[27/05, 9:25 am] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।
मानव सेवा
दिन ब दिन
बढ़ता ही रहता है।
पर जिनकी सेवा करनी है,
उनकी सेवा नहीं करते।
हर साल भगवान की सुंदर मूर्तियाँ करोड़ों रुपए ,
भगवान का छिन्न भिन्न रुप
अपमानित करने।
बाह्याडंबर की भक्ति।
झोंपड़ी वासी केवल
वोट के लिए।
वहीं बद्बू ,
कच्ची सड़कें
नशे में लड़ाई,
मानव सैलाब कहाँ?
नारियल तोड़ना भी एक दान।
गणपति के सामने ऐसे
नारियल फेंकना भक्ती के नाम दान।
कई टुकड़े उन्हें लेंगे गरीब।
पर आजकल ठेकेदार के हो गये।
अब कोराना के समय
करोड़ों के दान,
शव जलाने
अस्सी हजार तक।
विदेशी के प्रवासी भारतीय
शव बंदरगाह में,
उसे लेने रिश्वत।।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पाने रिश्वत।
मानव सेवा महेश्वर की सेवा,
जहाँ करनी है वहाँ बेरहमी।
वह आजकल नहीं,
सत्य हरिश्चन्द्र के जमाने से।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
[27/05, 9:32 am] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।
कलमकार कुंभ।
26-5-2021.
रोशनाई।
मौलिक रचना मौलिक विधा।
पाषाण में लिखना,
ताड़ के पत्ते में लिखना।
हाथ में वस्त्र में नीले धब्बे की
रोशनाई का जमाना
बीत गया।
जब मैं स्कूल में पढ़ता था,
अप्रैल पहली तारीख को
रोशनाई का होली
तमिलनाडु में।
पता नहीं उत्तर में भी
हुआ होगा।
रोशनाई अब रीफिल में।
टंकण में,
संकणिक में
मोबाइल में।
ईमेल है तो हस्ताक्षर की भी
नहीं जरूरत।
तब रोशनाई
पढ़ाई तक।
रोशनाई न तो
लिखना असंभव,
वह जमाना चला गया।।
अब डाकुमेंट रैपर नहीं,
टंकण नहीं।
संकणक।
रोशनाई रिफिल में
केवल हस्ताक्षर के लिए।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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