दी।
तीर्थ यात्रा उल्लास यात्रा।।
अपूर्व मंदिर शिल्पकला का आधार।।
पहाड़ खुदवाकर
अद्भुत मंदिर शिल्पकला।
जड़ी-बूटियों की स्वर्ग भूमि।।
मेरी मातृभूमि।
आदर्श अतिथि देवो भव।
अगजग के आक्रमण,
बेरहमी खून,लूट।
ज्ञान का लूट,
धन का लूट,
शासक बनकर लूट।
किसी की चिंता नहीं,
नंगे अघोरी, कौपीन धारी
अर्द्ध नग्न साधु।
स्वर्णाक्षर, हीरे मुकुटधारी
साधु-संत एकांत तपस्या।
जगत उद्धार का संदेश।
सहनशीलता, मिलनसार।
मेरी भारत माँ।।
विश्व भर में एक देश
चैन का मार्ग
और कोई कहीं भी गाता नहीं
मजहबी एकता की बात।
हिंदू, मुस्लिम,सिक्ख, ईसाई
भारत में है भाई भाई।
न खाता मुस्लिम,न खाता ईसाई।
सनातन धर्मी गाता।
यही भारत मांँ के सपूत।
इकबाल के अनुसार विश्व सभ्यताएँ मिट गई,
मिस्र रोमन यूनानी।
भारत माँ और भारतीय सभ्यता अजय अमर।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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