आज भी भारत समृद्ध देश;
पर स्वार्थ धन लोभी जनता और राजनीतिज्ञ ,
अपने लिए धन जोड़ ,देश को उद्योग मंडल
बनाकर ,कर रहे हैं सूखी भूमि.
काले धन लाओ.देश सम्पन्न होगा;
पर सभी के मिले हाथ काले धन के पक्ष में.
बाधाएँ डाल रहे हैं अनेक.
मंदिर के सामने तालाब,
उन्हें ढककर या विस्तीर्ण कम करके इमारत.
जो गोपुर दूर से दीख पड़ते ,अब छिपा रहे हैं इमारतें.
जो मंदिर की चौड़ी सड़कें थी ,उनमें दुकानें तंग बना रही है.
मंदिर दर्शन तक जाने के पहले दलालों की भीड़.
मंदिर के सुन्दर शिल्पों से भरे मंडप ,दुकानदारों के परदे से छिपे ;
भूमि दान की भूमि ,मंदिर के नहीं ,निजी संपत्ति बन रही हैं,
देश की बर्बादी में विदेशी रूपये लेकर लगे हैं निर्दयी देशद्रोही .
उनके समर्थन में राजनैतिक दल तालियाँ बचा रही हैं,
इन सब स्वार्थियों की तरक्की के साथ
देश की प्रगति देख
चकित हो जाते हैं विदेशी.
तमिल देश में चित्र पट में राजनीति
यह तो विचित्र नीति.
हाल ही में "कत्थी" नामक सिनेमा,
निर्माता श्री लंका के लैक्का कंपनी.
विरोध,समझौता ,लैक्का नाम निकालो
होगा नहीं विरोध. जो भी सिनेमा ,उसका विरोध ;
गुप्त धन परिवर्तन विरोध दूर.
किनते तंगदिली पैसे के पीछे;
अब कत्ती के वसूल ,लोक समर्थन .
जिन्होनेविरोध किया ,जहाँ छिपाएंगे अपने काले मुँह.
यों ही अपराधिन के लिए ईश्वर प्रार्थना ,सर मुंडन.
स्वार्थियों और विदेशी षड्यंत्रों के धन लोभी दलों को
बंद और निषेद करने का नहीं कोई प्रयत्न.
इन्हीं के समर्थन में कान्ग्रेस तो अब भारतीय जनता भी;
अब सच्चेदेश भक्तों का एकत्रित हो
देश भक्त निस्वार्थ धन लोलुपता से दूर
एक नेता की प्रार्थना में लग जाना ही
देश बचाव का एक मात्र उपाय.
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