''धनुष गीत नाटक '" का कार्य-क्रम जिस नगर में होता है,
उसका नाम काल्पनिक नगर है.
उसका नाम काल्पनिक नगर है.
धनुष गीत के प्रभाव से उस गाँव के लोग
गाँधीजी विचार धारा को जान-समझकर उसे अपनाते हैं.
गाँधीजी विचार धारा को जान-समझकर उसे अपनाते हैं.
फलस्वरूप गाँव के आलसी ,शराबी, जुआरी, स्वार्थी ,झूठा आदि को
गांधीवादी भगा देते हैं,
गांधीवादी भगा देते हैं,
इन सब के भगाने से नगर में केवल मेहनती रहे.
उनका जीवन सादा रहा;उनके विचार ऊँचे रहे.
उनका जीवन सादा रहा;उनके विचार ऊँचे रहे.
गाँव का सर्वांगीण विकास हुआ .
गाँव संपन्न बना.
गाँववाले सुख -चैन से जीने लगे.
उनकी आर्थिक कष्ट दूर हुआ.
वहाँ कलियुग कृता युग में बदल गया.
गाँव संपन्न बना.
गाँववाले सुख -चैन से जीने लगे.
उनकी आर्थिक कष्ट दूर हुआ.
वहाँ कलियुग कृता युग में बदल गया.
गाँधीवादी नेता कनकलिंगम ने एक दिन स्वप्न देखा.स्वप्न में गांधीजी आये.
कनाकलिंगम ने दावत दी तो गांधीजी ने नहीं खाया.
कहा कि आज मैने परिश्रम नहीं किया.
कहा कि आज मैने परिश्रम नहीं किया.
फिर चरखा कातकर सूत तैयार किया.
उसे बेचा. फिर खाना खाया;
उसे बेचा. फिर खाना खाया;
कनक लिंगम ने गांधीजी से प्रार्थना की कि
आप पुनः यहाँ जन्म लेंगे तो अच्छा होगा. गांधीजी ने कहा
आप पुनः यहाँ जन्म लेंगे तो अच्छा होगा. गांधीजी ने कहा
मैं तो भारत के करोड़ों नागरिकों के दिल में हूँ .
फिर सपना टूट गया.
फिर सपना टूट गया.
गाँधीजी के राम सिद्धांतों को ग्रामीण लोक -गीत में
गाकर प्रचार करना ही इस धनुष गीत
गाकर प्रचार करना ही इस धनुष गीत
(विल्लुप्पाट्टू ) का उद्देश्य है.
ग्रामीण ही नहीं, शिक्षित लोगों में भी प्रभाव डालने की शक्ति धनुष गीत में है.
ग्रामीण ही नहीं, शिक्षित लोगों में भी प्रभाव डालने की शक्ति धनुष गीत में है.
गाँधीजी के राम राज्य का सपना,
ग्राम राज्य में ही साकार होगा.
यह धनुष गीत नाटक उस महान
ग्राम राज्य में ही साकार होगा.
यह धनुष गीत नाटक उस महान
उद्देश्य की पूर्ती में समर्थ बनेगा;
सक्षम बनेगा;
और भारतीयों के ह्रदय का नाद बनेगा.
इसमें कोई शक नहीं है.
सक्षम बनेगा;
और भारतीयों के ह्रदय का नाद बनेगा.
इसमें कोई शक नहीं है.
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