कलमकार कुंभ को नमस्कार वणक्कम।
अपनों का ग़म।
मौलिक रचना मौलिक विधा।
पड़ोसी की नौकरी चली गई।
पछताते हैं, दिलासा देते हैं।
वहीं हमारे खून के रिश्तों में हुई तो दिल अधिक दुखेगा।
रास्ते पर दुर्घटना,
अपरिचित हो तो दुख कम।
हमारे दिली दोस्त हो तो
गम ज्यादा,
मदद के लिए दौड़ते ।
वहीं अपने खून के रिश्ते हो तो
तुरंत उठाते,
अस्पताल में भर्ती करते।
पैसे भी खर्च करते।।
और अपनों की मृत्यु हो तो
अपने को सांत्वना देना मुश्किल।
अन्यों को कई उदाहरण से
दिलासा देते, पर
अपनों का ग़म सभा नहीं जाता।
कुत्ते अपने मालिकों के प्रति कृतज्ञ,न अन्यों के।
घोड़े,गाय सब पशुओं में भी य गुण।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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