नमस्ते वणक्कम।
नव साहित्य परिवार।
विद्रूप होते बोल।
मौलिक रचना मौलिक विधा।
बोलने में मजा,
विद्रूप तरीके में।।
कुछ दिखाओ ,
कुच दिखाओ।
जवानी की बातें।
बुढ़ापे में अश्लील बातें।
अध्यापक के लिए हिज्जे की गल्ती ।
चित्र पट के लिए द्विसंवाद।
मैं अध्यापक के नाते
कितने विद्रूप शब्द।
तमिल भाषा में
एक ही "प "।
पाप,बाप,भाप।
मेरे पाप आए/बाप आए/ भाप आए।
अक्षर मात्र सिखाना,
तमिल में परेशानी।
पचाओ பசாவோ.
बजाओ/बचाओ।
दोनों के भेद मुश्किल।
वैशाखनंदन बैठिए,
क्यों गृह पाठ नहीं लिखा।
वैशाखनंदन तो गधा।
सुनने में नंदकुमार जैसा आनंद।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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