क्या यह सुगन्धित हवा है ,जो श्वास के करती स्वच्छ .
क्या यह तम दबानेवाले पंकज जल में भीगे पाद हो.
क्या यह क्षितिज में उगे ,
तडके के द्वार पर .
संगृहीत खुशबू है ?
सोर्योदय से ज्यादा
मैं तुझसे करता अति प्यार.
ज़रा सा समय ,लेकिन मेरेलिए
रोमांचित समय.
बिस्तर के कब्र में
अस्थायी नींद से
हर दिन जीवित होते समय
तू ही अपने मृदु होंट से
चूमकर जागते हो ...हे प्रातःकाल.
नए जीवन में उमड़ पड़े हर्ष
यह तो त्यौहार अति मधुर.
इस पर्व पर बधाई देने
करों में कविता लेकर आया हूँ.
कर मिलाता हूँ.
यह तो पर्व पोंगल का अर्थात हर्ष उमड़ने का.
परिश्रमियों का इच्छित त्यौहार.
फसलों में हरियाली
अपने धान्यो की दृष्टी फैलाकर
दिवाकर को धन्यवाद देने
मेहनतियों का सांस्कृत इच्छित त्यौहार.
यह त्यौहार है किसानों का ,
जोत-जोतकर भूमि को जोत-जोतकर
परिश्रम के फ्ल्स्वूप
रंग-बिरंगे फूलों के
रंगीले त्यौहार.
हल का महत्त्व तो बैल केकारण
अतः बैलों की पूजा का त्यौहार.
पालतू जानवरों के लिए
भोज का त्यौहार.
भूख मिटाने पाक-क्रिया में लगी ,
भोजन लाई महिलाओं का त्यौहार.
दिल में पनपने वाले प्यार ,
खेत में उगनेवाले फसल
दोनों की रक्षा में लगी
कन्याओं का त्यौहार ;
यही एक त्यौहार
मेहनती ही इसकी उत्सव मूर्तियाँ.
ये तो आँखों देखी गवाहें .
दिल में जो यादें हैं
उनकी तो कुछ करेंगे
निदर्शन सत्य बातें.
इन गन्नों के मीठापन के लिए
रासायनिक नमकों के साथ ,
पसीने के नमक भी तो
डालने पड़ते हैं.
मिट्टी खोदते समय
कुडताल की चोट तो
पैरों पर भी पड़ती हैं.
जल सहित खून की धारा भी तो
मिलकर बहती है.
आज इस संभव को भी सोचेंगे दिल में.
परिश्रमी लोगोंके कौशल के
पुरस्कार स्वरुप
भूमि माता फूल को
प्रसवित करतीहै.
सूर्य ताप की उपेक्षा करके
पसीने में तरकर
किसान क्यों कठोर मेहनत करता है?
मन को आनंदप्रद इस हर्षोल्लास पर
आप से एक निवेदन करता हूँ ---
मेहनती किसान है साथी हमारे.
उनको मुफ्तमें कुछ देने की
नहीं ज़रुरत.
केवल आप उसको उचित इज्ज़त दें .
तभी भू -माता खुश होगी.
************************************************************
आकाश पेड़ के मेघों की शाखाओं को
हवा की किरणें हिलाती हैं.
तब होती है वर्षा .
तुम को देखने से
मेरी आँखों को आनंद.
एकाध मिनट आराम मिलने पर.
No comments:
Post a Comment